भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। देश के प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान चलाया है और सारा देश आजादी के अमृत महोत्सव के हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने में जुटा है। हरियाणा में इसमें विशेष भूमिका सरकार और भाजपा कार्यकर्ताओं की दिखाई दे रही है। एक बात याद आती है कि जोश में इंसान अपना होश अक्सर खो देता है तो प्रश्न यही है कि कहीं जोश में होश न खो बैठें। 

राष्ट्रध्वज हमारे देश के गौरव व सम्मान का प्रतीक है जो हमारे देश की स्वतंत्रता को दर्शाता है। तिरंगा देश की अखंडता और लोगों में देशभक्ति की भावना को प्रेरित करता है, ऐसे में जरूरी है कि तिरंगे को लेकर निर्धारित नियमों व प्रावधानों का ध्यान रखते हुए सम्मान पूर्वक व गरिमा पूर्ण ढंग से इसका इस्तेमाल किया जाए। भारतीय ध्वज संहिता -2002 में इससे संबंधित सभी नियमों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि जब भी तिरंगा फहराया जाए तो उसे सम्मान पूर्ण स्थान दिया जाए और उसे ऐसी जगह लगाया जाए जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। सरकारी भवन पर तिरंगा रविवार और अन्य छुट्टियों के दिन में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है। विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फ़हराया जा सकता है। राष्ट्रीय ध्वज कभी भी फटा हुआ या मेला नहीं फहराया जाता है और इसे केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुकाकर रखा जाता है। किसी भी दूसरे ध्वज या पताका को राष्ट्रध्वज से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जा सकता और ना ही इस के बराबर में रखा जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।

ये कुछ नियम हैं राष्ट्रीय ध्वज फहराने के और इन नियमों की जानकारी झंडा फहराने वाले को होनी चाहिए। अत: मेरी सोच यह है कि धनखड़ सर को इसका पाठ भी कार्यकर्ताओं को पढ़ाना चाहिए, क्योंकि यदि भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ तो जिम्मेदार ओमप्रकाश धनखड़ होंगे।

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