चंडीगढ़, 28 दिसंबर – हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन  कुल 4 विधेयक पारित किए गए।

पारित किए गए विधेयकों में हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक, 2022, हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 तथा हरियाणा नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 तथा हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022 शामिल हैं।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक

हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबन्धक) संशोधन विधेयक, 2022 हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबन्धक) अधिनियम, 2014 को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है।

इसके तहत, हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबन्धक) अधिनियम, 2014 की धारा 16 में उप-धारा (8) के विद्यमान परन्तुकों के स्थान पर नये परन्तुक प्रतिस्थापित किए जाएंगे।

इसके अनुसार, सरकार द्वारा इस निर्दिष्ट सभी इकतालीस सदस्य अपना अध्यक्ष, वरिष्ठ  उपाध्यक्ष, कनिष्ठ उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और छ: सदस्य निर्वाचित करेंगे, जो समिति के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य होंगे। इनका प्रथम अधिवेशन सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी द्वारा बुलाया जाएगा और वही उसकी अध्यक्षता करेगा। तदर्थ समिति और कार्यकारी बोर्ड नई समिति बनने के बाद अस्तित्वहीन हो जाएगा। नई चुनी गई हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा चार्ज संभालने के बाद तदर्थ समिति नई चुनी गई कमेटी को चार्ज सौंप देगी।

परन्तु यदि अठारह मास की अवधि के भीतर धारा-11 के अधीन चुनाव नहीं होते हैं, तो सरकार द्वारा अठारह मास की और अवधि या जब तक चुनाव नहीं होते, जो भी पहले हो, के लिए नई तदर्थ समिति नामित की जाएगी।  नई निर्वाचित हरियाणा गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति द्वारा कार्य ग्रहण करने के बाद, तदर्थ समिति नई निर्वाचित समिति को कार्यभार सौंपेगी।

अधिनियम की उप-धारा (8) के बाद नई उप-धारा (9) जोड़ी जाएगी। इसके अनुसार, सरकार समिति या तदर्थ समिति के किसी एक सदस्य को संरक्षक के रूप में नामित कर सकती है, जो निर्वाचित कार्यकारी बोर्ड का सदस्य होगा।

हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022

हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 को संशोधन करने के लिए हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 के हरियाणा अधिनियम-16 की धारा-2 तथा धारा-346 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने से ‘कोर क्षेत्र’ से अभिप्राय 50 वर्ष पूर्व योजनाबद्ध या विकसित नगरपालिका सीमा के भीतर निर्मित क्षेत्र और जिसे शहरीकरण तथा समय व्यतीत होने के कारण भूमि उपयोग की पुनर्याेजना की आवश्यकता है और इसमें ग्राम आबादी का निर्मित क्षेत्र भी शामिल है, जिसे नगर सीमा में, बाद में शामिल किया गया है।

संशोधन अनुसार, निदेशक उपधारा (1) के अधीन घोषणा की तिथि से छ: मास के अपश्चात् या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर, जो सरकार अनुज्ञात करे, नियन्त्रित क्षेत्र को दर्शाते हुए और इसमें नियन्त्रित क्षेत्र में लागू किए जाने के लिए प्रस्तावित निर्बन्धनों तथा शर्ताें के स्वरूप को दर्शाते हुए योजनाएं तैयार करके सरकार को प्रस्तुत करेगा। लेकिन सरकार द्वारा यथा अधिसूचित योजना मानदण्डों तथा प्रभारों के भुगतान तथा वसूली के अधीन कोर क्षेत्र में मिश्रित भूमि उपयोग को अनुमति दी जाएगी।

नगर पालिका सीमा अधिनियम, 1994 में नगर पालिका सीमा में और उसके आस पास नियंत्रित क्षेत्र को अधिसूचित करने का प्रावधान है।  इसके अलावा, नगर पालिकाओं के आस पास बेतरतीब विकास को विनियमित करने के लिए पंजाब अनुसुचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र ‘अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963’ के तहत नियंत्रित क्षेत्रों की घोषणा और ऐसे नियंत्रित क्षेत्रों के लिए विकास योजना के प्रकाशन का भी प्रावधान है। नगर पालिका शहर के भीतर का क्षेत्र हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 द्वारा शासित और विनियमित किया जाता है। क्षेत्र की एकीकृत योजना के उद्देश्य से 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिसूचित नियंत्रित क्षेत्रों और विकास योजनाओं के प्रस्तावों को नगर पालिका सीमा में हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 के तहत अपनाया गया है।

मौजूदा शहर बिना प्लानिंग के विकसित हुए हैं। इसलिए मौजूदा शहरों में विकास योजना में कोई भूमि उपयोग को परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अलावा, जहां नियंत्रित क्षेत्र नगर पालिका सीमा के चारों तरफ घोषित किए गए है, उक्त नगर पालिका सीमा के भीतर खाली पड़े क्षेत्रों को विकास योजनाओं में विभिन्न भूमि उपयोगों हेतु नियत किया गया है, जो कि केवल सलाहकार प्रवृति के है क्योंकि, 1963 के अधिनियम के प्रावधान इन क्षेत्रों में लागू नहीं होते।

