चरखी दादरी जयवीर फौगाट,

कृषि विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण

14 दिसंबर, दिसंबर के महिने में भी दिन के समय तापमान काफी अधिक देखने को मिल रहा है। दिन के समय तेज धूप के कारण रबी सीजन की फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। मौजूदा सीजन में ठंड नहीं होने से फसलों में वृद्धि नहीं हो रही है जिससे किसानों की चिंता बढ़ी हुई है।

रबी सीजन के तहत लगाई जाने वाली गेहूं, सरसों, जौ, चना आदि को ठंड की फसलें माना जाता है। लेकिन मौजूदा रबी सीजन में रात के समय तो ठंड होती है लेकिन दिन के समय काफी तेज धूप होने से मौसम फसलों के लिए अनुकूल नहीं है। दिन के समय तापमान अधिक होने से फसलों की वृद्धि रुक गई है जिसके कारण किसान परेशान हैं। किसान सुनील कुमार, संजय, महताब, भूपेंद्र, सोमबीर, ओमदत्त, राजपाल, सुरेंद्र आदि ने बताया कि दिसंबर के महिने में ठंड पड़नी शुरू हो जाती है जिससे फसलों में अच्छी ग्रोथ शुरू हो जाती है लेकिन इस सीजन अभी तक दिन के समय धूंध व ठंड देखने को नहीं मिली है जिसके कारण तापमान दिन के समय तापमान काफी अधिक बना रहता है जो फसलों को नुकसान पहुुंचा रहा है। किसानों ने कहा कि रेतीली मिट्टी होने के कारण सिंचाई के बाद भी मिट्टी जल्दी सूख जाती है जिससे फसलों में अधिक दिनों तक नमी नहीं बनी रहने के कारण अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

फसलें बर्बाद होने की कगार पर : किसान

क्षेत्र के किसानों ने कहा कि दिसंबर के महीने में ठंड व धुंध गिरने से तापमान में गिरावट हो जाती है लेकिन इस बार दिन के समय काफी तेज धूप होने से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरसों की फसल तो बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है। किसानों के अनुसार अधिक तापमान के कारण सरसों की फसल के लिए कैंसर कहा जाने वाला मरगोजा उग गया है। किसानों ने बताया कि मरगोजा के प्रभाव से उत्पादन पूरी तरह से कम हो जाता है जिसके डर से कई किसानों ने तो सरसों की जुताई कर पछेती जौ आदि की फसल लगानी पड़ी हैं जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

फसलों के लिए मौसम नहीं है अनुकूल : डा. चंद्रभान

चरखी दादरी कृषि विभाग में कार्यरत कृषि विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि रबी सीजन की फसलों के लिए दिन के समय तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए। लेकिन वर्तमान में दिन का तापमान 25 डिग्री से अधिक बना हुआ है जो गेहूं व सरसों के लिए काफी हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि मौसम के प्रतिकूल मौसम के चलते गेहूं व सरसों की फसल में वृद्धि रूक गई है जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा। डा. चंद्रभान ने बताया कि मौसम की मार से बचने के लिए किसानों को उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर फसलों की सिंचाई करनी चाहिए ताकि खेत में नमी बरकरार रख खेत के तापमान को कम कर फसलों में होने वाले नुकसान से कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सके।

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