झज्जर रेल लाईन के जनक स्व. चित्रसैन सैनी की 87वीं जयन्ती पर विशेष

चित्र सैन सैनी ने झज्जर के लोगों को रेल में चढ़ने के स्वप्र को परवान चढ़ाने के लिए अपना कर दिया था सर्वस्व कुर्बान, रेलवे लाइन लाने के लिए चित्र सैन सैनी ने न केवल अपनी सरकारी नौकरी तक गंवानी पड़ी थी बल्कि पैरों में पहननी पड़ी थी हथकड़ियां
-चित्रसैन सैनी को पुलिस द्वारा अनशन स्थल से जबरदस्ती उठाने पर उसी समय उनकी धर्मपत्नी धर्मकौर सैनी ने आमरण अनशन पर बैठ संभाल लिया था मोर्चा
-झज्जर नगर परिषद ने ध्वनिमत से प्रस्ताव पास कर झज्जर रेलवे स्टेशन से कोसली सड़क मार्ग का नाम और एचपी गैस गोदाम वाले चौक का नाम चित्र सेन सैनी नामकरण कर दे चुके हैं अपनी श्रद्धांजलि
-बिनैण खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर समाजसेवी स्व. चित्रसेन सैनी बेस्ट सोशल वर्कर अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
-वर्ष 1985 में आमरण अनशन के दौरान चित्रसेन सैनी के हाथ व पांव में बेडिय़ां डाल कर पी.जी.आई. में बिस्तर से ऐसे जकड़ दिया, जैसे कि एक सामाजिक कार्यकर्त्ता न होकर एक खूंखार अपराधी हों चित्रसेन सैनी

सन्तोष सैनी

झज्जर, 14 सितम्बर। झज्जर में रेल की सीटी बजाने के लिए करीब 50 वर्षों तक संघर्ष करने वाले झज्जर जन कल्याण समिति के संस्थापक स्व. चित्रसैन सैनी की 15 सितम्बर को 87वीं जयन्ती से पूर्व झज्जर नगर परिषद ने सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव पास कर झज्जर रेलवे स्टेशन से कोसली सड़क मार्ग का नाम और एचपी गैस गोदाम वाले चौक का नाम चित्र सेन सैनी नामकरण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

यहां उल्लेखनीय है कि चित्रसैन सैनी झज्जर रेल लाईन के भागीरथ के रुप में जाने जाते हैं। वे तांगे के जमाने में झज्जर में रेलवे लाईन की मांग करने वाले एकमात्र ऐसे शख्स थे, जिन्होंने झज्जर के लोगों को रेल में चढ़ने का स्वप्र ही नहीं दिखाया वरन उसे परवान चढ़ाने के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया। वे अपने जीवन की अन्तिम सांसों तक इस ध्येय को पाने के लिए जुटे रहे। यहां तक कि उन्होंने इसके लिए न केवल अपनी सरकारी नौकरी तक गंवानी पड़ी थी बल्कि पैरों में हथकड़ियां भी पहननी पड़ी थी। वे इस ध्येय को पाने में सफल भी रहे लेकिन दुर्भाग्य कि वे अपने जीते जी इस स्वप्न को साकार होते नहीं देख सके।

समाजसेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए झज्जर जन कल्याण समिति के संस्थापक स्व. चित्रसैन सैनी को मरणोपरांत जिला जींद में स्थित बिनैण खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर वर्ष 2016 में “बेस्ट सोशल वर्कर अवार्ड” से सम्मानित किया गया था। बेस्ट सोशल वर्कर के अवार्ड से एससी फाईनैंस कारपोरेशन की चेयरपर्सन सुनीता दुग्गल व बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा के चेयरमैन डा. जगबीर सिंह ने सम्मानित किया था।

झज्जर ही नहीं वरन् हरियाणा प्रान्त के लोग जो आज झज्जर में रेल लाईन व रेलवे स्टेशन बना हुआ देख रहे हैं, यह सब झज्जर जन कल्याण समिति (रजि.) के संस्थापक चित्रसैन सैनी के नेतृत्व में किए जनान्दोलनों के कारण ही संभव हो पाया है।

एक समय झज्जर की नियति राजनीतिक रूप से पिछड़ापन ही थी। तब झज्जर जन कल्याण समिति के संस्थापक स्व. चित्रसैन सैनी झज्जर के पिछड़ेपन को दूर करवाने हेतु संघर्ष करने का प्रण किया और झज्जर की विभिन्न समस्याओं चाहे वह झज्जर को रेलवे लाईन से जुड़वाना हो या जिला बनवाना हो, औद्योगिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र घोषित करवाना रहा हो, नया बस स्टैण्ड बनवाना हो, चाहे सैक्टर कटवाना हो या हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, नई सब्जी मण्डी बनवानी हो या कुछ और सब संघर्ष के बलबूते पर कामयाबी हासिल करने में सफल रहे थे।

