आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प सहित हुआ पथरावबीती

4 फरवरी 2022 से खेड़की दौला पर जारी है आंदोलन

शुक्रवार को कोई भी बड़ा प्रभावशाली चेहरा नहीं दिखाई दिया

खेड़की दौला धरना स्थल की पहले ही कर ली गई थी नाकेबंदी

मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते आंदोलनकारियों ने बरसाए पत्थर

अधिकांश पुलिसकर्मी आंदोलन के दौरान बिना हेलमेट के दिखाई दिए

फतह सिंह उजाला

खेड़की दौला/गुरूग्राम । संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के तत्वाधान में बीती 4 फरवरी से भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर चला आ रहा धरना प्रदर्शन शुक्रवार को पूरी तरह से बेलगाम दिखाई दिया । इसका मुख्य कारण शुक्रवार को पूर्व घोषणा के मुताबिक दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे खेड़की  दौला पर ही एक खाट और एक हुक्का के नारे के साथ जान किया जाने की घोषणा और इससे पहले अलग-अलग गांव में पहुंचकर जनसमर्थन जुटाने के बावजूद किसी भी बड़े नामी और प्रभावशाली अहीर नेता का दिखाई नहीं देना रहा है ।

शुक्रवार को अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक बड़ी भारी संख्या में विभिन्न स्थानों से और अलग-अलग गांवों से निकलते हुए अहीरवाल रेजीमेंट मांग का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारी मुख्य आंदोलनकारी स्थान पर पहुंचने के लिए आरंभ हो गए। लेकिन पुलिस प्रशासन के द्वारा पहले से ही खेड़की दौला पर जारी धरना प्रदर्शन स्थल के चारों तरफ बैरिकेट्ड लगाकर नाकेबंदी कर वहां प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ठोस और पुख्ता प्रबंध कर लिए गए थे।  जिसके कारण अधिकांश प्रदर्शनकारी और पुलिस कर्मचारियों के बीच तनातनी का माहौल बनने के साथ ही अचानक ही यह आंदोलन बेलगाम होते हुए हिंसात्मक हो गया । प्रदर्शनकारियों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए कथित रूप से पत्थरबाजी भी की गई । इस संदर्भ में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक कई पुलिसकर्मी घायल होना बताए गए हैं । हालात और आंदोलन की व्यापकता को देखते हुए जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा । इसके साथ ही आंदोलनकारियों को हिरासत में लेने लेने के लिए बड़ी संख्या में हरियाणा राज्य परिवहन विभाग की बसों की भी व्यवस्था की गई थी । अनेक प्रदर्शनकारियों को पुलिस प्रशासन के द्वारा हिरासत में लेकर मानेसर पुलिस लाइन, मोकलवास मैं अस्थाई पुलिस थाना, सेक्टर 37 पुलिस थाना, धारूहेड़ा पुलिस थाना, खेड़की दौला थाना, सदर थाना सहित अन्य स्थानों पर ले जाकर अस्थाई रूप से हिरासत में लिया गया । हिरासत में लेने के बावजूद भी प्रदर्शनकारियों के हौसले बुलंद रहे तथा जय माधव जय राघव और अहीर रेजिमेंट हक हमारा जैसे नारेबाजी करते हुए पुलिस हिरासत के दौरान ताश खेलते भी देखे गए ।

शुक्रवार को मुख्य रूप से पुलिस के द्वारा विभिन्न थानों में या पुलिस लाइन में हिरासत में लिया जाने के बाद जो नाम सामने आए हैं उनमें प्रमुख रूप से भारतीय जनता पार्टी पंचायती राज जिला प्रकोष्ठ के सह संयोजक सरपंच सुंदर लाल यादव, धर्म सिंह नंबरदार , सतीश , होशियार सिंह, हरजस , कंवरलाल , कर्मवीर, उमेद, कैलाश ,राज सिंह, लक्ष्मी सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल बताए गए । पुलिस सूत्रों के मुताबिक उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों के द्वारा बुलेट मोटरसाइकिल से पटाखे जैसी आवाजें चलाकर जमकर हंगामा किया गया। वही यह भी बताया गया है कि इस बेकाबू बेलगाम हिंसात्मक आंदोलन के दौरान कथित रूप से खेड़की के ही एक व्यक्ति के द्वारा पुलिस बैरिकेड पर ट्रैक्टर चढ़ाने सहित पुलिसकर्मियों को भी नुकसान पहुंचाने का दुस्साहस किया गया । प्रदर्शनकारियों में शामिल रहे एक और बड़ा चेहरा सिंगर राहुल फाजिलपुरिया तथा जननायक जनता पार्टी से जुड़े हुए नेता सूबे सिंह बौहरा सहित अन्य लोगों को भी पुलिस हिरासत में लिया जाने की जानकारी उपलब्ध हुई है । इस संदर्भ में सिंगर राहुल फाजिलपुरिया का कहना है कि अहीरवाल के लोगों ने आजादी के आंदोलन से लेकर मौजूदा समय तक अपना सर्वाेच्च आत्म बलिदान सेना और देश की सुरक्षा के लिए दिया। यह आंदोलन बेहद शांतिपूर्ण तरीके से और अहीरवाल के जांबाज योद्धाओं के द्वारा दिए गए बलिदान को एक और मान सम्मान दिलाने के लिए सेना ने अहीर रेजिमेंट की गठन की मांग को लेकर ही किया जा रहा है । वह यहां पर इसी मांग का समर्थन करने के लिए ही पहुंचे ।