इसके अलावा, मौजूदा शहर या कोर क्षेत्र, जो मुल रूप से मिश्रित भूमि उपयोग क्षेत्र है, को न तो पंजाब अनुसुचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963 और न ही हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में परिभाषित किया गया है। पारंपरिक रूप से नगर पालिकाएं भवन योजनाओं को कोर क्षेत्रों में मंजूर करते हुए इसे मिश्रित-भू उपयोग प्रकृति का मानती है। परंतु किसी भी अधिनियम में कोर क्षेत्र को परिभाषित नहीं किया गया है। इस प्रकार, कोर क्षेत्र और मिश्रित भूमि उपयोगों पर कोई स्पष्टता नहीं है।

अत: हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में संशोधन के द्वारा कोर क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए कोर क्षेत्र की परिभाषा और मिश्रित-भू उपयोग संबन्धी प्रावधान कोर क्षेत्र में करने की आवश्यकता है।

हरियाणा नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022

हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973, को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

        हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973, के अधिनियम 24 की धारा-2 तथा 203-ग में संशोधन किया गया है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने से ‘कोर क्षेत्र’ से अभिप्राय 50 वर्ष पूर्व योजनाबद्ध या विकसित नगरपालिका सीमा के भीतर निर्मित क्षेत्र और जिसे शहरीकरण तथा समय व्यतीत होने के कारण भूमि उपयोग की पुनर्याेजना की आवश्यकता है और इसमें ग्राम आबादी का निर्मित क्षेत्र भी शामिल है, जिसे नगरपालिका सीमा में, बाद में शामिल किया गया है।

संशोधन अनुसार, निदेशक उपधारा (1) के अधीन घोषणा की तिथि से 6 मास अपश्चात् या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर, जो सरकार अनुज्ञात करे, नियन्त्रित क्षेत्र को दर्शाते हुए और इसमें नियन्त्रित क्षेत्र में लागू किए जाने के लिए प्रस्तावित निर्बन्धनों तथा शर्तांे के स्वरूप को दर्शाते हुए योजनाएं तैयार करके सरकार को प्रस्तुत करेगा।

बशर्तें की निदेशक, नगर एंव ग्राम आयोजना द्वारा पहले से ही नियंत्रित क्षेत्रों के रूप में घोषित क्षेत्रों की योजनाओं और ऐसे नियंत्रित क्षेत्रों पर लागू होने वालो प्रतिबन्धों और शर्तों की प्रकृति को संशोधनों के साथ, राज्य सरकार से पूर्व अनुमोदन के साथ अपनाया जा सकता हैं।

नगर पालिका सीमा अधिनियम, 1973 में नगर पालिका सीमा में और उसके आस पास नियंत्रित क्षेत्र को अधिसूचित करने का प्रावधान है।  इसके अलावा, नगर पालिकाओं के आस पास बेतरतीब विकास को विनियमित करने के लिए पंजाब अनुसुचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र ‘अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963’ के तहत नियंत्रित क्षेत्रों की घोषणा और ऐसे नियंत्रित क्षेत्रों के लिए विकास योजना के प्रकाशन का भी प्रावधान है।

चूंकि, मौजुदा शहर बिना प्लानिंग के विकसित हुए हैं। इसलिए मौजुदा शहरों में विकास योजना में कोई भूमि उपयोग को परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अलावा, जहां नियंत्रित क्षेत्र नगर पालिका सीमा के चारों तरफ घोषित किए गए हैं। उक्त नगर पालिका सीमा के भीतर खाली पड़े क्षेत्रों को विकास योजनाओं में विभिन्न भूमि उपयोगों हेतु नियत किया गया है, जो कि केवल सलाहकार प्रवृति के है क्योंकि, 1963 के अधिनियम के प्रावधान इन क्षेत्रों में लागू नहीं होते।

इसके अलावा, मौजूदा शहर या कोर क्षेत्र, जो मूल रूप से मिश्रित भूमि उपयोग क्षेत्र है, को न तो पंजाब अनुसुचित सडक़ तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963 और न ही हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 में परिभाषित किया गया है।

अत: इस भ्रम को दूर करने के लिए हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 में संशोधन के द्वारा कोर क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए कोर क्षेत्र की परिभाषा और मिश्रित-भू उपयोग संबन्धी प्रावधान करने की आवश्यकता है।

हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022

यह अधिनियम हरियाणा विनियोग (संख्या 4) अधिनियम, 2022 कहा जाएगा। इस अधिनियम द्वारा राज्य की संचित निधि में से भुगतान की जाने और उपयोग में लाई जाने वाली राशियों का विनियोग उन्हीं सेवाओं और प्रयोजनों के लिए किया जायेगा, जो मार्च, 2023 के इकतीसवें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के सम्बन्ध में बताए गए हैं।

        यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में वित्त वर्ष 2022-23 के खर्च के लिए विधान सभा द्वारा किए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से 1221,57,30,000 रुपये की अपेक्षित राशी के भुगतान और विनियोग हेतु उपबन्ध करने के लिए पारित किया गया है।

error: Content is protected !!