भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। गुरुग्राम में नगर निगम चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता जिनमें मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष आदि के नाम लिए जा सकते हैं, का कहना है कि चुनाव फरवरी माह में होंगे। यदि आपको स्मरण हो तो जब सितंबर में आहट हुई थी निगम चुनाव की, हमने तब भी लिखा था कि निगम चुनाव फरवरी-मार्च 2023 से पहले होना संभव नहीं है और वही समय अब आ गया है। स्थितियां कुछ सुधरी नहीं हैं, वार्डबंदी अभी हुई नहीं है लेकिन फिर भी चुनाव लडऩे के इच्छुक तैयारियों में लग गए हैं। आज गुरुकमल में जिले, प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं का जमावड़ा लगा था। जिसमें कार्यकर्ताओं को कहा गया कि हम बहुत मजबूत हैं, जिला परिषद और पंचायत चुनावों में हमने जीत हासिल की है। अब यह तो आप ही जानों कि इन्हें कैसी जीत मिली है। विगत 2017 के चुनावों पर नजर डालें तो याद आता है कि वार्ड 15, 16, 17 पर मुख्यमंत्री स्वयं प्रचार करने आए थे और यह बात भाजपाई जिक्र करेंगे नहीं कि तीनों सीट वह हार गए और अब वह तीनों जीते हुए उम्मीदवार भाजपा में हैं। ऐसा ही कुछ वार्ड 14 और 10 में हुआ था जो मुझे याद है। वे अब भी भाजपा के साथ हैं। ऐसा ही कुछ इस बार दिखाई दे रहा है। टिकटों की दौड़ में लोग सक्रिय हो गए हैं। अब पता नहीं सच है या झूठ लेकिन चर्चा यह है कि भाजपा की टिकट लेने वालों को पार्टी फंड में चंदा देना पड़ेगा। ऐसे में बहुत से ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो कह रहे हैं कि टिकट ना मिली तो भी क्या अंतर पड़ता है। भाजपा को चंदा देने वाली रकम जनता में लगाएंगे और चुनाव जीत जाएंगे। एक निवर्तमान पार्षद से पूछा कि इतना पैसा लगाओगे तो आएगा कहां से? तो उसका कहना था कि अरे पंडित जी भूल गए। पिछली दफा 55-55 किलो मौसमी मिली थी, इस दफा चेयरमैन का चुनाव सीधा हो रहा है, क्या फर्क पड़ता है। वरिष्ठ उपमहापौर और उपमहापौर तो बनेंगे, मौसमियां तो मिलेंगी ही। फिर उनका तो यह कहना था कि भाजपा में इस बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि निर्दलीय चुनाव लडऩे पर पार्टी से निष्कासित कर देंगे। यह पार्टी की स्वाभाविक प्रक्रिया है, कर देंगे लेकिन यदि हम जीत गए तो वह निष्कासन अपने आप रद्द हो जाएगा। अभी तो यह भी सुनने में आ रहा है कि जजपा भी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी और कांग्रेस और आप पार्टी भी तो सबकी निगाह उन लोगों पर है, जिन्हें भाजपा टिकट नहीं देगी। वे उन्हें अपनी पार्टी से लड़ाने का प्रयास करेंगे। पिछली बार का चुनाव आपके सामने है। इस बार क्या होगा वह बहुत गहरी सोच बनती है। राव इंद्रजीत सिंह सदा ही निगम चुनाव में अपना वर्चस्व बनाने में लगे होते हैं। इसी प्रकार भाजपा में कहीं भी सामंजस्य नजर आता नहीं है। विधायक की राह अलग दिखाई देती है, जिला अध्यक्ष की अलग, मोर्चा अध्यक्षों की अलग। यहां तक कि मोर्चों के बाद प्रकोष्ठ और प्रकोष्ठ के बाद विभाग वरीयता में आते हैं तो विभाग प्रमुख भी अपने अलग ब्यान देते रहते हैं। कभी वह केंद्रीय मंत्रियों से मिलने की बात करते हैं, कभी वह हरियाणा के मंत्रियों से मिलने की बात करते हैं। उनकी निगाह में विधायक या जिला अध्यक्ष की कोई अहमियत नहीं है और मजेदारी देखिए, सबकुछ देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष उसकी पीठ थपथपाते हैं। तो देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि वर्तमान निगम चुनावों में कैसे-कैसे चक्रव्यूह रचे जाएंगे। आज गुरूकमल में भाजपा के दिग्गजों की बैठक हो रही थी और उसमें कहा गया कि हम जनता के सुख-दुख में हर वक्त साथ हैं और प्रात: सैक्टर-49 में गरीबों की झुग्गियां जल गई, उस पर किसी विधायक, भाजपा जिला संगठन के अधिकारी, प्रदेश अधिकारी या राष्ट्रीय अधिकारी की जबान पर कोई शब्द आया नहीं। अब अनुमान लगा लीजिए, ये जनता का कितना ख्याल रखते हैं। Post navigation कार्यकर्ताओं की मेहनत से पूरे हरियाणा में खिल रहा है कमल: ओम प्रकाश धनखड़ भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मिला किसानों का प्रतिनिधिमंडल