सरकारी अस्पताल का पोस्टमार्टम हाउस जमींदोज कर अवैध कब्जा किया
राव इंदरजीत सिंह के करीबी हैं भाजपा नेता
अगर किसी कांग्रेसी ने किया होता कब्जा तो अब तक भाजपा को उठा देती बवाल

अशोक कुमार कौशिक 

नारनौल ‌।  सिविल सर्जन नारनौल  द्वारा एक शिकायत गत दिवस दी गई जिसके अंदर नारनौल सिविल अस्पताल के सामने पोस्टमार्टम रूम होता था जो कि लगभग 70-80 साल पुराना था । यह करीब 17 साल से इस्तेमाल में नहीं आ रहा था। उस से नारनौल की सरकारी अस्पताल की मलकीत बताते हुए अवैध रूप से उसे तोड़ने वाले के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए थाना शहर नारनौल में एक शिकायत दी गई। सिविल सर्जन महोदय ने शिकायत तो दे दी लेकिन यह नहीं लिखा कि आखिर यह किया किसने है। इस पर रविवार देर शाम पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का केस दर्ज कर लिया है। दूसरी और पार्टी के एक राज्य स्तर के पदाधिकारी की इस युद्ध में संदीप था तथा उसकी राव राजा से नजदीकी के चलते सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया है और ऊपरी आदेशों के बाद केस की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है।

यहां यह उल्लेखनीय है की टीबी अस्पताल की साइड में छह दशक पूर्व में एक मुर्दा घर बनाया हुआ था। शहरवासी इसे चीर घर के नाम से पुकारते हैं। यहां पहले सिविल अस्पताल में आने वाले शव का डॉक्टर पोस्टमार्टम करते थे। शवों को अस्पताल से दूर ले जाने तथा वहां जाकर डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम करने या रात हो जाने पर वही लाश को रख देने से जब शिकायतें बढ़ी तो नागरिक अस्पताल परिसर में ही शवगृह गया बना दिया गया। जर्जर अवस्था में पहुंच गया था क्योंकि पिछले 17 सालों से इसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा जिसे तीन चार रोज पूर्व जेसीबी चलाकर समतल कर दिया गया। इसकी सूचना जब स्वास्थ्य अधिकारियों तक पहुंची तो मौके की वीडियो फोटोग्राफी वीडियोग्राफी करवा कर चिकित्सा अधीक्षक डॉ के एम शर्मा की ओर से पुलिस को इसकी शिकायत दी गई।

यहां दो सवाल खड़े हो रहे हैं पहला सवाल यह है कि यदि इस तरह का कब्जा किसी कांग्रेसी नेता ने किया होता तो मीडिया तथा भाजपा के लोग आसमान सर पर उठा लेते हैं। अब जो कि मामला भाजपा के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी के ऊपर उछला है इसलिए चहूंओर चुप्पी है। सवाल यह है कि आख़िर स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस भाजपा नेता के नाम नामजद रिपोर्ट क्यों नहीं करवाएगी क्या सरकार का रुतबा और उसके पद का खौफ था?

इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लोग भूमाफिया नहीं है क्योंकि सीधे-सीधे आरोप सिविल सर्जन महोदय भू माफियाओं के ऊपर ही लगा रहे हैं। इस पोस्टमार्टम रूम के पास में एक सार्वजनिक शौचालय बना हुआ था जो कि नगर परिषद की जमीन में था और उसके पास एक नाला गुजरता था जो कि भी नगर परिषद की जमीन में था लेकिन आज ना वहां पर पोस्टमार्टम रूम है ना सार्वजनिक शौचालय है और ना वहां वह नाला जो वहां से पानी की निकासी के लिए गुजरता था। नगर परिषद के रिकॉर्ड में टीवीएस लाल की दीवार से लेकर इसी चीज घर की ओर 44 फीट चौड़ाई तथा पीछे रेलवे लाइन तक गहराई वाली जमीन को नगर परिषद की मलकिन बताया जा रहा है। नगर परिषद के पटवारी दर्शन कुमार के अनुसार 2 साल पहले पूर्व पार्षद पवन कुमार के एक जमीनी विवाद के निपटारे के समय यह रिकॉर्ड सामने आया था।

