भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आज विधायक सुधीर सिंगला ने 226 लाख की आरसीसी रोड़ का उद्घाटन किया। बड़ी खुशी की बात है। गुरुग्राम में काम हो रहे हैं लेकिन समय का महत्व शायद सबसे बड़ा है। आज ही विधायक ने कहा कि सभी को वाटर हार्वेस्टिंग करनी चाहिए, जिससे जल स्तर ऊपर आए। बरसात का पानी नालियों में नहीं जाना चाहिए। इस पर दिमाग में विचार आया कि बरसात के मौसम में सड़क निर्माण, क्या यह पहले नहीं हो सकता था? इसके बारे में जानकारी प्राप्त की तो ज्ञात हुआ कि आरसीसी रोड़ में पहले 4 इंच मिट्टी बिछाई जाती है। उसके बाद 6 इंच कच्ची रोड़ी मसाला मिलाकर डाली जाती है और फिर 8 इंच की आरसीसी रोड़ बना दी जाती है। यह जानकारी सेवानिवृत एक्सइएन छोटूराम बिश्नोई से प्राप्त हुई। इस प्रकार यह ज्ञात हुआ कि इस कार्य में 18 इंच यानी डेढ़ फुट मोटाई का काम है। अब सैक्टर का लेबल डेढ़ फुट तो उठ नहीं सकता, क्योंकि सारे मकान नीचे हो जाएंगे और सड़क का पानी घरों में जाएगा। इस अर्थ यह हुआ कि सड़क की डेढ़ फुट खुदाई होगी और इस मौसम में खुदाई होने का अर्थ है कि आवागमन रूक जाना, क्योंकि बरसात में उन गड्ढ़ों में पानी तो भरेगा ही और जब खुदाई होगी तो मिट्टी हर तरफ फैलेगी, वहां से चलने वाले लोग फिसलन का शिकार भी होंगे। अर्थात दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने वाली बात है। फिर एक और कार्यरत अधिशासी अभियंता से पूछा तो उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आप किस चक्कर में पड़ रहे हो, न तो नीचे रेत बिछाई जानी, जो रोड़ी डालनी है वह 2-3 इंच की डाल दी जाएगी और जो ऊपर आरसीसी की सड़क है वह 4-6 इंच मोटाई की नहीं बनेगी। मैंने पूछा ऐसा क्यों तो उसका उत्तर था कि क्यों मेरे मुंह से कहलवाते हो, आप स्वयं समझदार हैं। जो खेल चल रहे हैं, यह उन्हीं खेलों का हिस्सा है। गुरुग्राम की किसी भी स्थान पर बनी हुई सड़क की यदि जांच की जाए तो वह मानकों पर खरी नहीं उतरती। इसमें कभी आपने ख्याल नहीं किया। इसमें जो सीमेंट मिलनी होती है, वह भी मानकों से कम मिलाई जाती है। यह बात जानकार मन में प्रश्न उठा कि मेयर जो पिछले साढ़े चार वर्ष से अधिक सारे निगम के कार्य को देख रही हैं, क्या उन्हें इन बातों का ज्ञान नहीं? और फिर हमारे विधायक जो विधायक बनने से पूर्व वकील रहे हैं, अर्थात उनकी समझ पर भी संदेह तो नहीं करना चाहिए लेकिन मन में प्रश्न अवश्य उठता है कि उन्होंने क्या यह सोचकर कि अब निगम की पेचीदा टेंडर प्रक्रिया से टेंडर पास हुआ है तो काम आरंभ करवा देना चाहिए। अब प्रश्न वही खड़ा होता है कि क्या मेयर और विधायक को जनता की सुख-सुविधाओं का ख्याल नहीं? क्या वे आमजन से अलग हैं? क्या वे यह नहीं सोच सकते कि बरसात में जब सड़क खुद जाएगी तो वहां के निवासियों को कितनी परेशानी होगी? Post navigation पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर खट्टर सरकार का हंटर: कैप्टन अजय आध्यात्मिकता ही पिरो सकती है सबको एक सूत्र में