चंडीगढ़, 28 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने विपक्ष के नेता द्वारा राज्य सरकार पर अधिक कर्ज होने के गलत बयान देने पर निशाना साधते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष का बयान तथ्यों से परे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कैग की 2021-22 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि राज्य पर 4,15,000 करोड़ रुपये से अधिका का कर्ज है। जबकि वास्तविकता यह है कि कैग की रिपोर्ट में 2021-22 में हरियाणा पर कर्ज की राशि 2,39,000 करोड़ रुपये दिखाई गई है। हरियाणा सरकार की अकाउंट बुक्स में 2,27,697 करोड़ रुपये का कर्ज दर्ज है। यदि इस राशि का अंतर भी निकाला जाए तो केवल 12 हजार करोड़ रुपये की ही अंतर दिखता है, परंतु किसी भी लिहाज से राज्य पर 4,15,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की ऋण की स्थिति हमेशा सही बतानी चाहिए और सदन में रखे गए तथ्य सही होने चाहिएं। मुख्यमंत्री, जिनके पास वित्त विभाग का प्रभार भी हैं, ने सदन को अवगत कराया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा 4 प्रतिशत तक कर दी थी, जबकि हरियाणा सरकार तो इस सीमा को 2.99 प्रतिशत तक बनाये रखने में कामयाब है। कोरोना काल में केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार हम 40,661 करोड़ रुपये ले सकते थे, जबकि हमने 30,000 करोड़ रुपये ऋण लिया। जबकि 2021-22 के दौरान 40,870 करोड़ रुपये का ऋण ले सकते थे, लेकिन हमने 30,500 करोड़ रुपये ही लिया। नो लिटिगेशन पॉलिसी –2022 की घोषणा सत्र के दौरान पटौदी के विधायक श्री सत्यप्रकाश जरावता द्वारा उठाए गए मुद्दे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सहरावन गांवों में औद्योगिक मॉडल टाउनशिप के विकास के लिए लगभग 1810 एकड़ भूमि के अधिग्रहण पर असंतोष के चलते भूमि अधिग्रहण में विलम्ब को देखते हुए नो लिटिगेशन पॉलिसी -2022 बनाई गई है। विस्थापित भूस्वामियों के उचित पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिग्रहण कार्यवाही अपनाई गई है। इस नीति का उद्देश्य भू – स्वामियों की स्वैच्छिक भागीदारी से तेजी से विकास सुनिश्चित करना है। इसके लिए उन भूस्वामियों को जो अपनी भूमि के अधिग्रहण को चुनौती नहीं देने का विकल्प चुनते हैं और मुआवजे की स्वीकृत राशि को स्वीकार करते हैं, उन्हें पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जाएगा। नीति के तहत, भूस्वामी अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए कुल 1000 वर्ग मीटर के विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड आवंटित करने के विकल्प का चयन करने के पात्र होंगे। श्री मनोहर लाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 के भूमि अधिग्रहण के मामले में निर्णय दिया कि मुआवजा उस समय के रेट के अनुसार ही दिया जाए, जो 92 लाख प्रति एकड़ बनता है। लेकिन गुरुग्राम में क्लेक्टर रेट अधिक हैं और इतने सालों के बाद मुआवजा दिया जा रहा है, तो यह महसूस किया गया कि उन्हें थोड़ी अधिक राशि मिलनी चाहिए, इसलिए उपरोक्त नई नीति बनाई गई है। इसके तहत अब भू स्वामियों को 2 करोड़ 67 लाख रुपये दिये जाएंगे। इन विकसित भूखंडों के आवंटन की दर पहली फ्लोटेशन के समय निर्धारित आरक्षित मूल्य यानी 17,550 रुपये प्रति वर्गमीटर के बराबर होगी। विकसित भूखण्डों का आवंटन मानक आकार के गुणकों में ही किया जायेगा। विकसित आवासीय भूखंडों के लिए मानक आकार 100 वर्गमीटर और 150 वर्गमीटर और विकसित औद्योगिक भूखंडों के लिए मानक आकार 450 वर्गमीटर होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में जहां विकसित भूखंडों की पात्रता विकसित भूखंड के मानक आकार के पूर्णांकी गुणक से अधिक हो तो पात्र क्षेत्र के लिए आवंटित क्षेत्र में से विकसित प्लॉट को घटाकर बाय – बैक मूल्य पर मौद्रिक लाभ प्रदान किया जाएगा। ऐसे मामलों में जहां विकसित भूखंड की पात्रता विकसित भूखंड के मानक आकार / ऐसे भूखंडों के पूर्णांकी गुणक से कम है , लेकिन 10 प्रतिशत की सीमा के अंदर है , भूस्वामी पात्र क्षेत्र से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र पहले फ्लोटेशन के समय निर्धारित बाय – बैक मूल्य पर खरीद सकता है। नोडल एजेंसी एच.एस.आई.आई.डी.सी. इस नीति के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि से 3 महीने की अवधि के भीतर भूमि मालिक के आवंटन हिस्से के आधार पर भूमि अधिकार प्रमाण पत्र जारी करेगी। भूमि अधिकार प्रमाण पत्र का लेन – देन , क्रय – विक्रय किया जा सकता है तथा विकसित भूमि का आबंटन भूखण्डों के आबंटन के समय प्राप्त भूमि अधिकार प्रमाण – पत्रों के आधार पर किया जायेगा। भूमि अधिकार प्रमाण – पत्र धारकों को विकसित भूखण्डों का आबंटन तभी किया जायेगा, जब स्थल के संबंध में मूलभूत अवसरंचना सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएगी। तब तक विकसित भूखण्ड की पात्रता की एवज में कोई भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भू – स्वामी को भूमि क्षतिपूर्ति अवार्ड के अलावा 33 वर्ष की अवधि के लिए 21,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष के वार्षिक भुगतान के रूप में अतिरिक्त मूलभूत भरण – पोषण के विकल्प का लाभ उठाने का भी अधिकार होगा। 21,000 रुपये की वार्षिकी राशि में हर वर्ष 750 रुपये की निश्चित बढ़ोतरी की जाएगी । भू – स्वामी / भूमि अधिकार प्रमाणपत्र धारक के अनुरोध पर नोडल एजेंसी आवंटन मूल्य 17.550 रुपये प्रति वर्गमीटर घटाकर तय दरों पर वैध भूमि अधिकार प्रमाणपत्र वापिस खरीद लेगी। Post navigation सीएम विंडो के सदस्यों की एसीपी से हुई अहम बैठक विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कुल 4 विधेयक पारित किए गए