मंगलवार को दोपहर पूर्व गुरुग्राम में आयोजित होगी बैठक गुरुग्राम, 26 सितंबर – हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला मंगलवार 27 सितंबर को गुरुग्राम में 12 जिलों में चकबंदी कार्य की प्रगति की समीक्षा करेंगे। इसके लिए गुरुग्राम के लोक निर्माण विश्राम गृह में मंगलवार दोपहर पूर्व एक बैठक बुलाई गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए गुरुग्राम जिला प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला 27 सितंबर को गुरुग्राम के लोक निर्माण विश्राम गृह में अंबाला, करनाल, पानीपत, झज्जर, चरखी दादरी, भिवानी, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम, सिरसा और फरीदाबाद जिलों में चकबंदी कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में किसान के मौजूदा कई चकों (खेतों) को मिलाकर एक या दो चक (खेत) बनाने के लिए चकबंदी की जाती है। बिखरे हुए खेतों को एक खेत बनाकर किसान को दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किसानों की आम सहमति जरूरी होती है। इसमें खेत का क्षेत्रफल, मूल्य और अन्य चीजों का ध्यान रखा जाता है। बिखरे हुए खेतों को एक खेत के रूप में संयोजित करना ही चकबंदी कहलाता है। उन्होंने चकबंदी के फायदे गिनवाते हुए कहा कि चकबंदी होने से बिखरे हुए खेत एक जगह हो जाते हैं और छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है। खेत बड़े हो जाने से मशीनीकरण आसान हो जाता है और किसान की लागत घट जाती है। यही नहीं इससे कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है। चकबंदी प्रक्रिया के बारे में उन्होंने बताया कि सरकार चकबंदी अधिनियम की धारा 4(1), 4(2) के तहत गांव में चकबंदी कराने के लिए अधिसूचना जारी करती है। इसके बाद चकबंदी आयुक्त द्वारा धारा 4 क(1), 4 क (2) के तहत चकबंदी प्रक्रिया शुरू करने की सूचना दी जाती है। चकबंदी प्रक्रिया में गांव को लेने से लेकर चक आवंटन तक कई प्रक्रियाऐं होती हैं। इस पूरी प्रक्रिया में सामान्यतः 2 से 3 साल का समय लग जाता है। गांव में जमीनों का निर्धारण राजस्व विभाग के लेखपाल या कानूनगो करते हैं। इसमें चेनमैन, भूलेख अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर भी शामिल होते हैं। इनके सर्वे के बाद लेखपाल गांव के हर नंबरों के साथ खेत मालिकों के नाम लिखते हैं। फिर कानूनगो गांव में जाकर नंबर में मौजूद बोरिंग, पेड़, मकान, खड़ी फसल आदि की पड़ताल करते हैं। इसके बाद मकान, बाग और सड़क के किनारे की जमीनों को चकबंदी से बाहर कर देते हैं। तत्पश्चात सहायक चकबंदी अधिकारी गांव में जाकर ग्रामीणों के सामने जमीन की कीमत का मूल्यांकन करते हैं। इसमें गांव के सबसे अच्छे चक यानी खेत को 100 अंक दिए जाते हैं। बाकी के सभी चकों का उसी अनुपात में मूल्यांकन होता है। गांव में अगर कोई चक और उसी के बराबर मूल्य का निकल जाता है तो उसकी भी मालियत 100 ही लगाई जाती है। इसके बाद सहायक चकबंदी अधिकारी, लेखपाल और कानूनगो की मौजूदगी में पूरे गांव के लोगों के सामने चकों (खेतों) का आवंटन होता है और सब को उनके खेत नाप कर दे दिए जाते हैं। हरियाणा प्रदेश के कुछ जिलों में चकबंदी का कार्य अभी चल रहा है, जिसके बारे में उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला मंगलवार को समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिशा निर्देश देंगे। Post navigation तनावमुक्ति के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी, दूसरों की बजाए स्वयं को बदलें…… कर्म ऐसे करें जिनसे दुआएँ मिलें लाल बहादुर शास्त्री के नाम भारत विकास परिषद की 11 वीं शाखा का गुरुग्राम में श्री गणेश