विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र बोले भारत को विश्वगुरु बनाएगी संस्कृत. देश को विश्वगुरु बनाने को संस्कृति और संस्कृत को सभी के ह्रदय में पल्लवित करें. संस्कृत को बचाया जाना जरूरी अंग्रेजों ने नुकसान पहुंचाकर ही राज किया. राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति-संस्कृत संगम कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 2017 से 2020 के 7 पुस्तक पुरस्कार विजेताओं का भी सम्मान किया गया. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा गुरुकुलों की ग्रांट 8 हजार से की 20 हजार. गुरुकल अपने यहां पर अब कम्प्यूटर और इंग्लिश टीचर भी नियुक्त कर पाएंगे फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । हरियाणा संस्कृत अकादमी ने गुरुग्राम में संडे को राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति-संस्कृत संगम कार्यक्रम का आयोजन किया। संस्कृत विद्वानों के महाकुंभ बने इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से सभी गुरुकुलों, संस्कृत महाविद्यालय संचालकों के साथ संस्कृत अध्यापक शामिल हुए। मुख्यातिथि विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चन्द्र रहे। मुख्यातिथि विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चन्द्र ने कहा कि सबकुछ वेद वेदांग में समाहित है। ऐसा कुछ शेष नहीं है जो सस्कृत भाषा में नहीं है। भारत के प्राचीन गौरव को फिर से स्थापित करना है। सभी का सहयोग इसमें बहुत जरूरी है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसे कहने मात्र से काम नहीं चलेगा। सभी को न केवल इसे आत्मसात करना होगा, अपितु इसके लिए दृढ़संकल्पित भी होना होगा। उन्होंने कहा कि देश को विश्वगुरु बनाना है तो संस्कृति और संस्कृत को न केवल संरक्षित करना होगा, अपितु उन्हें जनमानस के ह्रदय में पल्लवित करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि विश्व का कल्याण करना है तो सबसे पहले राष्ट्र का कल्याण करना ज़रूरी है। राष्ट्र का कल्याण तभी होगा जब हम संस्कृति और संस्कृत के महत्व को स्वीकारेंगे। राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी वैदिक संस्कृति है। इसे मजबूत बनाये रखने के लिए संस्कृत को बचाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचाकर राज किया। स्वयं मैक्समूलर ने अपनी पत्नी को पत्र लिखकर कहा था कि मैंने मात्र तीन लाख रुपए के लालच में इतनी बड़ी महान संस्कृति का नाश कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सनसिटी स्कूल के प्रबंध न्यासी लक्ष्मीनारायण गोयल के पुत्र अर्पित गोयल ने की। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्वतगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इसी कार्यक्रम में अकादमी द्वारा वर्ष 2017 से 2020 के 7 पुस्तक पुरस्कार विजेताओं का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम संस्कृत गुरुकुलों और संस्थानों के लिए सौगात लेकर आया। एक तरफ जहाँ हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने संस्कृत संस्थानों को पहली से 12वीं तक मान्यता प्रदान करने की घोषणा की, वहीं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने गुरुकलों को मिलने वाली ग्रांट को 8 हजार से बढाकर 20 हजार करने की घोषणा की। गुरुकल अब इस ग्रांट के माध्यम से कम्प्यूटर और इंग्लिश टीचर भी नियुक्त कर पाएंगे। गुरुकुलों का उत्थान ही हमारी प्राथमिकताअकादमी निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि अकादमी का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश में संस्कृत का माहौल पैदा करना है। धन के अभाव में मृतप्राय हो चुके संस्कृत संस्थानों को हरियाणा सरकार के मार्गदर्शन में मजबूत आधार देने का काम अकादमी ने किया है। गुरुकुलों का उत्थान हमारी प्राथमिकता में शामिल है।गुरुकुलों को कोई कमी न रहे, इसके लिये सामाजिक संस्थाओं को गोद दिलाएंगे।इसके लिए बाकायदा कमेटी का गठन किया जाएगा। अगस्त-सितंबर माह में संस्कृति से जुड़े राज्य स्तरीय खेलकूद की प्रतियोगिता करवाई जाएगी।संस्कृत सिखाने के लिए कौशल केंद्रों की प्रदेशभर में स्थापना की जाएगी। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में निदेशक (केंद्रीय योजनाएं) प्रोफेसर आर. जी. मुरली कृष्ण ने कहा कि विश्वविद्यालय के पास राशि आप लेने वाले बने। 13 प्रकार की योजनाएं संस्कृत संस्थानों के विकास के लिए है। फिलहाल 25 गुरुकलों को मान्यता प्रदान की गई है।संस्कृत नाटक श्निहारिका का मंचन कियाशिक्षा बोर्ड के वाइस चौयरमेन वीपी यादव ने कहा कि गुरुकुलों की मांग रही है कि बोर्ड से उन्हें 6 से 8 तक की मान्यता मिले। शिक्षा बोर्ड उन्हें 12वीं तक मान्यता प्रदान करने का काम करेगा। इस अवसर पर द्रोणाचार्य महाविद्यालय की टीम द्वारा संस्कृत नाटक श्निहारिका का मंचन किया गया। इसके माध्यम से नारी शक्ति और महता का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में अकादमी की यूजीसी केयर लिस्टेड पत्रिका श्हरिप्रभाश् और सरल संस्कृत संदर्शिका का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में निदेशक (केंद्रीय योजनाएं) प्रोफेसर आर. जी. मुरली कृष्ण, अनुभाग अधिकारी (योजना) राजेश कुमार मिश्र के साथ-साथ हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के वाइस चौयरमेन वीपी यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।इसके अलावा प्रमुख वक्ताओं में सनसिटी स्कूल निदेशक रूपा चक्रवर्ती, संस्कृत अध्यापक संघ के प्रधान रामप्रसाद कौशिक, लज्जाराम संस्था के महंत राजेशस्वरूप जी महाराज, आचार्य प्रधुमन ,डॉ. अशोक दिवाकर , डॉ मीनाक्षी पांडेय, अश्वनी शर्मा, आचार्य देवव्रत, डॉ. अशोक मिश्र,सुशील शास्त्री, सुप्रिया सजल, अलका,मुकेश पांडेय, मुरलीधर शास्त्री, गीता आर्य आदि मौजूद रहे। इन पुस्तक विजेताओं का हुआ सम्मानडॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि पुस्तक-पुरस्कारों में ‘एकांकी संग्रह अनुवाद नाटक’ वर्ष 2017 के लिए पार्वती शर्मा (हिसार),नाटक विधा में कुरुक्षेत्र के डॉ. चित्तरंजन दयाल सिंह कौशल,पद्य विद्या’ वर्ष 2018 के लिए डॉ. जोगेंद्र कुमार (भिवानी), नाटक विधा में वर्ष 2018 के लिए सुशील कुमार शास्त्री (हिसार) ,‘गद्य विधा’ वर्ग में वर्ष 2019 के लिये डॉ. जितेंद्र कुमार (पंचकूला) को ,वर्ष 2020 में ‘पद्य विधा’ में जयपाल शास्त्री (भिवानी), नाटक विधा में डॉ. पीयूष अग्रवाल (अंबाला) को राज्यस्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया। Post navigation डीएलएफ फेज-1 थाना में नवकल्प के साथ एसीपी ने लगाए दाना-पानी घोंसले अंतरराज्यीय ठक-ठक गिरोह का पांचवा सदस्य काबू……