भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम में नगर निगम चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा नेता अपनी गोटियां बिठाने में लगे हैं और भाजपा के अतिरिक्त भी चुनाव लडऩे के इच्छुक तैयारियों में जुटें हैं लेकिन यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि निगम चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे। 

निगम चुनाव के लिए प्रशासन ने एडॉप्ट कमेटी भी बना ली है परंतु जो जनगणना हुई है, उस पर विपक्ष तो मुखर होकर और भाजपाई भी ढके-छुपे शब्दों में सवाल उठा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कुछ ऐसा भी सुना है कि किसी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और सरकार भी इस पर मनन कर रही है। अत: पूरी संभावना है कि जनगणना फिर होगी। और यदि जनगणना फिर होगी तो समझ सकते हैं कि जनगणना में समय लगेगा, आपत्तियां मांगी जाएंगी, वार्ड बनेंगे और भी कई प्रक्रियाएं संपन्न होती हैं। अत: उनमें समय लगेगा और मेरी अनुमान से मार्च-अप्रैल 2023 से पहले चुनाव होना संभव नहीं दिखाई देता।

इस बात से संभव है कि कुछ को धक्का लगे और कुछ को खुशी हो। सबसे अधिक टिकट के उम्मीदवार भाजपा में ही हैं और भाजपा में बड़े जोरों से तैयारियां हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा के कई गुट नजर आने लगे हैं।

महत्वकांक्षा मनुष्य से बहुत कुछ करा देती है और उसी महत्वकांक्षा के चलते ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपाइयों से बात कर कि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का प्यार चंद भाजपाइयों से अधिक है।

इसी प्रकार कुछ भाजपाई मुख्यमंत्री के चहेते कहलाए जाते हैं और राव इंद्रजीत सिंह का नाम न लें तो बात पूरी कैसे होगी। राव इंद्रजीत सिंह इस क्षेत्र में निगम के लिए सबसे बड़ी शख्सियत माने जाते हैं। 

अभी हाल में पूर्व सांसद सुधा यादव को संसदीय कमेटी और चुनाव समिति का मैंबर बनाने के बाद उनको साधने में भी कई भाजपा नेता लगे हैं। देखना यह है कि इनकी गुटबाजी खुलकर कब सामने आएगी।

error: Content is protected !!