स्नातक में अब 45 प्रतिशत नहीं, 50 प्रतिशत अंक होने अनिवार्य.45 प्रतिशत अंकों से भर्ती पिछड़े वर्ग के अध्यापको को नहीं मिलेगा एसीपी.सरकार के नए नियम से हजारों पिछड़े वर्ग के अध्यापक होंगे प्रभावित फतह सिंह उजाला गुरूग्राम। कांग्रेस ओबीसी सैल के राष्ट्रीय चेयरमैन एवं पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि आरक्षण में ओबीसी की क्रीमीलेयर को 8 लाख से 6 लाख तथा डेफिनेशन बदलने के इस पिछडे वर्ग विरोधी फैसले के बाद मनोहर सरकार ने एक बार फिर बीसी वर्ग के अधिकारों पर कैंची चलाने का काम किया है। जहां शिक्षा विभाग में एससी व बीसी के अध्यापकों को पे ग्रेड के लिए 45 प्रतिशत अंक चाहिए थे, वहीं अब सरकार ने पिछड़े वर्गे के लिए इसे 50 प्रतिशत कर दिया है। सरकार के इस फैसले से 45 प्रतिशत अंकों के साथ भर्ती होने वाले पिछड़े वर्ग के अध्यापकों को अब कभी पे ग्रेड एसीपी नहीं मिलेगा। बता दे कि 20-25 साल पहले परीक्षा में सैमेस्टर प्रणाली नहीं होती थी, जिस वजह से नंबर भी कम आते थे, सरकार के इस फैसले से पिछड़े वर्ग के लोगों में काफी आक्रोश है, वहीं पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना की जाए तो साल 2012 में शिक्षा विभाग में अध्यापकों को 10, 20 और 30 वर्ष में मिलनी वाली एसीपी को 8, 16 और 24 वर्ष में देने का फैसला लिया, जो एक सराहनीय कदम माना गया था। कई सालों से छात्रवृत्ति बंद की हुईकांग्रेस नेता कैप्टन यादव ने कहा आज भाजपा सत्ता में केवल पिछडा वर्ग के कारण है। लेकिन भाजपा जिस थाली में खाती है उसी में छेद करती है । भाजपा की सोच हमेशा पिछडा वर्ग विरोधी रही है , लेकिन पिछडा वर्ग के लोग इनके बांटने की राजनीति में फंस गए जिसका नुकसान अब उठा रहे हैं। भाजपा ने सबसे पहले क्रीमीलेयर की डेफिनिशन बदल कर हमारे छात्र-छात्राओं के पांवो में बेडियां डालने का काम किया उसके बाद निजीकरण करके, आउटसोर्सिंग भर्तियां करके आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है। पिछले तीन सालों से प्रदेश में पिछडा वर्ग आयोग में कोई नियुक्तियां नहीं, कई सालों से छात्रवृत्ति बंद की हुई हैं। अब पंचायत चुनाव भी बगैर आरक्षणकैप्टन अजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि हुड्डा सरकार द्वारा गठित केश कला बोर्ड, मिट्टी कला बोर्ड में भी नियुक्तियां नहीं करना इनकी ओच्छी सोच को दर्शाता है। अति पिछडा वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर करने का काम भी किया , क्योंकि पहले इन्होंने नगर परिषद, निकाय और पंचायत चुनावों में 8 प्रतिशत आरक्षण देने का शिगूफा छोडा। उसके बाद ड्रा भी निकाले गए, जिससे कई जगहों पर पिछडा वर्ग के लोगों ने खूब पैसा खर्च किया । लेकिन बाद में पहले वाले पैटर्न पर चुनाव करवा दिए, अब पंचायत चुनाव भी बगैर आरक्षण करवाना इनका असली चेहरा दिखाता है। Post navigation जनवादी महिला समिति बढ़ती हुई महंगाई के विरोध में 12 जुलाई को सभी जिलों में धरने प्रदर्शन आयोजित करेगी क्या विधायक-मेयर को है जनता का ख्याल ?