गुरूग्राम 23/12/22 तरविंदर सैनी (माईकल) – आम आदमी पार्टी नेता के अनुसार हरियाणा शहरी निकाय मुख्यमंत्री स्वामित्व योजना जून 2021 में तैयार हुई जिसके तहत 1730 आवेदकों ने अपने दावे-आवेदन प्रस्तुत किए मगर उनमें बताई गई खामियों तथा अन्य विभागों की संपत्ति पर किए गए दावों के चलते 1130 आवेदन रद्द कर दिए गए और करीब 700 आवेदन ऐसे हैं जिन्हें अभी भी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ रहा है और कुछेक अपना हक पाने में सफल भी हुए हैं जब कैसे हुए यह अपने आप मे बड़ा सवाल और जांच का विषय रहा है !

गत माह पूर्व स्वामित्व प्रदान करने वाली इस योजना की आड़ में बरती गई अनियमितताओं व तथाकथित लेन-देन कर गलत को सही करके और सही को चक्कर लगाने पर मजबूर कर किए गए भृस्टाचार के आरोप नगर निगम अधिकारियों पर लगे जिसमें कुछ भाजपा नेताओं की संलिप्तता का भी जिक्र बताया गया जिसपर सवाल उठने पर जांच करने के नाम पर आरोपी अधिकारियों के विभागीय तबादले कर मामले (योजना) को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया !

एक बार फिर से हरियाणा सरकार के दयावान मुख्यमंत्री जी ने इस योजना का विस्तार करते हुए कई और विभागों की संपत्तियों को इस योजना में शामिल किया है और जिसके लिए पंद्रह दिनों की समय सीमा भी तय कर दी गई है और आवेदकों द्वारा कब्जा अवधि के आधार पर सर्कल रेट भी तय कर दिए हैं परन्तु सवाल पुराने हुए भृस्टाचार को लेकर क्या हुआ जाँच कहाँ तक पहुंची और कितने आरोपी पकड़े जाने के बाद उनसे वसूली की गई को लेकर तो है ही साथ में यह कौन जिम्मेदारी लेगा कि अब नवीन विस्तारित योजना के तहत भृस्टाचार नहीं होगा ?

माईकल सैनी कहते हैं कि भूमि पर काबिज वर्षो के अनुरूप ही कलेक्टर रेट तय किया गया है जैसे 20 साल से काबिज को 80% देने पर ही मालिकाना हक दिया जाएगा और 25 से 30 वर्ष वालों को 75-70%भुगतान करना होगा तथा 35 वर्ष वालों को 65%और 40 वर्ष वालों को 60% व 45 वालों को 55% और 50 वर्ष वालों को 50% कलेक्टर रेट भुगतान करने पर ही मालिकाना हक दिया जाएगा , तो क्या वह भूमि जिनपर दुकानदार वर्षो से किराया देकर काबिज हैं उन्हें उजाड़ तो सकती नहीं और उनसे वह जगह खाली भी नहीं करा सकती है इसलिए ऐसी स्वामित्व योजना बनाई है कि सरकार बुरी भी नहीं बनी और रेवेन्यू कलेक्शन भी हो जाएगा और भृस्टाचारियों की जेबें भी गर्म हो जाएंगी यदि पारदर्शिता नहीं बरती गई तो जैसे कि पूर्व में हुआ जिसकी जांच तक को महत्व नहीं दिया गया यहां तक कि जिन्हें मालिकाना हक मिला है उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज दुरुस्त थे भी अथवा नहीं ! अर्थात पैसे लेकर स्वामी बना देना – दान करना नहीं नीलामी करना कहलाता है ।

error: Content is protected !!