सोहना बाबू सिंगला

प्रदेश में आयुष्मान कर्मचारियों का जमकर शोषण हो रहा है। जिनको कई माह से वेतन नहीं मिल सका है। जिसके कारण उन्होंने कार्य करना ही छोड़ दिया है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या प्रदेश में करीब 250 है। जो अपनी बदहाली के लिए सरकार व प्रशासन को कोस रहे हैं। वहीं आयुष्मान कर्मचारियों के काम छोड़ देने से लोग अपने गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए धक्के खाते घूम रहे हैं। जो सरकार द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। सरकार ने आज तक भी आयुष्मान कर्मचारियों की सुध नहीं ली है। जबकि वे स्थानीय स्तर से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी बेबसी की गुहार लगा चुके हैं। 

विदित है कि गत करीब 4 वर्ष पूर्व सितंबर 2018 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को हरी झंडी प्रदान की थी। ताकि लोगों को 5 लाख रुपये तक निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। जिसके लिए सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार परिवारों को चिन्हित किया था। तथा उनको गोल्डन कार्ड वितरित किये थे। योजना के तहत सरकार ने करीब 250 आयुष्मान कर्मचारियों को तैनात किया था। ताकि योजना सुचारू रूप से चल सके। सरकार ने योजना के लिए भारी भरकम राशि भी आवंटित की थी। किन्तु हैरत की बात है कि उक्त योजना चन्द दिनों तक चलने के बाद फेल होकर रह गई है। योजना को चलाने के लिए नियुक्त कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण काम छोड़ दिया है। प्रदेश में करीब 250 कर्मचारी नियुक्त किये थे। जबकि सोहना कस्बे में 10 कर्मचारी तैनात किए थे। आरोप है कि ऐसे आयुष्मान कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं दिया जाता है। इसके अलावा उनका नाम आज तक भी कौशल योजना में दर्ज नहीं हो सका है। कई स्थानों पर ठेकेदार ही वेतन का भुगतान करते हैं। 

नागरिक हो रहे परेशान ………….आयुष्मान भारत योजना से जुड़े नागरिक गोल्डन कार्ड न बनने से परेशान हैं। जिनको कोई भी कर्मचारी नहीं बना रहा है। उक्त योजना के लिए नियुक्त कर्मचारियों ने कार्य छोड़ दिया है। जिसके कारण लोगों को बैरंग ही लौटना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं आयुष्मान मित्र …………योजना से जुड़े आयुष्मान मित्रों नितिन, सूरज, अमरीक, दीपिका, अरुण, पूनम आदि का आरोप है कि सरकार उनके साथ सौतेला बर्ताव कर रही है। जिनको वेतन तक के लाले हैं। कर्मचारियों को नेशनल हेल्थ मिशन व कौशल योजना से आज तक भी नहीं जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने उक्त मामला स्थानीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक के संज्ञान में लाया है। किंतु आज तक भी कोई हल नहीं निकल सका है।

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