बरसात से त्रस्त गुरुग्राम : कहां हैं जनप्रतिनिधि और सेवा पखवाड़ा?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम बरसात से तो त्रस्त है लेकिन बड़ा प्रश्न यह है कि कहा जाता है कि जनप्रतिनिधि, सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी जनता की सेवा में लगते हैं परंतु यहां सेवा में तो क्या किसी के ब्यान भी नहीं नजर आ रहे।

पार्षद सबसे अधिक जिम्मेदार

हम निगम पर तो सवाल उठाते हैं लेकिन निगम में हर वार्ड से जनता के चुने हुए प्रतिनिधि अर्थात पार्षदों का वादा होता है कि हम सुख-दुख में साथ रहेंगे और वार्ड के विकास के लिए जुटे रहेंगे। प्रश्न यह है कि जब उनके वार्ड में नालों और सीवर की सफाई हो रही थी, तब वे कहां थे? पानी निकासी का प्रबंध उन्होंने क्यों नहीं देखा? वार्डों की जनता में कुछ चर्चाएं सुनी जा रही हैं कि पार्षद भी ठेकेदारों से कमीशन में हिस्सेदार होते हैं। अत: बोलें तो बोलें कैसे?

अब जब चुनाव सिर पर खड़ा है तो यह बरसात इन पार्षदों के आगामी कार्यकाल के लिए काल बनकर आई है।

अब बात करें सांसद राव इंद्रजीत की तो उन्होंने निगम की आन-बान-शान से मेयर टीम बनाई थी। अब वह कहां है? क्यों नहीं कहते कि मेयर टीम ने अपना काम उचित नहीं किया तो उनकी जांच होनी चाहिए। माना कि निगम के अधिकारी कार्य करते हैं और निगम कमिश्नर भी होता है निगम कर्मचारियों को देखने के लिए। उन सभी को देखने के लिए मेयर टीम होती है। मेयर टीम ने क्यों नहीं अपना काम उचित तरीके से किया? काम उचित तरीके से न करना चाहे वह आपसदारी के कारण या अपने स्वार्थ के कारण लापरवाही की जाती है तो वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आती है तो इसके जिम्मेदार कहीं न कहीं राव इंद्रजीत सिंह भी बनते हैं, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी भी थी कि जो मेयर टीम उन्होंने बनाई है, वह उचित तरीके से कार्य कर रही है कि नहीं।

17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सेवा पखवाड़ा मना रही है। पिछले 3 दिनों से जो गुरुग्राम त्रस्त है बरसात है, वहां कहीं किसी भाजपाई कार्यकर्ता को पानी की निकासी के लिए कार्यरत नहीं देखा गया। चलो सडक़ों की बात छोड़ दें तो जिन घरों में पानी भरा है, वहां जाकर तो पम्पों से पानी निकाला जा सकता था और कुछ नहीं तो उन क्षेत्रों में जाकर उनके दुख में शरीख हो सांत्वना तो दे सकते थे लेकिन ऐसा कुछ मेरी जानकारी में तो आया नहीं है।

गुरुग्राम में भाजपा का आलीशान कार्यालय गुरूकमल है और उसमें भाजपा के प्रदेश और देश के बड़े नेताओं का आना-जाना लगा ही रहता है परंतु पिछले 3 दिनों में किसी के यहां आने का समाचार मिला नहीं। वैसे तो कोई दिन ही ऐसा जाता है कि जब मुख्यमंत्री, मंत्री या भाजपा का कोई बड़ा नेता गुरुग्राम में न आता हो। 

अब यह विचारनीय बात है कि संयोग है कि उनका कार्यक्रम नहीं बना या फिर जनता के सवालों से बचने के लिए ऐसा हुआ?

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