यह जमीन लेने का शायद प्रदेश में ऐसा पहला मामला है जब एम्स के लिए माजरा के किसान 9 माह से सरकार की शर्तानुसार जमीन देने को तैयार है। बार-बार सरकार से जमीन लेने की गुहार भी लगा रहे है, पर भाजपा खट्टर सरकारे जमीन लेने को तैयार ही नही है। रेवाड़ी 1 जून 2022 – मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के लिए 31 मई तक एम्स के लिए जमीन देने वाले किसानों की जमीन की 31 मई तक रजिस्ट्रीया शुरू करने की डेडलाईन खत्म होने के बाद भी भाजपा खट्टर सरकार द्वारा रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू न करने पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि उनकी यह आशंका सही साबित हुई कि उक्त डेडलाईन केवल एक हवाई जुमला थी। विद्रोही ने कहा कि भाजपा खट्टर सरकार मनेठी माजरा एम्स निर्माण के प्रति कितनी गंभीर है, यह इसी से पता चलता है कि विगत 9 माह से माजरा के किसान एम्स के लिए स्वेच्छा से सरकार की शर्तानुसार अपनी जमीन देने को तैयार बैठे है, पर भाजपा सरकार है कि उनकी जमीन लेने के लिए किन्तु-परन्तु लगाकर तारीख पर तारीख पर देकरे मामले को सुनियोजित रणनीति के तहत लम्बा खींचती जा रही है। यह जमीन लेने का शायद प्रदेश में ऐसा पहला मामला है जब एम्स के लिए माजरा के किसान 9 माह से सरकार की शर्तानुसार जमीन देने को तैयार है। बार-बार सरकार से जमीन लेने की गुहार भी लगा रहे है, पर भाजपा खट्टर सरकारे जमीन लेने को तैयार ही नही है। विद्रोही ने कहा कि जो सरकार व प्रशासन एम्स के लिए जमीन लेने के लिए भी गंभीर व ईमानदार नही है, वह एम्स निर्माण के प्रति कितना गंभीर है, बताने की जरूरत नही। सरकार के ऐसे रवैये के बाद यह साफ है कि यदि जनदबाव व वोट बैंक की राजनीति के लिए भाजपा खट्टर सरकार माजरा के किसानों की जमीन ले भी लेती है तो वह एम्स निर्माण प्रक्रिया के अगले कदमों को पूरा करने में कितनी अडचने डालकर जान-बूझकर देरी करेगी, यह बताने की जरूरत नही। कटु सत्य यह है कि जुलाई 2015 में मुख्यमंत्री ने दबाव में मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा तो अनमने ढंग से कर दी, पर वे इस घोषणा को पूरा करने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार नही रहे। तभी मनेठी माजरा एम्स मामले में विगत सात सालों से मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व भाजपा सरकार ने इतने रंग बदले है कि उनके रंग बदलने की इस प्रक्रिया को देखकर गिरगिट भी शर्मा जाये। विद्रोही ने कहा कि यहां के जनप्रतिनिधि एम्स मुद्दे पर कठोर कदम उठाकर मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा करके एम्स निर्माण को पूरा करवाने की बजाय खटटर की बीने पर नाचकर अपनी कमजोरी व दब्बूपन का ही दिखा रहे है। जिस अहीरवाल के बल पर 2014 में भाजपा को हरियाणा की सत्ता पाने का रास्ता साफ हुआ, उस अहीरवाल के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार, भेदभावपूर्ण, विद्वेष से भरा व्यवहार समझ से परे है। विद्रोही ने मांग की कि भाजपा से निर्वाचित जनप्रतिनिधि क्या तो एम्स निर्माण प्रक्रिया एक निश्चित समय अवधि में पूरा करवाये या भाजपा व सरकार से त्याग पत्र देकर जनता के साथ खड़े होकर भाजपा का बहिष्कार करे। Post navigation कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा को राज्यसभा नहीं भेजे जाने को लेकर एक बार फिर कांग्रेस के अंदर जंग छिडी जो सरकार ओबीसी आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रही हो, वो ओबीसी वर्ग की हितैषी कैसे ? विद्रोही