सत्यव्रत शास्त्री….प्रवक्ता, भाजपा हरियाणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वैश्विक नेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं इनकी प्रतिभा मेहनत और दूरदर्शिता से भारत का बहुत समय बाद एक नेतृत्व दुनिया के सामने आया है। यद्यपि उनके जीवन में बहुत कुछ करने के लिए अभी पर्याप्त समय और भी है लेकिन वर्तमान समय तक भी विवेचना करके देखी जाए तो इतना काम कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में अभी तक नहीं कर पाया ।

राजनैतिक क्षेत्र
देश के राजनैतिक ढांचे में 2014 से पूर्व में जो कुछ था उससे विपरीत आज राजनीति, राजनेता के प्रति देश का मंतव्य बदल रहा है। 2014 में राजनीति में काम करने वाले व्यक्तियों को उच्च स्थान तो बड़ी बात है लोग सामान्य स्थान देने के लिए तैयार नहीं होते थे। परंतु 2014 में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और राजनैतिक निर्णय लेने शुरू हुये तो उसके आधार पर न केवल राजनीति बदल रही थी समाज भी बदल रहा था ।समाज के लोगों की राजनीति के प्रति सोच बदलने लगी। आज राजनेता किसी पार्टी का हो समाज में उससे अपेक्षाएं होने लगी है।लोगों ने भी अपना चाल, चरित्र और चेहरा बदलना शुरू किया है।

धार्मिक क्षेत्र
देश में धार्मिक पैमाने पर विचार करके देखें तो इस देश की राजनैतिक विचारधारा में धर्मनिरपेक्ष शब्द लाया गया जिसके अर्थ राज्य सत्ता के धर्म के प्रति उपेक्षा भाव या निर्लिप्त भाव के लिए प्रयोग किया जाना था। परंतु इस शब्द को लेकर देश में बहुसंख्यक हिन्दू समाज को प्रताड़ित करना, उपेक्षित करना तथा उनके हितों पर चोट करना ही रह गया था। 2014 से पूर्व धर्मनिरपेक्ष देश में सांप्रदायिक हिंसा अधिनियम का प्रयोग होने की बात होने लगी थी, परंतु जैसे-जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व आगे बढ़ा इस बहुसंख्यक हिंदू समाज का खोया वैभव वापस आने लगा ।लोगों को इस धर्म के प्रति लगाव लगाते देखा और अपने आप को धार्मिक दिखाने की होड़ सी लगी। राम मंदिर निर्माण प्रक्रिया से देश ने दुनिया में एक नया अध्याय शुरू किया। दूसरे पक्ष में कहीं मलिन भाव भी जागृत नहीं होने दिया। काशी, मथुरा में हो रही प्रगति को उदाहरण के रुप में लिया जा सकता है।

सबका साथ और सबका विकास केवल नारा ही नहीं रहा। बल्कि वह धरातल पर साकार होता हुआ दिखाई दिया। इसलिए उनके कार्यकाल में कहीं किसी प्रकार का सांप्रदायिक दंगा नहीं होना उनके नेतृत्व के प्रति श्रेष्ठ भाव उत्पन्न करता है। आज के धार्मिक वातावरण के कारण व्यक्ति अपने जीवन में धार्मिक कृत्यों को स्थान देने लगा है। आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र समाज में उच्च और निम्न वर्गों में सहयोग और सद्भावना का जागरण हुआ है। इस देश की गरीब माता- बहनों को चूल्हे की धूंआ से छुटकारा दिलाना था तो देश के उच्च वर्ग से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आग्रह और निवेदन किया कि जो समर्थ हैं, जो कर सकते हैं उन्हें गैस की सब्सिडी को छोड़ना चाहिए। धीरे धीरे देश में ऐसा वातावरण बना की लोग स्वत: ही सब्सिडी को छोड़ने लगे और उसका उपयोग गरीब महिलाओं को मुफ्त में गैस सिलेंडर देकर एक नया अध्याय शुरू किया‌। लोग अपने नाम से गरीब कल्याण के लिए धर्मशालाएं और अनेक प्रकार के आयोजन तो करते रहे हैं परंतु अज्ञात के लिए करना यह बड़ी बात थी। जिसको लोगों ने स्वत: स्वीकार किया। समाज में समानता के भाव को पैदा करने के लिए अनेक इस प्रकार के कार्यक्रम हुये है जिसका बड़ा उदाहरण कोरोना महामारी के दौरान देखने को मिला जब लोगों ने करोड़ों करोड़ों लोगों को स्वप्रेरणा से आवास, भोजन, वस्त्र ,गंतव्य तक के लिए साधन उपलब्ध कराना, गरीबों को जूते चप्पल देते देखा गया । आज देश में सामाजिक वातावरण के कारण समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की एक परंपरा से दिखाई देने लगी।

