भाजपा द्वारा सूबे में एक लाख पौधे और एक लाख टोटी लगाने का दावा

तीन दिन की लगातार बरसात से खेत बने तालाब फसलें हो गई चौपट

अतीत में खेतों में दिखाई देने वाले भाजपा नेता खेत से हो गए गायब

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । आज इस बात में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए और ना ही अन्य कोई राजनीतिक पार्टी दावा कर सकती है ना मुकाबला कर सकती है । यह सही है भारतीय जनता पार्टी वर्ल्ड की लार्जेस्ट पॉलीटिकल पार्टी है । केंद्र में और हरियाणा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बीते लगभग 8 वर्षों से सत्ता में है ।

बीती 17 सितंबर से पीएम मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर भाजपा के द्वारा आरंभ किया गया सेवा पकवाड़ा कि पूरे देश सहित हरियाणा प्रदेश में भी भाजपा के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं चुने हुए जनप्रतिनिधियों सहित मंत्रियों के द्वारा धूम मचाई हुई है । पखवाड़ा के तहत 15 दिन के दौरान अलग-अलग कार्य करने निर्धारित किए गए हैं , जिसमें टी बी के रोग से पीड़ित को गोद लेना, 1 लाख पौधे लगाना, 1 लाख टोटिया लगाना जैसे विभिन्न प्रकार के कार्य किया जाना हरियाणा भाजपा नेतृत्व के द्वारा तय किया गया है और यह कार्य निरंतर जारी हुई है । इस दौरान सभी भाजपा नेता भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधि तमाम मंडलों के अध्यक्ष प्रत्येक कार्यकर्ता कार्यक्रम में जोश और उत्साह के साथ सम्मिलित होता दिखाई दे रहा है। फूल माला पहनाई जा रही है, पगड़ी और साफे पहनाते हुए झंडे भी खूब लहराए जा रहे हैं।

आखिर हो क्यों नहीं , विश्व के सर्वमान्य नेता भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के मौके पर आरंभ किया किया गया सेवा पकवाड़ा जो धूमधाम के साथ में मनाया जा रहा है ।

विश्व के सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी की ताकत के सामने आखिरकार किसी विपक्षी पार्टी के आने का साहस तो नहीं हुआ। लेकिन मानसून मजबूती और तेजी के साथ भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली विभिन्न राज्यों में बनी हुई सरकार के सामने एक चुनौती के रूप में आ खड़ा हुआ है । बीते लगभग 4 दिनों के दौरान एक भी ऐसा घटनाक्रम या फिर कार्यक्रम मीडिया के सामने नहीं आ सका, जिसमें कोई भी भाजपा का जनता के द्वारा चुना हुआ जनपतिनिधि या फिर भाजपा का पदाधिकारी हो या फिर कोई कार्यकर्ता , वह बरसात के कारण पूरी तरह से तबाह हो चुकी बाजरा, जवार, कपास व अन्य फसल के आसपास भी कहीं दिखाई दिया हो ? किसान और कृषि  हित के दावे करने वाली भाजपा पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शायद किसान ,खेत और खलिहान इन सभी को भूल गए हैं ?

बीते 3 दिनों के दौरान जिला गुरुग्राम की बात की जाए तो गुरुग्राम में 59, कादीपुर में 58, हरसरू में 58, वजीराबाद में 66, बादशाहपुर में 62, सोहना में 24, मानेसर में 55, फरुखनगर में 30 और सबसे अधिक रिकॉर्ड तोड़ 105 मिलीमीटर बरसात पटौदी क्षेत्र में होना दर्ज किया गया है । विभिन्न क्षेत्र के किसानों में ईश्वर सिंह, रामनरेश, कुलदीप , रोशन लाल, दिनेश , जगदीश सरपंच जमालपुर, सतनारायण, ईश्वर सिंह, रामचंद्र, अनिल, महावीर, सतबीर यादव सहित अन्य का कहना है कि जितना अधिक आसमान से पानी बरसा , फसल बर्बाद होने के बाद उससे कहीं अधिक किसान के आंसू बरस रहे हैं । इसका मुख्य कारण है बाजरा , ज्वार, कपास जैसी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है । इसी प्रकार से बाड़ी अर्थात साग सब्जी इत्यादि पैदा करने वाले किसानों की भी सभी प्रकार की साग सब्जी की फसलें पानी में डूब कर या तो गल चुकी हैं या फिर नष्ट हो गई है ।

