सुलगता सवाल…….रिश्वत-रिश्वत और रिश्वत, आखिर किसके लिए और क्यों ली जाती !

जीरो टोलरेंस भ्रष्टाचार मुक्त शासन 8 साल से सरकार के द्वारा दावे

जनवरी 2023 का मंगल मनोहर सरकार के लिये साबित हुआ अमंगल

बिना किसी शह और संरक्षण के भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी संभव ही नहीं

एक के बाद एक नियमित अंतराल पर रिश्वतखोरी के मामले आ रहे

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम ।  बीजेपी वन सरकार दावा किया गया जीरो टोलरेंस पॉलिसी भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन , सरकार का कार्यकाल पूरा हुआ । इसके बाद जननायक जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार का कार्यकाल आरंभ हुआ, गठबंधन सरकार में भी इसी दावे का दमदार तरीके से खूब प्रचार भी सरकारी स्तर पर किया गया ।

ताजा मामला पिछड़ा कहलाने वाला मेवात के नूह जिला में तैनात जिला शिक्षा अधिकारी से जुड़ा हुआ सामने आया । कुल मिलाकर अब जब विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय बाकी नहीं बचा रह गया और ऐसे नहीं आए दिन पूरे हरियाणा प्रदेश में कहीं ना कहीं से रिश्वतखोरी के मामले सामने आ रहे हैं और रिश्वतखोर पकड़े भी जा रहे हैं । हैरानी इस बात को लेकर है कि रिश्वत की रकम पर ध्यान दिया जाए तो यह रकम 2-4 हजार से लेकर आरंभ होती है और रिश्वत लेने वाला इन दो-चार-पांच हजार या अधिक की रिश्वत के साथ रंगे हाथों पकड़ा भी जा रहा है। अब ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि आखिर यह रिश्वत, रिश्वत लेने वाला अपने लिए या फिर किसी और के ही दबाव में बिना किसी डर भय के सामने वाले से वसूलता भी है ।

वर्ष 2023 का पहला मंगलवार गठबंधन सरकार के दावे को देखें तो सरकार और सरकार के दावे के लिए अमंगल ही साबित होता दिखाई दिया है । एक एचसीएस अधिकारी रिश्वत के मामले में धरा गया और इस मामले में सबसे बड़ी हैरानी आरोपी अधिकारी के परिजनों का शामिल होने के साथ-साथ उनके खिलाफ मामला दर्ज होना है । दूसरी और बात करें मेवात जिला के नूह के जिला शिक्षा अधिकारी की जिला शिक्षा अधिकारी की। आरोप अनुसार आरंभ में शिक्षा के मंदिर स्कूल में शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराने की एवज में 10 लाख की रिश्वत की मांग की गई , रिश्वत की रकम की मांग करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी का नाम रामफल धनकड़ बताया गया है । इस संदर्भ में राज्य सतर्कता ब्यूरो के द्वारा संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर अपनी हिरासत में ले लिया गया है और बुधवार को आरोपी रिश्वतखोर अधिकारी को कोर्ट में पेश किया जाएगा । सूत्रों के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी रामफल धनकर को 2. 5 लाख  रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोच आ गया। शिकायतकर्ता के मुताबिक स्कूल में बच्चों के पढ़ने के बैठने के लिए डेस्क सप्लाई करने अथवा आपूर्ति करने या फिर खरीद करने के बदले में 10 लाख रुपए की मांग की गई थी । यह डेस्क मेवात जिला के विभिन्न स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए उपलब्ध करवाए जाने थे । आरोप है कि संबंधित अधिकारी पहले भी  रिश्वतखोरी की रकम वसूल कर चुका है ।

बताया गया है कि स्कूलों में डेस्क सप्लाई करने वाले अथवा आपूर्ति करने वाले हिसार निवासी शिकायत करने वाला जोकि इस काम के लिए रिश्वत देने के पक्ष में नहीं था। अंततः उसके द्वारा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो से संपर्क कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई , इसके बाद में विजिलेंस ब्यूरो के द्वारा अपनी कार्यप्रणाली और योजना के तहत इस कार्यवाही को अंजाम देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी जामफल धनकड़ को रंगे हाथ दबोच लिया गया । अब बुधवार को आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी रामफल धनखड़ को आगामी कार्रवाई के लिए कोर्ट में पेश किया जाएगा । कुल मिलाकर देखा जाए तो हरियाणा सरकार अधिकांश सरकारी संस्थानों या फिर सरकारी सामान की खरीद-फरोख्त के लिए ऑनलाइन या फिर टेंडर प्रक्रिया को प्राथमिकता देने का दावा करते हुए इसी प्रक्रिया पर अमल भी कर रही है । लेकिन लगता है इस ऑनलाइन खरीद-फरोख्त प्रक्रिया में भी कहीं ना कहीं कोई ऐसा खेल खेला जा रहा है या फिर इस प्रकार की प्रक्रिया मैं भी भ्रष्टाचार का कोई ना कोई ऐसा सुराग छोड़ दिया गया, जिसे रिश्वतखोर अधिकारी या फिर सरकारी खरीद में अपनी हिस्सेदारी निकालने वाले खिलाड़ी वास्तव में सरकार की हर जीरो टोलरेंस पॉलिसी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन को भी पलीता लगाने से अपने खेल के पक्के खिलाड़ी साबित होते जा रहे हैं ।

बहरहाल रिश्वतखोरी में अपना हिस्सा बटोरने वाले और भ्रष्टाचार के खिलाड़ी सरकार की हरनीति और पॉलिसी के लिए कहीं ना कहीं एक प्रकार से चुनौती ही साबित होते आ रहे हैं । मंगलवार को एचसीएस अधिकारी का पकड़े जाना और इसमें भी हैरानी की बात अधिकारी के परिजनों का शामिल रहना , अपने आपने सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती सहित नई नीति पर काम करने के लिए चिंतन और मंथन का कारण बनता दिखाई दे रहा है । अक्सर सरािर का यही रटर-रटाया जवाब होता कि कानून अपना काम कर रहा है। कुल मिलाकर लाख टके का सवाल यह है कि आखिर रिश्वत क्यों , इसके लिए और किसके इशारे पर लेने का खेल चल रहा है ? भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के गठबंधन सरकार को अपनी जीरो टोलरेंस पॉलिसी सहित भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रशासन की कसौटी पर पूरी तरह से खरा उतरना है तो अभी भी बहुत समय बाकी है , जिस पर सरकार गंभीरता से चिंतन मंथन करते हुए रिश्वतखोरी जैसे मामले पर पूरी तरह से लगाम तो नहीं लगा सकती,  हां इस प्रकार के मामलों में शामिल लोगों को मामला दर्ज होते ही कोई ना कोई ऐसा ठोस कदम या एक्शन अवश्य ले सकती है,  जिससे कि अन्य लोगों को भी एक नया सबक सीखने के लिए मिल जाए।

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