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भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

हनुमान वर्मा

गुरुग्राम। भाजपा अपनी तारीफों के पुल बांधती रहती है और इवेंट मैनेजमेंट में लगी रहती है। पिछले दिनों हर घर तिरंगा अभियान चल रहा था। आज भिवानी में मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, रामबिलास शर्मा सहित अनेक वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। वहां ओमप्रकाश धनखड़ बोले कि कांग्रेस तो समाप्त हो रही है। कुछ तो आ गए, कुछ दरवाजा खटखटा रहे हैं।

अब विचारनीय विषय है कि पिछले दिनों भाजपा के तीन पूर्व विधायक कांग्रेस में शामिल हुए। उस पर न तो मुख्यमंत्री का कोई ब्यान आया और न ही प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ का। इसके आगे की सुनिए, कल यानी 22 अगस्त को भाजपा के और कई नेता कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं, जिनमें सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि एक तो मनीष ग्रोवर और नायब सैनी का पुराना साथी हनुमान वर्मा कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं। उनके साथ और कौन-कौन होंगे, वह कल ही खुलासा होगा लेकिन इन मुद्दों पर प्रदेश अध्यक्ष का मौन खटकता है। अब पता नहीं ना बोलना उनकी रणनीति है या मजबूरी।

इसी प्रकार गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने जयचंद क्या बोला, भाजपा के अनेक लोग उस ब्यान की आलोचना में लग गए लेकिन उस मामले में भी पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ का कोई ब्यान आया नहीं।

जब कुलदीप बिश्नोई भाजपा में सम्मिलित हुए तो भाजपा के सभी नेताओं के ब्यान और सोशल मीडिया पर इसकी बड़ी चर्चा थी लेकिन जब इनके पूर्व विधायक और वरिष्ठ पार्टी छोड़ रहे हैं, उसकी कोई चर्चा नहीं। कुछ सूत्रों से तो यह भी ज्ञात हो रहा है कि कांग्रेस आदमपुर के लिए बड़ी रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें वह कुलदीप बिश्नोई के सामने किसी जाट चेहरे को न लाकर नॉन जाट को खड़ा करेगी। संभव है कि उसमें नाम हनुमान वर्मा का भी हो सकता है, क्योंकि कुलदीप बिश्नोई की राजनीति सदा नॉन जाट की रही है और उस क्षेत्र में जितने लगभग बिश्नोई हैं, उसे अधिक ही पिछड़े वर्ग के लोग होंगे।

तात्पर्य यह कि बिश्नोई के लिए यह सीट बचाना मुश्किल होगा या यूं कहें कि भाजपा को अपनी साख बचाना मुश्किल होगा।

वर्तमान में स्थिति यही नजर आ रही है कि जिस प्रकार कांग्रेस में गुटबाजी है, वही गुटबाजी भाजपा में भी भरपूर देखी जा रही है और चर्चाएं तो यहां तक हैं कि उस गुटबाजी से प्रदेश अध्यक्ष अनभिज्ञ नहीं हैं और जाने-अंजाने उसमें सहायक भी बन रहे हैं। कुछ भाजपाइयों ने तो आज राजनाथ सिंह के ब्यान के पश्चात कहा कि प्रदेश अध्यक्ष की स्थिति तो यह है कि जैसे कबूतर बिल्ली को देखकर आंख बंद कर लेता है। 

राजनैतिक चर्चाकारों का कहना है कि वर्तमान में स्थिति यह है कि कांग्रेस का ग्राफ ऊपर जा रहा है और भाजपा का नीचे। भाजपा इवेंटबाजी में लगकर यथार्थ स्थिति से आंखें मूंदे हुए है। खैर, हम तो कोई विश्लेषण कर नहीं सकते लेकिन ऐसी आशा जरूर है कि प्रदेश अध्यक्ष पार्टी छोडक़र जाने वालों और पार्टी में अलग-अलग खेमें बने होने पर कुछ बोलेंगे या फिर राष्ट्रीय पक्षी मोर की तरह अपने पैरों की तरफ अर्थात पार्टी की स्थिति को देख अपने आंसुओं को मोर की तरह टपकने तो नहीं देंगे।

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