सत्य को पकड़ो क्योंकि सत्य को बदला नहीं जा सकता : कंवर साहेब
जैसी संगति करोगे गुण भी वैसे ही उपजेंगे
संगत से गुण उपजे और कुसंग से गुण जा, ‘सत्संग’ सत्य का संग : हजूर कंवर साहेब जी महाराज
गुरु से बढ़कर इंसान के लिए कुछ नहीं है : कंवर साहेब जी

दिनोद धाम जयवीर फोगाट

22 मई,सत्संग कोई आयोजन या कोई प्रचार प्रसार ना होकर सत्य का संग करना है। सत्य केवल परमात्मा है और सत्संग परमात्मा की सता को स्वीकारना और उसका गुणगान करना है। सत्संग केवल खुद के भीतर जाकर चिंतन मनन करना है। हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने कहा कि जो बाते आपको सत्संग में बताई जाती है वो आप सब जानते हैं लेकिन जानना काफी नहीं है। महत्वपूर्ण है जो हम जानते हैं उसको मानना। उन्होंने कहा कि जब इस जगत में आए थे तब एक तिनका तक साथ नहीं लाए थे। ना इस तन पर कपड़ा था ना हाथ में माया थी। फिर क्यों इतना संचय कर लिया। हम उत्तम कर्म करने की बजाए और जीवन की बातो में फंस कर रह गए। उत्तम कर्म केवल परमात्मा की भक्ति है। उन्होंने फरमाया कि जैसी संगति करोगे गुण भी वैसे ही उपजेंगे। अच्छी संगति मिलने से मूर्ख से मूर्ख भी सुधर जाता है। गुरु महाराज जी ने कहा कि दुर्गन तो पलक झपकते ही आ जाते हैं लेकिन अच्छे गुणों को विकसित करने के अनेक प्रयास करने पड़ते हैं। अच्छाई की अनेकों पाठशालाएं हैं और बुराई की एक भी नहीं है फिर भी बुराई तुरंत पनप जाती है क्योंकि सब स्वार्थो में बह रहे हैं। इंसान दूसरो से अपनी तुलना करता तो है लेकिन बुरे व्यवहार में। तुलना करनी है तो अच्छे गुणों की किया करो। उन्होंने बताया कि कोई बुरे के साथ बुरा करता है वो और भी बुरा है। पराई बातो में मत फंसो केवल अपने आप को सुधारो। मीरा बाई, बुल्लेशाह, बलख बुखारे का बादशाह के जीवन को देखो। सब कुछ होते हुए भी उन्होंने राजपाट शानो शौकत को ठोकर मार कर भक्ति को अपनाया था।

-मां-बाप के मान-सम्मान, सुख का हर सांस के साथ रखो ख्याल : हजूर कंवर साहेब

 हुजूर ने कहा कि आज कलयुग है झूठ के तो दस साथी मिल जायेंगे लेकिन सत्य को परीक्षा देनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि फिर भी सत्य को पकड़ो क्योंकि सत्य को बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि ये कर्म प्रधान संसार है। यहां कर्मो का लेखा हर किसी को चुकाना पड़ता है।अगर कोई आपके लिए कांटे भी बोता है तो भी आप उसके लिए फूल ही बोवो क्योंकि आपके किए हुए खोटे कर्म ना केवल इस जीवन में आपको कष्ट देंगे बल्कि परलोक में भी आपको इसका ब्याज चुकाना पड़ेगा। हुजूर ने कहा कि आप अपने जीवन को उत्तम बनाओ। अपने चरित्र को उज्ज्वल बनाओ। जो आपको मिला है उसी में परमात्मा शुक्र मनाओ। परमात्मा को किसी भी चीज के लिए दोष मत दो। पाप कर्म की कमाई मत खाओ। मां-बाप के मान-सम्मान और उनके सुख का हर सांस के साथ ख्याल रखो। उनकी सेवा करना ही सच्ची भक्ति है। बहु सास को मां मान ले और सास बहू को बेटी मान ले तो सारा झगड़ा ही समाप्त हो जाए।

गुरु से बढ़कर इंसान के लिए कुछ नहीं है : कंवर साहेब जी

हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि जिनके हृदय में गुरु बसा है उनके घर भी मंदिर की तरह ही पूज्य होते हैं। गुरु से बढ़कर इंसान के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरु का दर गंगा घाट की तरह है वहां जाकर आप तौबा किया करो। अरदास किया करो कि मुझसे कोई पाप कर्म ना हो। मैं गुनहगार हूं आप बक्शन हार हो। मुझे नेक कर्म करने की शक्ति दो। हुजूर ने कहा भक्ति की कई सीढियां है जिन्हे आप को नित प्रति दिन तय करना है। हुजूर ने कहा कि हमारे मन में भरी दुर्मती और बुरे गुणों को जब तक हम नहीं निकालेंगे तब तक हम उसमें अच्छे और सत्य के गुण नहीं डाल सकते। गुरु महाराज जी ने कहा कि आपके हाथ में केवल कर्म करना है लेकिन उन कर्मो का लेखा जोखा लिखने की कलम केवल परमात्मा के हाथ में है।

सत्संग में तीन चीजों को खुला रखो : हजूर कंवर साहेब

सत्संग में तीन चीजों को खुला रखो।आंख, कान और हृदय। आंख से गुरु के दर्शन करो, कान से उनके वचन बार बार सुनो और उन वचनों को अपने हृदय में गुणों। गुरु महाराज जी ने कहा कि सतगुरु का दर्शन किसी बिरले बड़भागी जीव को होता है। गुरु देह के दर्शन तो हम सब अपनी बाहरी आंखो से कर लेते हैं लेकिन गुरु के नूरी रूप का दर्शन तो केवल भाग वाला ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि गर्मी में केवल अपना ही नही बल्कि बेजुबान पशु पक्षियों की भी संभाल किया करो। इनके लिए चुगा चारा और पानी की व्यवस्था भी किया करो।

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