आर्थिक मोर्चे पर देश को इन 8 सालों में मजबूती मिली। वह ऐतिहासिक है। करोड़ों लोगों का बिना किसी गवाह के बैंक खाते खुलवा कर उसमें गरीबों का पैसा रखने से न केवल उसका स्वाभिमान जागृत हुआ बल्कि अरबों खरबों रुपए देश की मुख्यधारा में आकर उसका उपयोग होने लगा। आज हम दुनिया के 5 बड़े देशों के साथ आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़े हैं। इसी आर्थिक महाशक्ति से सीमा पर लड़ने वाले जवान को अत्याधुनिक हथियार और जीवन रक्षक साधन उपलब्ध होने लगे हैं। आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से खड़े होकर गरीब कल्याण तथा देश की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता देश ने विकसित की है।

वैश्विक मंच
वैश्विक मंच के ऊपर भारत ने अपनी उपस्थिति जोरदार ढंग से रखी है।दुनिया भर के बड़े देशों के नेता किसी बड़े परिवर्तन के लिए नरेंद्र मोदी का सहयोग अपेक्षित मानते हैं और अपने साथ पाकर गर्व महसूस करने लगे हैं। विश्व के अनेक देशों को किसी एक मंच पर लेकर आना भारत के लिए बड़ा मुश्किल काम था। आज दुनिया में कई वैश्विक संगठन हैं जिनका नेतृत्व भारत कर रहा है। आज दुनिया का कोई भी बड़ा देश, ताकतवर देश भारत की उपेक्षा नहीं कर सकता। विश्व में न केवल राजनैतिक नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया बल्कि विश्व को देने की बात आई तो विश्व को विश्व योग दिवस के रूप में एक उपहार दिया गया ।आज दुनिया के समस्त देश 21 जून को योग दिवस मनाते ही नहीं अपितु अपने देश में भारत की इस उपलब्धि को लोगों से अपनाने की अपील भी करते हैं ।इस योग के शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए दुनिया के लोग भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देखते हैं। दुनिया भर में जब कोरोना महामारी चर्म पर थी तब दुनिया को भारत ने करोना की बीमारी में काम आने वाली औषधियां व वैक्सीन भेज कर मानव कल्याण को एक नई पहचान दी थी।

सांस्कृतिक क्षेत्र सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भारत में अनेक प्रकार के क्यों प्रयोग किए हैं जिसके कारण से सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का काम चल रहा है। चाहे वन्य प्राणियों की बात हो अपने पूर्वजों के द्वारा स्थापित मूल्यों को पुनर्स्थापना की बात हो। विविध सांस्कृतिक शब्दों में विश्वास पैदा करके उनको नया जीवन देने की बात। इस समय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति लोगों में रुचि बढ़ी इस विषय को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जब लोगों को संबोधित किया और 5 प्रण लेने को कहा तो उसमें सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा का भाव था। आज इस बात को लेकर लोग आश्वस्त है कि देश न केवल सुरक्षित हाथों में है बल्कि देश विकसित की देशों में आने लगा है।

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