27 जुलाई, गुरुग्राम – इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गुड़गांव अध्यक्ष डॉ एनपीएस वर्मा ने बताया कोविड काल में डॉक्टरों पर हिंसा करना अध्यादेश के जरिए गैर जमानती अपराध घोषित किया गया था l स्वास्थ्य कर्मचारी पर हाथ उठाने वाले अपराधी को 7 साल सजा वह कई लाख रुपए जुर्माना की सजा थीl

आरटीआई के जरिए पता चला है यह अध्यादेश अब खत्म हो गया है और सरकार की इसे कानून के रूप में बदलने की कोई मंशा नहीं हैl डॉ सारिका वर्मा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गुड़गांव की सचिव ने कहा आए दिन डॉक्टरों पर हिंसा की वारदात होती रहती हैl डॉक्टर डर के माहौल में काम कर रहे हैंl एक सर्वे के मुताबिक 75% भारतीय डॉक्टर मोब वायलेंस से डरते हैंl हाल ही में राजस्थान के दौसा जिले में डॉ अर्चना शर्मा ने मोब वायलेंस के डर से आत्महत्या कर ली थीl कितने और डॉक्टरों की जान गवाने के बाद हमारी सरकार इस विषय को गंभीरता से लेगी?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कई वर्षों से स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रही हैl यूके और ऑस्ट्रेलिया में अगर कोई भी स्वास्थ्य कर्मचारी पर हाथ उठाता है तो उन्हें जेल में डाल दीया जाता हैl हमारे यहां मरीज की मृत्यु अस्पताल में हो जाए तो भीड़ इकट्ठी हो जाती है और डॉक्टर पर हाथ उठाना, अस्पताल को तोड़ना एक आम बात हो गई हैl

वरिष्ठ बाल चिकित्सक डॉ अजय अरोड़ा ने कहा यह डर का माहौल समाज को आने वाले समय में परेशान करेगा-हिंसा से डर कर डॉक्टर अपने नर्सिंग होम में सीरियस मरीज को भर्ती ही नहीं करेंगेl वरिष्ठ सर्जन डॉ सुरेश वशिष्ठ ने कहा भारत में डॉक्टरों की कमी नहीं हैl डॉक्टर पापुलेशन रेश्यो 1:834 हो गया है जबकि डब्ल्यूएचओ 1:1000 को पर्याप्त मानती हैl अब जरूरत है सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करें और सभी स्वास्थ्य सुविधाएं छोटे-छोटे शहरों तक पहुंचाएंl आज गुरुग्राम जैसे शहर में 25 से अधिक प्राइवेट कॉर्पोरेट हॉस्पिटल है लेकिन इकलौते सिविल अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैl सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में ज्यादा निवेश करना पड़ेगा ताकि आम लोग अपनी जेब से स्वास्थ्य के लिए पैसा खर्चने पर मजबूर ना होl

डॉ अभिषेक गोयल का कहना है 10 लाख डॉक्टर व कई लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों को सुरक्षित वातावरण देना सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए एक सख्त कानून दोबारा बनना चाहिएl

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