नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ बड़े नेताओं का समर्थन जुटाना शुरू
परदे के पीछे, एमएलए जरावता और राव इंद्रजीत हुए आमने-सामने
शनिवार को राव इंद्रजीत ने अंजू कुमारी को दे दिया अपना आशीर्वाद
आरक्षित वार्ड 9 से जीतने वाला ही बनेगा जिला परिषद का चेयरमैन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । जिला परिषद गुरुग्राम के लिए प्रमुख या अध्यक्ष का पद अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है । यही कारण है कि अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित वार्ड नंबर 9 जिला परिषद चुनाव में इस समय सबसे अधिक चर्चा का केंद्र बनने के साथ-साथ दिन प्रतिदिन यहां का माहौल भी राजनीतिक करवट लेते हुए ठंडे मौसम में गर्म होता जा रहा है ।

अभी तक के हालात पर राजनीतिक रुप से नजर डाल देखा जाए तो यह बात कहने में कोई भी गुरेज अथवा संकोच नहीं है कि इस चुनाव में पर्दे के पीछे पटौदी के एमएलए और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता तथा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह आमने सामने ही दिखाई देने लगे हैं। इसका मुख्य कारण है दो दिन पहले ही पटौदी के एमएलए वार्ड नंबर 9 से चुनाव की उम्मीदवार मधु सारवान के यहां चाय पर पहुंचे और अपना खुला समर्थन देने की घोषणा कर दी । इसके साथ उन्होंने इस बात पर भी जोऱ दिया कि फैसला लोगों अथवा मतदाताओं को करना है । कहीं जीतने वाला उम्मीदवार चुनाव में जीत के बाद में पाला नहीं बदल ले ? इसका राजनीतिक रुप से इशारा समझने वाले समझ भी चुके हैं ।

दूसरी और इसी कड़ी है शनिवार को सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह के आवास पर दिल्ली पहुंची भाजपा नेता स्वर्गीय तुलसीराम की पुत्र वधू अंजू कुमारी ने नेताजी को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए जिला परिषद चेयरमन चुनाव के लिए आशीर्वाद भी मांगा। इस मौके पर स्वर्ग तुलसीराम के पुत्र एवं वार्ड 9 से उम्मीदवार अंजू कुमारी के पति दीपक तुलसी खंडेवला सहित अन्य समर्थक भी मौजूद रहे । इसके साथ ही यह बात भी विशेष रुप से गौर करने लायक है कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के एक और अन्य बेहद करीबी कहे जाने वाले नेता भी अपनी पुत्र वधू के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचे हुए थे । कथित रूप से नेताजी के द्वारा यह कहते हुए परहेज किया गया कि चुनाव लड़ने की कोई खास जरूरत नहीं है ? जिस नेता को इंकार किया गया , उसके समर्थन में भी राव इंद्रजीत सिंह के अन्य बेहद करीबी नेता मौजूद रहे ।

जिला परिषद चेयरमैन पद अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने के साथ ही जिला परिषद के कुल 10 वार्ड में से एकमात्र वार्ड नंबर 9 जोकि राव इंद्रजीत सिंह के अभेद्य राजनीतिक गढ़ पटौदी विधानसभा क्षेत्र में ही मौजूद है । इसी वार्ड से जिला परिषद प्रमुख बनने के दावेदार महिला उम्मीदवार अपनी-अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में आ रही हैं । इसी कड़ी में संडे को पटौदी के पूर्व विधायक भूपेंद्र चौधरी की पुत्री जो कि सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट पर्ल चौधरी के द्वारा अपने ऑफिस का उद्घाटन करने के साथ ही चुनाव  प्रचार भी आरंभ कर दिया जाएगा। इससे पहले जिला पार्षद रह चुके और पटोदी पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी , एडवोकेट एस एस थिरयान की पुत्रवधू मनीषा के द्वारा अपनी चुनाव प्रचार सामग्री निर्वाचन वार्ड गांव में लगाकर चुनाव प्रचार आरंभ किया जा चुका है । अब ऐसे में यह भी देखने लायक बात होगी कि राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा जिस अपने समर्थक नेता को चुनाव लड़ने से परहेज करने की सलाह दी गई है , क्या वह पुत्र वधू की भावना को प्राथमिकता देते हुए चुनाव लड़ जाते हैं या फिर अपने राजनीतिक आका राव इंद्रजीत सिंह के आदेश का सम्मान करते हैं।

शनिवार को ही पटौदी के पूर्व एमएलए रामवीर सिंह की पुत्रवधू अनु पटौदी के द्वारा भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया गया । हालांकि पूर्व एमएलए रामवीर सिंह और उनकी पुत्रवधू अनु पटौदी के द्वारा परिजनों व समर्थकों के सहयोग से अपना चुनाव प्रचार अभियान बीते कई दिनों से जारी है । अब देखना यह है कि जिस प्रकार से शनिवार तक जो समीकरण एकदम से उभर कर सामने आए हैं । उसमें यह बात तो स्पष्ट होती दिखाई दे रही है कि गुरुग्राम जिला परिषद चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से पटौदी एमएलए सत्य प्रकाश जरावता बनाम केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बीच सीधी टक्कर लेता महसूस किया जा सकता है । जानकारों का यह भी कहना है कि राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा जिस प्रकार से स्वर्गीय तुलसीराम की पुत्रवधू अंजू कुमारी के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया गया, उसे देखते हुए अन्य उम्मीदवारों के लिए चुनाव बहुत बड़ी चुनौती बन सकते हैं । जोकि वार्ड नंबर 9 से चुनाव जीतकर सीधे जिला परिषद का प्रमुख बनने की हसरत लिए हुए अपने अपने चुनाव प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं । बहरहाल लोकतंत्र में मतदाता ही सर्वाेपरि होता है । फिर  भी जो कुछ भी राजनीतिक फैसला होता है या किया जाता है , उस फैसले में भी कहीं ना कहीं बड़े नेताओं की परोक्ष अथवा अपरोक्ष भूमिका भी समाहित होती है।