गुरुग्राम, 14 अगस्त, 2022 । संत निरंकारी मिशन द्वारा आज ‘वननेस वन’ कार्यक्रम स्थानीय सैक्टर 9ए के पार्क में पौधारोपण कर मनाया गया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संत निरंकारी मंडल दिल्ली से वित्त विभाग के मेंबर इंचार्ज जोगिंदर मनचन्दा एवं स्थानीय पार्षद संजय प्रधान ने किया। उनके साथ मिशन के भवन निर्माण विभाग के मेंबर इंचार्ज जेएस चावला एवं निरंकारी कॉलेज सोहना के चेयरमैन रविंदर मन्हास भी उपस्थित रहे।

श्री जोगिंदर मनचंदा ने बताया कि सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से यह पौधारोपण कार्यक्रम भारतवर्ष में आज ही के दिन एक साथ 375 स्थानों पर मनाया जा रहा है और हजारों पौधे आज लगाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सतगुरु के कथन अनुसार ‘प्रदूषण अंदर हो या बाहर दोनों ही हानिकारक हैं’। अंदर मन के आत्मिक सुख एवं शांति के लिए परमात्मा का स्मरण, सत्संग करना और बाहर के प्रदूषण को मिटाने के लिए, पर्यावरण हित के लिए पौधारोपण करना अति आवश्यक है। यह निरंतर प्रक्रिया है और इसे सदा ही करते रहना है।

स्थानीय पार्षद संजय प्रधान ने इस पौधारोपण अभियान के लिए सभी भक्तों और सेवादारों को बधाई दी कि वे सतगुरु के आदेशानुसार तुरंत ही हर सेवा के लिए तत्पर हो जाते हैं। उन्होंने इस सेवा में योगदान देने वालों का धन्यवाद किया।

उन्होंने आश्वस्त किया कि इन लगाए गए पौधों की संभाल एवं रखरखाव हम लोग करेंगे। पौधे लगाना तो हमारा दायित्व था लेकिन सेवादारों ने थोड़े ही समय में इस दायित्व को निभाते हुए अनुसरणीय उपकार किया है।

संत निरंकारी मिशन के प्रवक्ता ने बताया कि आज के वननेस वन कार्यक्रम में लगभग 200 पौधे रोपित किए गए, जिनकी ऊंचाई औसतन 06 फुट रही। लगाए गए पौधों में पीपल, नीम, जामुन, हार श्रृंगार, कचनार, बोगेन बेल, चैरी बलोशम, बुद्धा बैली बैम्बू, अमलतास, मोलसरी, केजुरीना, फाइकस पाण्डा, टिकोमा, गौड़ी चौड़ी, फाइकस वैजामिना, गुल मोहर, हमेलिया, अर्जुन आदि थे।

आज के इस वननेस वन पौधारोपण कार्यक्रम में अतिथियों श्री जोगिंदर मनचंदा एवं पार्षद संजय प्रधान को मान सम्मान के रूप में पगड़ी भेंट की गई। अतिथियों ने इसके लिए सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।

पौधारोपण कार्यक्रम का शुभारंभ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज को समर्पित होकर अरदास करते हुए, सेवादल प्रार्थना के साथ प्रारंभ हुआ।

इस वननेस वन पौधारोपण अभियान में निरंकारी सेवादल एवं भक्तों, आसपास रहने वाले निवासियों आदि सभी का योगदान सराहनीय रहा।

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