इंटरनेशनल निदेशिका प्रीति धारा पंचकूला — एक दर्द या फिर इक घाव जो हमेशा के लिये हर दिल अजीज सिंधु मुसेवाला देकर गया है क्या कभी भर पायेगा । वो माता पिता जिन्होंने बड़े राज दुलार से अपने इक लोते पुत्र को जवान कर उसकी शादी और उसके उज्जल भविष्य के इंतजार में पल पल काटा हो ओर एक दम उनके सामने यह बात आ जाये कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा उनके इकलौते पुत्र के सीने में बड़ी बेरहमी से इतनी गोलियां दाग कर हत्या कर दी हो तो आप सब अंदाजा लगा सकते हो कि उन पर क्या बीती होगी । यह वो दर्द है जिसको बयां करना या लिखना बहुत मुश्किल है । यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स महिला विंग्स की इंटरनेशनल निदेशिका प्रीति धारा ने प्रसिद्ध गायक सिंधु मुसेवाला की हुई निर्मम हत्या पर गहरा शोंक व्यक्त करते हुए कही । उन्होंने कहा कि एक कलाकार जोकि अपनी प्रतिभा से लोगो के मनोरंजन के लिये इतनी मेहनत करता हो और चंद मानवता का हनन करने वाले दरिंदे उस कलाकार पर ताबड़तोड़ गोलियां चला उसकी निर्मम हत्या कर दे तो कितना दुख होता है । जबकि वह कलाकार सिर्फ मुहोब्बत की भाषा से लोगो के दिल मे लोकप्रिय हो सिर्फ प्रेम की भाषा ही बांटना जानता है ।प्रीति धारा ने कहा कि सिंधु मुसेवाला की निर्मम हत्या पर पूरा पँजाब , देश विदेश का नागरिक गमगीन हुआ बैठा है । और कुछ ऐसे भी लोग है जो मुसेवाला कि निर्मम हत्या को राजनैतिक मोड़ देने पर तुले हुए हैं जोकि बहुत शर्मनाक बात है । इतनी छोटी सी उम्र में सिंधु मुसेवाला ने देश विदेश में जो लोकप्रियता हासिल की है वो आसान नही थी । प्रीति धारा ने कहा कि हम लोग कभी उनकी सिक्योरटी हटने , गैंगवार आदि की बाते तो कर रहे हैं मगर उन माता पिता से जाकर कोई पूछे कि जिस बेटे कि शादी अगले माह होने वाली थी ओर पूरा घर उसकी शादी की तैयारी में लगा हो और जहाँ शहनाई गूंजने वाली हो और वहा इस प्रकार से मातम हो जाये तो उन माता पिता का क्या हाल होगा । उस पिता से पूछो जिसको अपने जवान बेटे की देह अपने कंधों पर उठा उसे आखरी यात्रा करवानी पड़े तो उन पर क्या बीती होगी यह बताई नही जा सकती । उन्होंने सिंधु मुसेवाला कि इस निर्मम हत्या पर दुख जताते हुए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते हुए भगवान को अपने चरणों मे स्थान देने व उनके माता पिता को यह असहनीय दर्द को सहने की क्षमता प्रदान करने की शक्ति देने की प्रार्थना की । Post navigation सिंधु मुसेवाला : कल खेल में हम हो ना हो , गर्दिश मे तारे रंहेगे सदा आखिर क्यों बार बार बलि चढ़ती है रिश्तों की मर्यादा में फंसी नारी