गुडग़ांव, 25 अप्रैल (अशोक): चैक बाउंस के मामले की सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अमितेंद्रा की अदालत ने पुख्ता सबूतों व गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी करार देते हुए 2 साल की कैद व 7 करोड़ रुपए हर्जाने की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी को जिला जेल भेज दिया है। ] पीडि़त के अधिवक्ता सुभाष ग्रोवर से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली स्थित गल्फ कंपनी के निदेशक सुरेंद्र ने वर्ष 2017 में चैक बाउंस से संंबंधित मामला अदालत में दायर कराया था। उनका कहना है कि गल्फ कंपनी को दिल्ली में सुधीर शर्मा नामक व्यक्ति जोकि प्रोपर्टी का काम करता है, उसने ग्रेटर कैलाश में एक प्लाट का सौदा कराने का आश्वासन दिया था। उसने मालती नामक महिला का प्लाट बताया था। प्लाट दिलवाने के लिए सुधीर शर्मा ने कंपनी से 50 लाख रुपए अपने नाम तथा 5 करोड़ रुपए मालती को डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान करा दिया था। इस प्लाट की कीमत कुल 40 करोड़ रुपए बताई गई थी। बाद में जब कंपनी को पता लगा कि सुधीर शर्मा ने जिस मालती महिला से प्लाट का सौदा कराया है, वह फर्जी है। कंपनी ने सुधीर शर्मा के खिलाफ दिल्ली में एक मामला भी धोखाधड़ी का दर्ज कराया था। जिसके कारण वह 9 माह जेल में भी रहा था। जब कंपनी ने उस पर पैसा वापिस करने का दबाव बनाया तो सुधीर शर्मा ने 6 करोड़ 40 लाख रुपए के 3 चैक गल्फ कंपनी के नाम जारी किए थे। जब इन चैक को बैंक में डाला गया तो ये चैक बाउंस हो गए। क्योंकि सुधीर शर्मा के खाते में पर्याप्त पैसे नहीं थे। अधिवक्ता ने बताया कि अदालत में मामले की सुनवाई हुई। पीडि़त पक्ष की ओर से उन्होंने अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उनसे आरोपी पर चैक बाउंस के लगे आरोप सिद्ध होना पाते हुए अदालत ने आरोपी को 2 साल की कैद व 7 करोड़ रुपए हर्जाने की सजा सोमवार को सुनाई है और उसे 2 साल के लिए जेल भी भेज दिया गया है। Post navigation ब्लाइंड मर्डर का केस सिर्फ 6 घंटे में सुलझाकर हत्यारे को किया गिरफ्तार। हुआ क्या भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ की जिला कार्यकारिणी की बैठक में ?