“शब्द शिल्पी वागीश ” पुस्तक लोकार्पित

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नंदलाल  मेहता की स्मृति में पुस्तक लोकार्पण एवं पूण्य स्मरण का आयोजन
अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरियाणा प्रान्त ने किया आयोजन

अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरियाणा के तत्त्वावधान में द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय, गुरुग्राम में रविवार 17 जुलाई को प्रातः 10.30 बजे से पुस्तक लोकार्पण एवं पुण्य स्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अ.भा.सा. परिषद हरियाणा प्रान्त के पूर्व अध्यक्ष, मार्गदर्शक, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नन्दलाल मेहता की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर क्षेत्र के संघ संचालक प्रो. सीताराम व्यास ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। प्रांतीय संरक्षक मनोहर लाल अग्रवाल, प्रांतीय मार्गदर्शक डॉ. शिव कुमार खंडेलवाल, गुरुग्राम इकाई अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा, स्वागताध्यक्ष प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र आंतिल, विजया मेहता ने मंच को सुशोभित किया।  मंच की मर्यादा के अनुरूप कार्यक्रम का सधा हुआ सहज संचालन करते हुए प्रांतीय महामंत्री डॉ योगेश वासिष्ठ ने कहा डॉ मेहता जी गुरुग्राम ही नहीं हरियाणा की शान थे। उनका शिष्य मेरे लिए गर्व का विषय है और यह भी दुर्लभ संयोग कि मैं उनका शिष्य रहा और मेरी पत्नी गुरु माँ श्रीमती विजय मेहता की शिष्या रही। 

डॉ मीनाक्षी पांडेय के मधुर कंठ द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना और अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्वलन से विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र आंतिल ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका निभाते हुए अतिथि गण का शाब्दिक स्वागत किया ।

मंच पर उपस्थित अतिथिगण के कर कमलों से डॉ मेहता के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाशित पुस्तक ‘शब्द शिल्पी वागीश’ को लोकार्पित किया गया। पुस्तक की संपादिका गुरुग्राम इकाई अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुस्तक को चार खंडों में बाँटा गया है – स्मृति, रचना, साक्षात्कार एवं चित्रावली। पुस्तक के माध्यम से यह प्रयास किया गया कि उनके कृतित्व व व्यक्तित्व के सारे रंग निखर कर आएँ। वे आजीवन सौन्दर्य को समेटने की कोशिश करते रहे, चाहे वह भाषा का सौंदर्य हो, संस्कृति का सौंदर्य हो, रिश्ते का सौंदर्य हो या परम्परा का सौंदर्य हो । परिषद के माध्यम से वे नवांकुरों में साहित्यिक अभिरुचि की आकांक्षा पालते रहे और मंच उपलब्ध कराते रहे। उनकी जो सतत, सुदीर्घ, विपुल साहित्य सेवाएँ हैं, यह पुस्तक उसके प्रति आभार मात्र है । प्रांतीय संरक्षक मनोहर लाल अग्रवाल अपनी बात रखते हुए भावुक हो गए। उनके आँसुओं ने वह सब कह दिया, जो वे नहीं कह पाए। 

प्रांतीय मार्गदर्शक शिवकुमार खंडेलवाल ने मार्मिक प्रसंगों के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि डॉ मेहता परिषद के प्रेरक व मूल्यवान व्यक्ति थे। उनकी दृष्टि में राष्ट्रीयता के बिना साहित्य कुछ भी नहीं और जो हितकारी है, वही साहित्य है । बड़ी बात यह है कि वे आचरण व चिंतन से शिक्षक थे।

मुख्य अतिथि प्रो. सीताराम व्यास ने कहा कि डॉ मेहता जैसे अनाम साहित्यकार और शब्द शिल्पी की छाया इतनी बड़ी है कि उनका अनुसरण किया जाएगा। साहित्यकार देश व समाज  का मार्गदर्शक होता है। वह समाज को आकार देता है। क्रांति का जन्मदाता होता है। डॉ नन्दलाल ऐसे ही साहित्यकार थे।

प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ सारस्वत मोहन मनीषी ने अध्यक्षीय वक्त्तव्य में अपनी ओजस्वी वाणी से श्रोताओं को चेतनावान बनाते हुए कहा डॉ मेहता वरद हस्त भी थे और खड्ग हस्त भी। उनके जैसा कद्दावर व्यक्ति शताब्दियों में जन्म लेता है। उन्होंने अपनी काव्य पंक्तियाँ भी पढ़ीं, “त्याग तपस्या से मानव माथे का चंदन बन जाता है … ” उन्होंने आश्वस्त भी किया, ” संस्कृति की शाम नहीं होने देंगे….”

