अधिकारियों की अनदेखी के चलते नही बना नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास

निदेशक हरियाणा राज्य अभिलेखागार चंडीगढ़ के आदेश कागजों में सिमटे
पिछलें 8 साल में नही बढ़ी एक रूपया पैंशन

चंडीगढ़/। 23 जनवरी को पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। इस बात को लेकर स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिजनों में उत्साह है, मगर वही स्वतंत्रता सेनानियों व उनके परिजनों में प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी भी है। मनोहर लाल की भाजपा सरकार में पिछलें 8 साल से एक रूपया पैंशन भी नही बढी। जबकी पिछले 8 साल में विधायको, कर्मचारियो व बुर्जगो की भी पैंशन बढ़ चुकी है।

हरियाणा प्रदेश सरकार के 46 साल पुराने आदेशो के बाद भी आजाद हिंद फौज के सेनानियों का आज तक इतिहास नहीं बन पाया है। आजाद हिंद फौज के सेनानियों के बायोडाटा व इतिहास सैक्टर 5 पंचकूला अभिलेखागार विभाग की फाईलों में बंधा रखा है। किसी ने भी उसे खोलने की जहमत नही उठाई। केवल एक ड्राफ्ट बुक तैयार कर ठंडे बस्ते में डाल दी है।

देश की आजादी के बाद भी प्रदेश सरकार की अनदेखी के चलते नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास आज भी नहीं लिखा गया। यह कहना है हरियाणा स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सुरेन्द्र ढूढी, मास्टर सुरेन्द्र जागलान, कर्म सिंह का। सुरेन्द्र ढूढी, मास्टर सुरेन्द्र जागलान ने कहा कि 8 दिसम्बर 1977 के निदेशक. हरियाणा राज्य अभिलेखागार चंडीगढ़ ने प्रदेश के आजाद हिंद फौज के सेनानियों को इतिहास बनाने के लिए पत्र लिखकर जीवन संबंधी सूचना भेजने के लिए कहा था। पत्र में लिखा था कि हरियाणा राज्य अभिलेखागार आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास बनाएगी। आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानियों को सूचना पत्र के साथ एक फार्म भी भेजा था तथा उसे भरकर जमा करवाने को कहा गया था।

सरकार 1977 के बाद से लेकर आज तक के 46 साल के लम्बे अंतराल में 30 बार सेनानी परिवारों से फोटो व इतिहास मांग चुकी है लेकिन आज तक कोई भी कार्य इतिहास संकलन को लेकर नहीं किया गया।  बता दें कि देश की आजादी की लड़ाई में हरियाणा से नेता जी की फौज के 5000 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था। जिसमे 2 हजार से अधिक आजाद हिंद फौज के सेनानियों ने भाग लिया था। आज अधिकतर सेनानी इस इतिहास के इंतजार में स्वर्ग सिधार गए हैं। प्रदेश में इस समय केवल 5 स्वतंत्रता सेनानी व 325 उनकी विधवाएं आज जिंदा हैं वे भी इस इतिहास को देखना चाहती हैं।

पूर्व की सरकारो व अधिकारियों की अनदेखी के चलते स्वतंत्रता स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास नहीं बन पाया। भाजपा की मनोहर लाल सरकार से स्वतंत्रता सेनानी परिवारों की मांग है कि जल्द ही स्वतंत्रता सेनानियों व आईएनए का इतिहास बनाया जाए। उत्तराधिकारियों को चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश, गोवा, बिहार, पंजाब  की तर्ज पर नौकरियों में 2 प्रतिशत खुला आरक्षण दिया जाए व प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारियों उत्तराखंड सरकार की तर्ज पर सम्मान पेंशन दी जाए। देश की आजादी की लड़ाई में हरियाणा प्रदेश से 5000 से भी अधिक स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था। जिसमें से 2500 से भी अधिक स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सैनिक  थे। इन स्वतंत्रता सेनानियों को मनीमाजरा कोशपाल अक्षय पुण्य निधि विभाग हरियाणा द्वारा पेंशन दी जा रही है। आज की तारीख में लगभग  325 सेनानियों को पेंशन दी जा रही है। जिसमें से 5 स्वतंत्रता सेनानी खुद जिंदा है, 300 के करीब उनकी विधवा और 43 उनके डिपेंडेंट जो बेरोजगार अविवाहित अपंग है।

You May Have Missed

error: Content is protected !!