भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आदमपुर उपचुनाव रोजाना रोचकता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। वर्तमान में अगर यह कहें कि दिखाई देने लगा है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही रहने की संभावना है। आप और इनेलो जीत की दौड़ में पिछड़ती नजर आने लगी हैं।

भाजपा आरंभ से ही इस सीट को चौ. भजनलाल के कारण बड़े मार्जिन से जीतने को आश्वस्त नजर आ रही थी परंतु वर्तमान में स्थितियां पलटती नजर आ रही हैं। जहां बड़े मार्जिन से जीतने की बात थी, वहां जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

आज कांग्रेस में बड़ी ज्वाईनिंग हुई। सबसे महत्वपूर्ण पूर्व आइएएस अफसर चंद्रपकाश का कांग्रेस में शामिल होना है और यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि वह भजनलाल के खासमखास रहे पूर्व मंत्री रामजीलाल के परिवार से हैं और उनका संबंध दलित वर्ग से है और चौ. भजनलाल जो वहां से चुनाव जीतते आए हैं, वह दलित वर्ग के वोटों के दम पर ही जीत पाए हैं। अत: अब कांग्रेस के जाट और दलित वोट मिलने से भाजपा के समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। 

वर्तमान में राजनीति के जानकारों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या बरौदा उपचुनाव, ऐलनाबाद उपचुनाव हारने के बाद आदमपुर उपचुनाव में भी भाजपा की वही स्थिति तो नहीं रहने वाली?

चुनाव में आमजन के वोट अपने बल पर मांगे जाते हैं लेकिन आदमपुर उपचुनाव में भाजपा की ओर से वोट चौ. भजनलाल के नाम पर मांगे जा रहे हैं और भाजपा के स्टार प्रचारक भी यह बात कहते नहीं थकते कि यह चौ. भजन लाल के परिवार की सीट है। अत: उनके परिवार के भव्य बिश्नोई को यहां की जनता बड़े अंतर से जिताएगी।

प्रश्न उठता है कि जो भाजपा अपने आपको विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहती है, आठ वर्षों से केंद्र और प्रदेश की सत्ता में है, उस पार्टी के स्टार प्रचारक पार्टी के नाम पर वोट न मांगकर चौ. भजनलाल के नाम पर वोट मांग रहे हैं। यह बात सिद्ध कर रही है कि भाजपा का आत्मविश्वास डगमगा रहा है।

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