एक समय रेल की कल्पना या रेलवे लाईन बिछाने की मांग करना दूर की कौड़ी लगती थी। पढ़े-लिखे लोग पागल है, ऐसे रेल आती है? कह कर आगे बढ़ जाते किन्तु वही पढ़े-लिखे लोग आज स्वीकार करते हैं कि उस समय वे गलत थे और चित्रसेन सैनी सही थे।

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया….
इस कहावत को सही चरितार्थ किया चित्रसैन सैनी ने। झज्जर में रेलवे लाईन लाने की मांग को लेकर चित्रसेन सैनी शुरू में तो धरने पर अकेले बैठते थे किन्तु बाद में श्रमिक, कमेरे व बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी इकट्ठे हो धरनास्थल पर आ जाते थे, उन्होंने न केवल उन्हें भरपूर समर्थन दिया बल्कि धरने, भूख हड़ताल व आमरण अनशन में उनके साथ भी बैठे।

सिर्फ यही नहीं, चित्रसैन सैनी ने झज्जर को रेल लाईन से जोडऩे की मांग को लेकर ही रोहतक लोकसभा का चुनाव तक लड़े, वहीं अपनी राजनीतिक साख को गिरता देख अपने आपको झज्जर के हितों का सबसे बड़ा शुभचिन्तक होने का दम भरने वालों की आंखों का कांटा बन चुके चित्रसेन सैनी को सबक सिखाने की गर्ज से क्षेत्र के राजनीतिक तत्कालीन विधायक ने उन्हें न केवल नौकरी से सस्पैंड करवा दिया बल्कि उन्हें नौकरी तक से बर्खास्त करवा उनके परिवार को सड़क पर लाने का काम किया था।

उन्हें इस आन्दोलन को बंद करने की धमकियां तक दी गई। इसके बावजूद चित्रसैन सैनी झज्जर को रेल लाईन से जोड़ने की मांग को लेकर चला रहे आन्दोलन को समाप्त करने से साफ इंकार कर दिया। राजनीतिक दलों के नेताओं एवं केन्द्र सरकार के आश्वासनों के बावजूद जब रेलवे लाईन के आने की कोई आस नहीं दिखाई दी तो उन्होंने वर्ष 1985 में पहले क्रमिक भूख हड़ताल की लेकिन बात न बनते देख उन्होंने क्रमिक भूख हड़ताल को आमरण अनशन में तब्दील करने में जरा भी देरी नहीं लगाई।

पहले से ही इकहरे शरीर के मालिक सैनी की हालत दिनों-दिन बिगड़ने लगी। तब जिला प्रशासन की नींद टूटी। आन्दोलन को खत्म करने के उद्देश्य से ही पुलिस ने उन्हें आमरण अनशन स्थल से जबरन उठा कर रोहतक पी.जी.आई. में दाखिल करवा दिया। परन्तु सैनी को अनशन स्थल से उठा कर आमरन अनशन को खत्म करने का जिला प्रशासन का अरमान पूरा न हो सका। जैसे ही चित्रसैन सैनी को पुलिस अनशन स्थल से उठा कर ले गई, उसी समय अनशन स्थल पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती धर्मकौर सैनी ने आमरन अनशन पर बैठने की घोषणा कर झज्जर में मोर्चा संभाल लिया।

हाथ व पांव में बेडिय़ां डाल पी.जी.आई. में बिस्तर से जकड़ा
रोहतक पी.जी.आई. से कहीं बिस्तर से उठ कर अनशन स्थल पर न पहुंच जाएं, इस डर से रोहतक के तत्कालीन जिला प्रशासन ने चित्रसेन सैनी के हाथ व पांव में बेडिय़ां डाल कर पी.जी.आई. में बिस्तर से ऐसे जकड़ दिया, जैसे कि चित्रसेन सैनी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता न होकर एक खूंखार अपराधी हो।

बेशक प्रशासन ने सैनी को बिस्तर पर हथकड़ियों से जकड़ दिया हो, पर उसकी इच्छा शक्ति को न जकड़ सके। लिहाजा चित्रसैन सैनी का आमरण अनशन धरनास्थल की बजाए बिस्तर पर भी जारी रहा। हालांकि डाक्टरों ने उनका आमरण अनशन जबरन खुलवाने के लिए ग्लूकोज वगैरा देना चाहा लेकिन उन्होंने डाक्टरों की एक न चलने दी। हालत और बिगड़ी तो प्रशासन ने उन्हें डराने की नीयत से उन पर आत्महत्या करने के आरोप में परचा दर्ज करा दिया। न केवल जिला प्रशासन वरन् केन्द्र सरकार के लिए एक विकट स्थिति पैदा हो गई क्योंकि उसी दौरान हरियाणा-पंजाब के मध्य राजीव-लोंगोवाल समझौते की बात सिरे चढ़ चुकी थी किन्तु हरियाणा प्रदेश के झज्जर में रेलवे लाईन की मांग को लेकर चल रहे यह आन्दोलन कहीं कोई रूकावट न बन जाए या फिर समझौते के कारण हरियाणा में यह आन्दोलन कोई बवाल न खड़ा कर दे।