बाजरा सबसे अधिक संवेदनशील फसल माना गया है , बरसात के कारण बाजरा खेतों में ही पड़ा हुआ दो से 3 इंच तक अंकुरित हो चुका है । इधर बाजरा की सरकारी खरीद भी सरकार के द्वारा आरंभ नहीं होने की वजह से किसानों को दोहरी मार झेलने के लिए मजबूर होना पड़ गया है । जहां तक कपास की बात है , कपास के पौधे के डोड़े से निकली कपास बरसात के पानी में देखकर खराब होने के साथ ही बिनोला भी अछूता नहीं बच सका है । बिनोला वास्तव में पशु चारे के काम ही आता है , विशेष रुप से दुधारू पशु की धार बढ़ाने के लिए बिनोला की खुराक सबसे अधिक भैंस को ही किसान परिवारों के द्वारा खिलाने को प्राथमिकता प्रदान की जाती है। ज्वार और बाजरा कटाई के बाद इसके जो अवशेष बचते हैं , वह सभी या तो पशु चारे के काम आते हैं या फिर देहात में किसान परिवारों के द्वारा ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है । इसी प्रकार से कपास के डोडे से रूई निकालने के बाद बचा अवशेष या फिर पौधा वह भी इंधन के ही काम में देहात के क्षेत्र में लाया जाता है।

हालांकि बरसात के कारण हुए फसली नुकसान का आकलन करना मुश्किल है । लेकिन जानकारों की माने तो अधिकांश क्षेत्र में बाजरा जवार कपास जैसी फसल 100 प्रतिशत से अधिक नष्ट कहने में भी कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए , क्योंकि यह फसल ना तो अब बिक्री हो सकती है और ना ही किसी भी प्रकार से किसान परिवार के काम में आने योग्य बची है । विभिन्न किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं के द्वारा किसानों को हुए फसली नुकसान के मुआवजे की मांग के लिए सरकार को मांग पत्र सहित ज्ञापन विभिन्न माध्यम से भेजे जा रहे हैं । जल्द से जल्द फसली नुकसान की गिरदावरी करवाकर किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जाए।  विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष अजीत सिंह के द्वारा असली नुकसान के लिए प्रति एकड़ कम से कम 20 हजार मुआवजा दिया जाने की मांग की गई। इसी कड़ी में कांग्रेस के पीसीसी सदस्य और प्रदेश के सोशल मीडिया संयोजक सुधीर चौधरी के द्वारा भी सरकार से मांग की गई है कि बिना देरी किए फसलों की गिरदावरी करवाकर जल्द से जल्द प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक मांग की है कि किसानों को अतिरिक्त आर्थिक मदद भी सरकार के द्वारा की जानी चाहिए, जिससे कि पीड़ित और प्रभावित किसान अपनी आगामी फसल के लिए संसाधन की व्यवस्था कर सकें ।

इस पूरे मामले में सबसे अधिक हैरानी इसी बात को लेकर है कि पीएम मोदी के नाम पर आरंभ सेवा पखवाड़े के दौरान भारतीय जनता पार्टी क्यों और किस प्रकार से किसान , खेत और खलिहान जो कि मौजूदा समय में बरसाती पानी से लबालब तथा किसान की खून पसीने की मेहनत से उगाई गई गई फसल, बरसाती पानी में डूबी हुई है । उसे देखना और उसके साथ में अपने चित्र तक खिंचवाना भी भूल गई ? या फिर हो सकता है जल्द ही सेवा पखवाड़ा समाप्त होने से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अपनी भूल सुधारने की हौड़ सहित दौड़ में दिखाई देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

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