इस चीज फाड़ घर के साथ लगती जमीन गोविंद तथा पूर्व पत्रकार स्वर्गीय सुरेंद्र व्यास के नाम थी। सरकारी दस्तावेजों में खसरा नंबर 2875 तथा 2876 की यह कुल 11325 वर्ग गज भूमि है। जिसमें से आधी जमीन का सौदा कुछ दिन पूर्व में जमीनी खरीद-फरोख्त का काम करने वाले कुछ लोगों ने किया जिसमें भाजपा के इस प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी का नाम भी सामने आया है। जिस जमीन का विवाद गरमाया है उसके बारे में बताया जा रहा है कि वर्ष 1932 बीके के जमीनी बंदोबस्त रिकार्ड में चील गाड़ी यानी पोस्टमार्टम कर के नाम पांच बिश्वा दर्शाई गई है। वर्ष 1962 के रिकॉर्ड में इसका कोई उल्लेख नहीं है।

सच्चाई यह है कि आज शहर के अंदर इस बेशकीमती जमीन को साफ करने और उससे मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में चाहे अस्पताल की मलकीयत हो या फिर नगर परिषद की मलकीयत, पर जेसीबी चलाते हुए सब कुछ साफ कर दिया गया और जिले के अधिकारी मुंह ताकते रह गए? हो सकता है नगर परिषद अधिकारियों की भी कोई इनके साथ मिलीभगत तो जिसकी बदौलत ना नगर परिषद कुछ बोली ना उसका अधिकारी कुछ बोला और ना ही उसकी चेयरपर्सन। खैर छोड़िए फिलहाल तो यह जांच का विषय है कि इन भू माफियाओं जो आज सत्ता जी भर के अपना घर भरने में लगे हैं और सरकारी जमीने कब्जाने में लगे हैं। इन पर कार्रवाई होती है या नहीं? हमें लगता नहीं कि इन पर कोई कार्रवाई हो पाएगी क्योंकि यहां पर तो सब बिके हुए हैं। फिर एक तरफ तो राजाजी का हाथ दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जी के भी हाजिरी अब ऐसे में सैंया भए कोतवाल तो फिर डर काहे का।

इसके साथ साथ थोड़ा सा ध्यान आपका नारनौल के अंदर ही लाल पहाड़ी की जमीन के पास कुछ भू माफियाओं के द्वारा इसी प्रकार ही नगर परिषद की जमीन पर कब्जा किया गया था और कब्जा किस तरीके से किया गया आपको बताते हैं कि भू माफियाओं के द्वारा कुछ बीघा जमीन वहां पर खरीदी गई और कितनी बीघा ही जमीन वहां बेच भी दी गई वह भी फ्लोटिंग करके । अब कोई पूछने वाला हो जब आपने फ्लोटिंग करके जमीन बेची और जितनी खरीदी उतनी बेची तो उसका रास्ता कहां से आया। 

वैसे मुख्यमंत्री के गुप्तचर विभाग को भी इस बारे में ज्ञात करवाया गया था, लेकिन गुप्तचर विभाग भी बेचारा क्या करें। ससुर के आगे बोलने की हिम्मत बहू की थोड़ी होती है। सारी फिल्म साफ है, फिर भी सिविल सर्जन द्वारा दी गई शिकायत के अनुसार पोस्टमार्टम रूम की जमीन पर कब्जा करने वाले और नगर परिषद जिसने लाखों रुपए की लागत से यहां सार्वजनिक शौचालय बनाया था उसे भी तोड़ दिया गया। कहीं ना कहीं अंदेशा है कि यहां नगर परिषद की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया। अब ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है या फिर नहीं अगर नहीं तो एक बात स्पष्ट है इस भारतीय जनता पार्टी में हालात ऐसे हैं जैसे हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और हैं ।‌क्योंकि इन्हीं के लोग जो आज सत्तासीन होने का और अपने उच्च स्तर के संबंधों का फायदा उठाकर सरकारी जमीनों को कब्जाने में लगे हैं।‌ सरकार के अधिकारी जिले के जनप्रतिनिधि हरियाणा सरकार के मंत्री और खुद हरियाणा सरकार महाभारत की गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी है।

अब पुलिस करेगी अपना काम

स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर तोड़फोड़ करने का मामला संज्ञान में आया है यह भवन स्वास्थ्य विभाग की मलकीत है जिन लोगों ने तोड़फोड़ की और कब्जे का प्रयास कर रहे हैं उनके खिलाफ स्वास्थ विभाग की ओर से केस दर्ज करवाने के लिए पुलिस थाने में शिकायत दी गई जिसे दर्ज कर लिया गया है अब पुलिस अपना काम करेगी।

– डॉ अशोक कुमार सिविल सर्जन नारनौल

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