सिर्फ यही नहीं, सरकार का भय था कि राजीव-लोंगोंवाल समझौते पर दस्तखत के बाद तनावपूर्ण स्थिति में कहीं चित्रसैन सैनी का आमरण अनशन कहीं दंगें भड़कने का एक कारण न बन जाए, लिहाजा इसी सोच के चलते केन्द्र सरकार के दबाव के चलते जिला प्रशासन ने झज्जर को रेलवे लाईन से जोड़ने की मांग को लेकर चल रहे आन्दोलन के अगुवा समिति के संचालक चित्रसैन सैनी को रोहतक के तत्कालीन उपायुक्त ने झज्जर को रेल लाईन से जोड़ने की मांग को पूरा करने तथा उन पर आत्महत्या करने के आरोप में दर्ज मुकद्दमें को वापिस लेने का आश्वासन देकर पहले झज्जर में उनकी धर्मपत्नी धर्मकौर को और बाद में रोहतक पी.जी.आई. में चित्रसेन सैनी को जूस पिला कर अनशन समाप्त करवा राहत की सांस ली।

बाद में झज्जर को रेल लिंक से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार ने रेल बजट में खुर्जा-पलवल-रेवाड़ी-झज्जर-रोहतक व बहादुरगढ़-झज्जर रेल लाईन के सर्वेक्षण के आदेश हुए।

इसे चित्रसैन सैनी का दुर्भाग्य कहें कि वर्ष 1993 में 5 मार्च को झज्जर को रेल लाईन से जुडऩे का स्वप्र देखने वाले चित्रसेन सैनी का दिल का दौरा पड़ने के कारण असामयिक निधन होने के कारण वे अपने जीते जी झज्जर को रेल लाईन से जुड़ते हुए नहीं देख पाए।

चित्रसेन सैनी की अन्य उपलब्धियां
चित्रसैन सैनी ने जनता के सहयोग से झज्जर में पक्का बस स्टैण्ड बनवाने की मंजूरी प्राप्त करने में सफलता हासिल की। सरकार ने सर्वप्रथम समिति को भेजे अपने पत्र क्रमांक 2015/16.6.1983 में पक्का बस स्टैण्ड बनवाने की मंजूरी संबंधी जानकारी दी। इसके बाद 26 अक्तूबर, 1983 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने बस स्टैण्ड की आधारशिला रखी। इसके बाद समिति को सबसे महत्वपूर्ण सफलता 1987-88 के रेल बजट में झज्जर-बहादुरगढ़ तथा खुर्जा-पलवल-रेवाड़ी-झज्जर-रोहतक तक रेल लाईन बिछाने हेतु सर्वेक्षण करवाने की मंजूरी के रूप में मिली। यह सब झज्जर जन कल्याण समिति द्वारा चित्रसेन सैनी के मार्गदर्शन में किए गए आन्दोलन का ही नतीजा था। इसके अलावा वर्ष 1984 में झज्जर को औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा क्षेत्र घोषित करवाने में भी सफलता प्राप्त की थी। यहां हाऊसिंग बोर्ड कालोनी की मंजूरी दिलाने, नगरपालिका को ट्रैक्टर उपलब्ध करवाने, पुराने बस स्टैण्ड व सिविल अस्पताल में प्याऊ बनाने व कई बस क्यू शैल्टर भी लगवाए।

जीते जी नहीं हो सका रेल लाईन से जुड़वाने एवं जिले का दर्जा दिलवाने का स्वप्र पूरा
स्व. चित्रसेन सैनी के अचानक 5 मार्च, 1993 के देहान्त होने के कारण उनके जीते जी उनके अनेक स्वप्र पूरे नहीं हो सके। उनका मुख्य स्वप्न झज्जर को रेल लाईन से जुड़वाने एवं जिले का दर्जा दिलवाने का था।

झज्जर जिले की जनता चाहती थी कि झज्जर क्षेत्र की समस्याओं व मांगों के लिए जो संघर्ष एवं बलिदान चित्रसेन सैनी ने किए, उनको क्षेत्र के युवाओं एवं आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलती रहे। इसके लिए 29 अगस्त, 2022 को चेयरमैन जिले सिंह सैनी की अध्यक्षता में सम्पन्न झज्जर नगर परिषद की मीटिंग में सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से झज्जर रेलवे स्टेशन से कोसली सड़क मार्ग का नाम और एचपी गैस गोदाम वाले चौक का नाम चित्र सैन सैनी करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। इस फैसले से झज्जर की जनता में खुशी की लहर है।

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