उच्च न्यायालय ने कहा डीएमसी का सीएल फार्म की सील खोलने का आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर

– उच्च न्यायालय ने डीसिलिंग की प्रक्रिया पर लगाई रोक

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। शहर के सबसे बड़े मैरिज पैलेस सीएल फार्म पर निर्माण के आठ साल बाद 5 मई को नगर परिषद की कार्यकारी अधिकारी द्वारा सील लगाई गई थी जिसे जिला नगर आयुक्त ने 9 मई को खोलने के आदेश दे दिए थे। इन आदेशों पर अब उच्च न्यायालय ने रोक लगाते हुए डीसिलिंग की कार्रवाई को अगली सुनवाई तक स्टे कर दिया है। अब देखना यह है कि नगर परिषद मैरिज पैलेस को फिर से सील करती है या कोई और रास्ता निकालेगी।

उल्लेखनीय है कि सीएल मैरिज पैलेस में नगर परिषद द्वारा सील लगाने का काम 5 मई को पूरा हुआ था और 10 मई को सील खुल भी गई। इसके लिए संचालकों को ना तो कोई टैक्स भरना पडा, ना ही नक्शा पास हुआ। संचालकों ने सिर्फ 3 लाख रूपए का एक बांड और 3 माह में नक्शा स्वीकृत करवाने की मोहलत मांगी, जिसके आधार पर सीलिंग हटाई गई। इस मामले में शिकायतकर्ता रमेश कुमार ने आरोप लगाए कि उसने 5 मई को अपनी ओर से डीएमसी कोर्ट में अप्लीकेशन दी थी कि सीएल फार्म की रिवीजन अपील की सुनवाई के दौरान उसे भी बतौर पक्षकार शामिल किया जाए। उसकी एप्लीकेशन स्वीकृत कर दी गई और इस अपील की सुनवाई की अगली तारीख 12 मई निर्धारित की गई थी। फिर दो दिन पहले ही बिना सुनवाई के सीलिंग हटाने पर सवाल उठाते हुए उन्होंने सीलिंग हटाने की कार्रवाई को गलत बताते हुए उच्च न्यायालय की शरण ली थी। 

-डीएमसी के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया मामला:

जानकारी के अनुसार हरियाणा पालिका अधिनियम 208 ए के तहत नगर परिषद नारनौल द्वारा की गई सिलिंग कार्रवाई के बाद सील खुलवाने के लिए सीएल फार्म के संचालकों ने जिला नगर आयुक्त कोर्ट में रिविजन पैटिशन दायर की थी। यह काम करने के बाद उनकी ओर से दो दिन पहले 3 लाख रूपए का एक बांड और 3 माह में नक्शा स्वीकृत करवाने के लिए एक शपथ पत्र जिला नगर आयुक्त को दिया गया। इसमें उनकी ओर से कहा गया कि वे खुद स्थानीय निकाय विभाग में भेजे गए नक्शे को इस अवधि में स्वीकृत करवाएंगे। अगर यह कार्य पूरा नहीं हो पाता है तो उनकी 3 लाख रूपए की यह प्रतिभूति जब्त कर ली जाए तथा नियमानुसार कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही उन्होंने रिवीजन अपील भी वापिस ले ली। उनकी ओर से प्रस्तुत बांड व शपथ पत्र के आधार पर जिला नगर आयुक्त डॉ जेके आभीर की ओर से 9 मई को सील खोलने के आदेश जारी किए गए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर मित्तल ने अपने निर्णय में कहा कि जब रिवीजन अपील ही वापिस ले ली गई तो नगर आयुक्त को सीलिंग खोलने का आदेश देने का कोई अधिकार ही नही था। उन्होंने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाते हुए 9 मई को सील खोलने के आदेश जारी किए। मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी 2023 को रखी गई है तब तक नगर आयुक्त द्वारा सील खोलने के आदेश पर की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।

-क्या कहते हैं अधिकारी:

नगर परिषद के कार्यकारी अभियंता अंकित वशिष्ठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश की कॉपी मिल गई है, अभी इस पर जिला न्यायवादी से सलाह ली जाएगी क्योंकि 9 मई के आदेश की पालना तो हो चुकी है ऐसे में क्या कार्रवाई बनती है।

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