इसके पूर्व अ.भा.सा. परिषद हरियाणा प्रान्त के पदाधिकारियों, डॉ मेहता के शिष्यों, कवियों, साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए डॉ मेहता को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनसे जुड़े संस्मरण भी साझा किए। इस शृंखला में मुख्य रूप से प्रान्तीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो रमेश चंद्र शर्मा, प्रान्तीय संगठन मंत्री डॉ मनोज भारत, प्रान्तीय कोषाध्यक्ष हरीन्द्र यादव, डॉ रघुनाथ ऐरी, डॉ. आर. एस. बोकन,  डॉ. पुष्पा आंतिल, महेंद्र सिंगला, त्रिलोक कौशिक, नरेन्द्र खामोश, राज वर्मा, संतोष चौहान, सुनील यादव, तिलक राज मलिक, विधु कालरा, मोनिका शर्मा, विजय नाविक, सुरिन्दर मनचन्दा , मीनाक्षी पांडेय, वीणा अग्रवाल, सविता स्याल, डॉ नलिनी भार्गव, महेंद्र शास्त्री, मुकेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में महानुभावों ने शब्द सुमन अर्पित किए।

प्रो. आर. सी. शर्मा ने 51 वर्षो के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा उनके शून्य से शिखर तक पहुँचने का मैं साक्षी हूँ। दार्शनिक चिंतक डॉ मेहता के कार्यों को रेखांकित किया जा सकता है। जिसमें बाबा प्रकाशपुरी के चरित्र का प्रामाणिक लेखन, अ. भा. सा. परिषद हरियाणा का इतिहास लेखन व संविधान पारण प्रमुख है ।

डॉ आर. एस. बोकन ने डॉ मेहता के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। वे व्यंग्य के पुरोधा थे। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सूरदास साहित्य सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान से अलंकृत डॉ मेहता ज्ञान पिपासु थे।

डॉ मनोज भारत ने कहा उन्होंने संगठन व साहित्य में समानांतर कार्य किया। वे विचार रूप में आज भी जीवित हैं। उनके विचारों को यदि हम पल्लवित व पुष्पित कर सके तो यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।

नरेंद्र खामोश ने कविता के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए-

“मन के अंतस को छुआ करते थे,

बोल ऐसे भी हुआ करते थे।”

गुरुग्राम इकाई उपाध्यक्ष त्रिलोक कौशिक ने कहा उनके अंदर एक स्त्री थी, जो माँ बनकर परवरिश करती थी।

उनके शिष्यों ने प्रमुखता से यह बात कही कि भाषा विज्ञान के वे प्रकांड विद्वान थे।

भाषा की बारीकियों में सिद्धहस्त थे।

 विद्यार्थी के मन में विषय के प्रति रुचि उत्पन्न करने में सक्षम थे। सभी वक्ताओं ने सहर्ष स्वीकार किया कि जिनको भी उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला या सामीप्य प्राप्त हुआ, वे निःसंदेह सौभाग्यशाली हैं। साहित्य जगत के दमकते चिराग डॉ मेहता जी के व्यक्तित्व से स्नेह बरसता था। उनका जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

गुरुग्राम इकाई उपाध्यक्ष विधु कालरा ने विजया मेहता को श्रेय देते हुए कहा वे ही रुक्मणि थी, जिन्होंने डॉ मेहता को नंदलाल बनाया।

परिषद के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री विजय नाविक ने कहा मेरे भाग्य में कुछ अच्छे लोगों का साथ लिखा था। मेहता जी उनमें से एक थे। 

मुकेश शर्मा ने कहा हिंदी समालोचना व समीक्षा के क्षेत्र में वे मिसाल थे। भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी। समाज को जो दिशा उन्होंने दी, उनके जीवन से हमें  प्रेरणा लेनी चाहिए।

डॉ रघुनाथ ऐरी ने कहा वे आलोचना के सिद्धांत को गहराई से जानते थे। उनके साथ हिंदी और संस्कृत का आदान-प्रदान करने के कई अवसर मिले। 

डॉ. पुष्पा आंतिल ने कहा मुझे उनके साथ कार्य करने का अवसर नहीं मिला परन्तु वे अप्रत्यक्ष रूप से मेरे आदर्श रहे हैं।

“समय की धारा में जन-जन बह जाया करते हैं। कुछ जन ऐसे होते हैं जो इतिहास रचाया करते हैं।”

प्रीति तनेजा ने समग्र मेहता परिवार की ओर से पुस्तक प्रकाशन एवं सुंदर, आत्मीय आयोजन के लिए सभी अतिथि गण एवं परिषद के पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर डॉ. लीलमणि गौड़, राजकुमार शर्मा, अरविंद फौगाट, बी. एल. सिंगला, डॉ मुक्ता, कृष्णलता यादव,  राजपाल यादव, अनिल श्रीवास्तव सहित कई साहित्य प्रेमी एवं मेहता परिवार के कई सदस्य उपस्थित थे।

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