संगरक्षक ही जाँच कराए तो अच्छी बात हो सकती हैं मगर सवाल निष्ठा पर खड़े होते हैं कारण अपने आप को भृस्टाचारियों का काल कहने वाली खट्टर सरकार पूर्व में कई मामलों में लीपापोती करती हुई स्पस्ट तौर पर नजर आयी है फिर चाहें मामला बंधवाड़ी जमीन का हो या पुराने गुरुग्राम में मेट्रो प्रोजेक्ट वाले रूट मैप का विवाद हो या सेक्टर-12 जमीन रिलीज का हो या फिर धीरेन्द्र बह्मचारी आश्रम जमीन की रजिस्ट्री का मामला हो – इन सब मामलों से बड़ा ऐतिहासिक शराब घोटाला है जिसकी जाँच भी अपने चहेते भृस्टाचारी अधिकारी से कराई गई – जिसका विरोध करने पर अपने ही कार्यकर्ता को पार्टी से बाहर कर दे जो उससे कैसी उम्मीद ?

पूर्व युएलबी मनिस्टर अनिल विज साहब ने पार्षदों के नकली साइन कर पेमेंट जारी करने वाले जिस एक्शन गोपाल कलावत पर एफआईआर तक दर्ज करा दी थी भृस्टाचार के मामले में वह बहाल भी हो गया और डयूटी पर भी है – इसे क्या कहेंगे ?

रही बात ईमानदारी की तो जबसे पूर्व निगम कमिश्नर साहब रात के अंधेरे में टेंडर पास करके गए हैं तबसे खट्टर साहब निगम दफ्तर ,जिएमडीए में टॉर्च लेकर घूम रहे हैं यह देखने के लिए कि कुछ छोड़ा भी है या सबकुछ हुँच-बुहार ले गए इनके चोर अधिकारी ?

पटवारखाने से लेकर तहसील तक पटवारी, गिरदावर और तहसीलदारों ने जमकर रजिस्ट्रियों में नोट कमाए हैं डीटीपी, सीटीपी , इंफोर्समेंट, एक्साइज, हॉर्टिकल्चर, सैनिटेशन ,एक्शन , एसडीओ ,जेटीओ ,सीपीओ सब के सब क्रप्ट हैं ।

कचरा प्रबंधन के नाम पर लूट इकोग्रीन जैसी कंपनियां क्या कम हैं , सड़क निर्माण ठेकेदार , शहर को अंधेरे में डुबोकर रखने वाली स्ट्रीट लाइटों के कॉन्ट्रेक्टर क्या कम है ,लेबर कोन्ट्रक्टर और पानी के टैंकर माफिया हो या मशीनों को किराए पर चढ़ाने वाले ठेकेदार क्या कम भूमिका निभा रहे हैं खजाने को लूटने में ?

तरविंदर सैनी आम आदमी पार्टी नेता गुरुग्राम के अनुसार चोर की चौकसी चोरों से कराकर अपने आप को सफेद-शाह दिखाना चाहते हैं खट्टर साहब – खुद पर दाग ना लगे फिर चाहें दाल काली ही क्यों न हो – अब इसे रेनकोट पॉलटिक्स ना कहें तो क्या कहें ?

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