बीके मदन मोहन …………. ब्रह्माकुमारीज, ओम शांति रिट्रीट सेंटर, गुरुग्राम

भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसकी आध्यात्मिकता है। यही कारण है कि अनेक धर्म, जाति, संप्रदाय और भाषाएं होने के बाद भी अनेकता में एकता के दर्शन भारतीय संस्कृति में ही संभव हैं। विश्व में यूनान, मिश्र, रोम और ऐसी कई सभ्यताएं दम तोड चुकीं हैं। विदेशी आक्रांताओं के द्वारा सबसे ज्यादा आक्रमण इस भारत भूमि पर ही हुए। उसके बावजूद भी हमारी सभ्यता और संस्कृति आज जिंदा है। न सिर्फ जिंदा है बल्कि विश्व को पुनः एक नई दिशा प्रदान कर रही है। इसका मूल कारण आध्यात्मिक शक्ति है।

भारत ने दिया विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् का महामंत्र

भारत ही ऐसा देश है जिसने वसुधैव कुटुंबकम् का महामंत्र दिया। हमें फिर से इसे एक व्यापक स्वरूप प्रदान करने की आवश्यकता है। वर्तमान समय धर्म के नाम पर बढ़ रही हिंसा यही बताती है कि हम कहीं न कहीं मूल सिद्धांतों को भूल गए। अपनी मान्यताओं और विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिस प्रकार प्रकृति के नियम सबके लिए समान हैं, ठीक उसी प्रकार ईश्वर के नियम भी सबके लिए समान हैं। सत्य सबके लिए एक ही होता है। लेकिन सत्य को न जानने के कारण उसे अपने-अपने ढंग से परिभाषित करने के कारण ही द्वंद पैदा होता है। आध्यात्मिकता हमें आत्मिक भाव में रहना सिखाती है। आत्मिक स्तर पर सभी समान हैं।

आध्यात्मिकता करती है व्यापक स्वरूप प्रदान

सभी के मौलिक गुण समान हैं। लेकिन दैहिक भाव पैदा होने से मान्यताओं और विचार धारा का संघर्ष शुरू हो गया। आध्यात्मिकता हमें एक ऐसा व्यापक स्वरूप प्रदान करती है, जहाँ हम मान्यताओं और विचार धाराओं के प्रभाव से ऊपर उठने लगते हैं। क्योंकि इस संसार में हम जो कुछ भी देखते हैं, वो प्राकृतिक है। प्रकृति परिवर्तनशील होने के कारण समय-समय पर मान्यताओं में बदलाव आना संभव है। जिस प्रकार पेड़ की टहनियों और पत्तों में भिन्नता स्वाभाविक है। लेकिन पेड़ का मूल एक बीज ही होता है।

हरेक धर्म का मूल है आध्यात्मिकता

आध्यात्मिकता हमें मूल गुणों से जोड़ती है। आध्यात्मिकता जीवन है। हरेक धर्म की शुरुआत कहीं न कहीं आध्यात्मिक मूल्यों से ही हुई है। लेकिन समय के साथ चलते-चलते आध्यात्मिक पक्ष गायब हो गया और दैहिक पक्ष प्रधान हो गया। दैहिक पक्ष को ही धर्म समझने के कारण हिंसा और कट्टरता का बोलबाला है। अगर हम पुनः एक स्वर्णिम भारत व विश्व का नव निर्माण करना चाहते हैं तो हमें आध्यात्मिक रूप से सशक्त होने की जरूरत है।

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