दूसरी ओर आंदोलन में शामिल अनेक आंदोलनकारियों के द्वारा आरोप लगाया गया कि पुलिस प्रशासन के द्वारा सरकार के इशारे पर बिना किसी वजह के सबसे पहले बड़े बुजुर्गों को जबरदस्ती बसों में बिठाकर पुलिस हिरासत में लेने का काम किया गया। शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन करना और अपने हक की मांग उठाना किसी भी नजरिए से गलत नहीं है । आरोप लगाया गया कि आंदोलनकारियों को पुलिस के द्वारा ही भड़काने का काम किया गया । इस पूरे प्रकरण में यह बात भी बेहद चौंकाने वाली देखी गई जब आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प सहित पत्थरबाजी हो रही थी , उसी दौरान मौके पर मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के द्वारा पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए गए कि जल्द से जल्द अपने-अपने हेलमेट पहनकर आएं । समाचार लिखे जाने तक इस बात की पुख्ता पुष्टि नहीं हो सकी , नहीं कोई जानकारी मिल सकी कि शुक्रवार को सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले लोगों में से कुल कितने लोगों को पुलिस प्रशासन के द्वारा अपनी हिरासत में लिया गया । दूसरी ओर पत्थरबाजी में कितने पुलिसकर्मियों को चोट लगी या फिर घायल हुए हैं ? इस मामले के पुलिस प्रशासन के द्वारा समाचार लिखे जाने तक आंकड़े एकत्रित करने की जानकारी सामने आई ।

संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा से जुड़े हुए प्रमुख लोगों और आंदोलनकारियों का कहना है कि उनका यह आंदोलन अहीरवाल क्षेत्र के अभी ऐसे जांबाज योद्धा और शहीदों के लिए किया जा रहा है , जिनके द्वारा 1857 से लेकर मौजूदा समय तक देश की सुरक्षा के लिए अपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आतम बलिदान सहित सेना में अपना सर्वाेच्च बलिदान देने का सिलसिला जारी रखा गया है । 18 नवंबर शुक्रवार को इसी दिन ही 114 जांबाज अहीर योद्धाओं के द्वारा अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया गया , इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह दिन केंद्र सरकार और सेना तक पहुंचाने के लिए निर्धारित किया गया था । लेकिन बेहद दुख और अफसोस इस बात का है कि शासन प्रशासन सहित राज्य सरकार या केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के द्वारा आंदोलनकारियों के पास पहुंचकर उनकी बात सुनने या फिर किसी भी प्रकार का मांग पत्र लेने की जरूरत तक नहीं समझी गई ।

वही अनेक नाराज युवाओं के द्वारा साफ साफ शब्दों में कहा गया कि जिस प्रकार से समाज की दुहाई देकर राजनेता वोट बटोर कर सत्ता की भागीदारी का मजा लूट रहे हैं । आने वाले समय में ऐसे तमाम नेताओं से भी वोट की चोट से हिसाब किताब बरकरार करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाएगा । अब जरूरत के समय अहीरवाल के हिमायती होने वाले सफेदपोश नेता भी दूरी बनाकर शांति से बैठे तमाशा देखते रहे। वही बेहद खास सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी भी सामने आई है कि शुक्रवार को जिस प्रकार से सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर आंदोलन बेलगाम और हिंसात्मक हुआ तथा इस दौरान जो कुछ भी अप्रिय घटनाएं हुई , उन्हें पुलिस प्रशासन के द्वारा बेहद गंभीरता से लिया गया है और इस बात से इंकार नहीं की इस प्रकार की हरकतों में शामिल चेहरों को पहचान कर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए जा सकते हैं । बहरहाल समाचार लिखे जाने तक जिस जिस स्थान पर भी आंदोलनकारियों को पुलिस के द्वारा हिरासत में लिया गया उनका लेखा-जोखा तैयार करने का सिलसिला जारी बताया गया है।

error: Content is protected !!