नगर निगम के जेडटीओ की स्टेट विजिलेंस ब्यूरो से जांच कराने की मांग.
मुख्यमंत्री स्वामित्व योजना की आड़ में भ्रष्टाचार होने की प्रबल आशंका.
रजिस्ट्री के नाम पर निगम कर्मचारियों पर मोटी रकम वसूलने का आरोप.
प्रदेश के सीएम समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई शिकायत

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
मुख्यमंत्री स्वामित्व योजना की आड़ में तथाकथित भ्रष्टाचार का अंदेशा जताते हुए इस मामले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो (एसवीबी) से कराई जाए। साथ ही नगर निगम के क्षेत्रीय कराधान अधिकारी (जेडटीओ) की चल-अचल संपत्ति की भी जांच कराई जाए, ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। यह मांग आम आदमी पार्टी, शिव सेना के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से की है।

यहां पत्रकार वार्ता में समाजसेवी माइकल सैनी, मानव आवाज संस्था के संयोजक अभय जैन एडवोकेट, शिव सेना से विक्रम यादव, हरियाणा यूथ आप के उपाध्यक्ष धीरज यादव, आप नेता पारस ने इस मामले में जानकारियां सांझा की। पत्रकार वार्ता में बताया गया कि मुख्यमंत्री समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के नाम पर निगम की तहबाजारी वाली दुकानों को लेकर कहा गया है कि इन दुकानों में रजिस्ट्री के नाम पर निगम कर्मचारियों पर मोटी रकम वसूलने का आरोप है। यह खुलासा गुरुग्राम नगर निगम में ही काम करने वाले एक कर्मचारी ने किया है। जिसकी शिकायत के बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने नगर निगम कमिश्नर को जांच का आदेश भी दिया है। आरोप है कि आउटसोर्स पर लगे एक कंप्यूटर क्लर्क ने स्कीम के नाम पर नगर निगम गुरुग्राम में प्रति दुकान मोटी रिश्वत ली है। भेजी गई शिकायत में यह भी कहा गया है कि नगर निगम कमिश्नर भी इस मामले में शक के दायरे में आते हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई या एसवीबी से करवाई जाए।  

31 दिसंबर 2020 तक मालिकाना हक देना था,
पत्रकार वार्ता में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना में पूरे कागजात नहीं होने पर भी रजिस्ट्रियां कर दी गई। नगर निगम गुरुग्राम की लगभग 700 दुकानों में जो 20 सालों से काबिज हैं। 31 दिसंबर 2020 तक के मालिकों को मालिकाना हक दिया जाना था, जबकि इस हक के लिए केवल 180 दुकानों के मालिकों के द्वारा ही आवेदन किया गया है। जिन्हें मिला उन लोगों से लाखों रुपए रिश्वत लिए जाने के आरोप हैं।

नौकरी से निकाला और फंसाने व धमकी
यह मामला अधिक गंभीर तब बन जाता है, जब एक अन्य आउटसोर्स कर्मचारी ने नौकरी से निकाले जाने और उस पर ही सभी आरोप मढ़कर उसे फंसाने व धमकी मिली। इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर से करने के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर सोशल मीडिया पर जानकारी सांझा करके कहा कि उनकी जान को खतरा है। आरोप हैं कि जेडटीओ इस घोटाले में सहयोगी है। बिना देरी के उसकी चल-अचल संपत्ति की जांच कराई जाए। इस समय वे गुरुग्राम से अपनी बदली कराकर चले गए हैं।

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