गुरुग्राम कोर्ट के द्वारा सरकार को सबक, विपक्ष को मिला मुद्दा खेड़की दौला के नजदीक पीडब्ल्यूडी ऑफिस में लटका ताला मामला जमीन अधिग्रहण सहित मुआवजे के भुगतान को लेकर शासन-प्रशासन सहित सरकारी महकमे में भी मची खलबली फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । भारतीय न्याय व्यवस्था पर प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा अटूट विश्वास बना हुआ है । जब कहीं भी किसी भी मामले की प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर संबंधित विभाग के जिम्मेदार जवाबदेय वरिष्ठ अधिकारियों सहित सरकार के प्रतिनिधियों के द्वारा भी अनदेखी की जाती है तो फिर पीड़ितों के पास कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अंतिम विकल्प ही बचता है । लेकिन हरियाणा के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने वाले साइबर सिटी गुरुग्राम में एक ऐसा बेहद चौंकाने वाला और भारतीय जनता पार्टी सहित जननायक जनता पार्टी गठबंधन सरकार को सबक सिखाने का मामला सामने आया है , जिसमें गुरुग्राम की कोर्ट के द्वारा पीड़ित के पक्ष में फैसला देते हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के महत्वपूर्ण विभाग पीडब्ल्यूडी के ऑफिस को सील करने के साथ-साथ विभागीय गाड़ियां भी इंपाउंड करने के आदेश जारी किए गए। इसके बाद कोर्ट के आदेश की पालना करते हुए पीडब्ल्यूडी ऑफिस के सेकंड फ्लोर पर ताला लटका दिया गया तथा सरकारी विभागीय गाड़ियों को इंपाउंड कर उनकी चाबी भी ज़ब्त कर ली गई । संबंधित अधिकारियों के द्वारा मुआवजा का भुगतान का आश्वासन देने के बाद गाड़ियों की चाबी लौटा देने की जानकारी सूत्रों के मुताबिक प्राप्त हुई है । लेकिन इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है कि पीडब्ल्यूडी विभाग के ऑफिस जिसकी लोकेशन खेड़की माजरा के आसपास बताई गई , वहां सेकंड फ्लोर पर लगाया गया ताला खुला या फिर अभी ताला लटका हुआ है। इस मामले में जानकारी के मुताबिक पीड़ित अमित का कहना है कि करीब एक दशक पहले खेड़की माजरा से फरुखनगर के लिए सड़क बनाने को वास्ते महज 10 फुट की जमीन पर सड़क बनाई गई। जिस स्थान पर सड़क बनाई गई वह जमीन किसानों की और कृषि योग्य जमीन है , लेकिन देखते ही देखते इस सड़क की चौड़ाई 90 फुट तक पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा कर दी गई । इस संबंध में संबंधित किसानों को न तो कोई सूचना दी गई न नोटिस दिया गया, बिना जानकारी दिए इस सड़क का निर्माण कर दिया गया । आरटीआई के माध्यम से प्राप्त की गई जानकारी के बाद इस पूरे प्रकरण को गुरुग्राम कोर्ट में ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ गया। सभी साक्ष्य और दस्तावेजों को देखने पर परखने के बाद माननीय न्यायधीश विक्रांत शर्मा की कोर्ट के द्वारा पीड़ितों के पक्ष में फैसला देते हुए पीडब्ल्यूडी ऑफिस तथा विभागीय गाड़ियों को अटैच करने के आदेश देते हुए ऑफिस परिसर जहां पर पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी बैठे है , वहां पर ताला लगाने के आदेश जारी कर दिए गए । सूत्रों के मुताबिक कोर्ट के इस आदेश को सेशन कोर्ट में भी कथित रूप से चुनौती दी गई , वहां भी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को निराशा ही हाथ लगी है । इस पूरे प्रकरण में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पीड़ित लोगों और किसानों की मानी जाए तो अदालत में केस लड़ने के दौरान ही जितना खर्चा हो चुका है , पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी उसका आधा पैसा मुआवजे के रूप में भुगतान करने के लिए कह रहे हैं । दूसरी ओर जो जमीन अधिग्रहण कर कथित रूप से जबरन 90 फुट की सड़क का निर्माण किया गया । यदि उस जमीन का मौजूदा बाजार भाव देखा जाए तो 12 करोड़ से भी अधिक का बनता है । लेकिन मुआवजा भुगतान के नाम पर विभाग सहित सरकार पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं । पीड़ित पक्ष के मुताबिक जिस स्थान पर यह सड़क मार्ग बनाया गया उसके आसपास आज हाई राइज बिल्डिंग और आधुनिक आवास का निर्माण भी हो चुका है। यहां पर एक फ्लैट की कीमत औसतन 2 करोड रुपए है । दूसरी ओर पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा ढाई लाख रुपए मात्र मुआवजा भुगतान करने के लिए पहल की जा रही है । सूत्रों के मुताबिक पीड़ित पक्ष के एडवोकेट गगन के मुताबिक गुरुग्राम कोर्ट के माननीय न्यायधीश विक्रांत शर्मा के द्वारा जमींदारों सहित पीड़ितों के पक्ष में जो फैसला दिया गया है , यह वास्तव में एक ऐतिहासिक फैसला है । पीड़ित किसान बीते एक दशक से अपनी जमीन लौटाने या फिर उचित मुआवजे की मांग विभिन्न स्तर पर करते चले आ रहे थे । लेकिन कहीं भी शासन-प्रशासन के स्तर पर न्याय नहीं मिला, इसके बाद मजबूरी में कोर्ट में ही मामले को लेकर आना पड़ा । पीड़ित पक्ष के लोगों का कहना है हरियाणा की गठबंधन सरकार एक तरफ तो किसान हितैषी होने का दावा करते हुए रात दिन प्रचार कर रही है और सरकार के मंत्री से लेकर सत्ता पक्ष के नेता खूब ढोल भी बजा रहे हैं । लेकिन कोर्ट के फैसले ने इस ढोल की पोल भी खोलने का काम कर दिखाया है । पीड़ित पक्ष के लोगों का कहना है कि उनकी मंशा लोगों को जो सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई , उसमें किसी प्रकार का खलल डालने की नहीं है । लेकिन जिस प्रकार से गुमराह करते हुए सड़क का निर्माण किया गया और जमीन को अधिग्रहण किया गया । उसका मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से हरियाणा सरकार या फिर पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए। अन्यथा किसान सड़क पर ही कृषि-खेती करने से भी पीछे रहने वाले नही है। Post navigation वैश्य समाज की महिलाओं ने किया लड्डू गोपाल जन्मोत्सव का आयोजन अहीर रेजिमेंट का मुद्दा…… … और बेलगाम हो गया संयुक्त अहिर रेजीमेंट मोर्चा का आंदोलन !