राजकीय कॉलेजों में अयोग्य व भर्ती घोटाले की मांग
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट की व्यवस्था समाप्त करने की सरकार की तैयारी पर जताई आपत्ति

चंडीगढ़, 8 अप्रैल। राजकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट की व्यवस्था समाप्त करने के फैसले सरकार के फैसले पर हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन (एचएएपीए) आपत्ति जताई है। एचएएपीए के वरिष्ठ व संस्थापक सदस्य प्रोफेसर सुभाष सपरा ने कहा कि हाल ही में उच्चतर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जानकारी मिली है कि सरकार इस बार राजकीय महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती के नियमों में बदलाव करने जा रही है। पहले इसके लिए जो स्क्रीनिंग टेस्ट लिए जाते थे, अब नहीं लिए जाएंगे। नए नियमों में भर्ती के लिए 87.5 मार्क्स एकेडमिक रिकॉर्ड के व 12.5 मार्क्स इंटरव्यू निर्धारित करने की तैयारी है। प्रो. सपरा ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती का यह नया नियम न्याय संगत नहीं है। एक कॉलेज प्रोफेसर की योग्यता के लिए हरियाणा सरकार उनका स्क्रीनिंग टेस्ट अवश्य ले। अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो एसोसिएशन इसका पुरजोर विरोध करेगी।

हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने राजकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति में घोर अन्याय के विरुद्ध जंग का ऐलान किया हुआ है। हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में नकली डिग्री/गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/ अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स की भर्ती की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग को लेकर एसोसिएशन ने पिछले दिनों हरियाणा मिनी सेक्रेट्रिएट में अतिरिक्त मुख्य सचिव चंडीगढ़ को सीएम हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंप कर एसोसिएशन ने यह मुहिम छेड़ा था। इससे पूर्व डायरेक्टर हायर एजुकेशन को भी ज्ञापन सौंपा था। मुख्यमंत्री खट्टर के आवास पर उनके ओ एस डी भूपेश्वर दयाल को भी सी एम के नाम ज्ञापन सौंपा था। एसोसिएशन के सदस्यों ने मौन जुलूस निकाल कर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी। एसोसिएशन इस मामले की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग कर रही है।

ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्क लोड हमेशा रहता है। इसी संदर्भ में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 15 सितंबर 2010 के जारी पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में 200 रुपए प्रति पीरियड के हिसाब से (अधिकतम 18 हजार रुपए प्रति माह) एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति के प्राचार्यों को आदेश दिए थे। इसके लिए प्राचार्यों व स्टाफ ने मिलीभगत कर अपनी इच्छा से इन भर्तियों में फर्जीवाड़ा कर अपने परिचितों व भाई भतीजावाद कर नॉनक्वालिफाइड व नॉन एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स लगाने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती चली गई। इनके द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से प्राप्त नकली पीएचडी डिग्री का प्रचलन बढ़ता चला गया और गलत ढंग से चयन व नियुक्तियां होनी शुरू हो गई। भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार को भी और तेजी से बढ़ावा मिलना शुरू हो गया। सरकार के उदासीन रवैया व उच्चतर शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण इन एक्सटेंशन लेक्चरर की संख्या हजारों में पहुंच गई। इन्होंने सड़क पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए और सरकार से धीरे-धीरे अपनी मांगे मनवानी शुरू कर दी। 20 जुलाई 2017 को इनका वेतन ₹18000 प्रतिमाह से बढ़ाकर ₹25000 कर दिया गया।

अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले सरकार पर इक्वल वर्क इक्वल पे का दबाव डाला और सड़कों पर निकल आए। उन्होंने सारे शहरों में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारियों के पुतले जलाने शुरू कर दिए और परीक्षाओं का बहिष्कार भी कर दिया। चुनाव के दृष्टिगत हरियाणा सरकार को इनके समक्ष झुकना पड़ा व इनका मासिक वेतन 57700 रुपए प्रतिमाह एलिजिबल वह 35400 रुपए मासिक नॉन एलिजिबल कर दिया गया। इसके बाद जो लोग अपनी इच्छा से इधर-उधर नौकरी छोड़ कर चले गए थे, वे सब प्राचार्यों व स्टाफ की मिलीभगत से वापिस आकर कॉलेजों में एडजस्ट होने शुरू हो गए। उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से आलू-टमाटर की तरह पीएचडी की नकली डिग्रियां बनवारी शुरू कर दी और 57700 रुपए प्रतिमाह लेने शुरू कर दिए। इस सब में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारी भी शामिल हो गए व बुरी तरह से भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा। पीड़ित व फ्रेश वेल-क्वालिफाइड युवक घरों में बैठकर हाथ मलते रहे। उसके पश्चात कई बार सरकार ने नॉन एलिजिबल कैंडिडेटस को हटा दिया, परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग व कॉलेजों की मिलीभगत व कई बार माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेश पर इन नॉन एलिजिबल कैंडिडेटस वापस बुला लिए गए। उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने भी उदासीन रवैया अपनाते हुए माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं की।

जारी विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि मार्च 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की नई नियुक्तियों की स्वीकृति दी थी। परंतु यह फाइल अभी तक दबी पड़ी है।

हकीकत यह है कि करीब 1 वर्ष पूर्व उपरोक्त एक्सटेंशन लेक्चरर्स की प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने कॉलेजों के प्राचार्य को दिए थे। इसकी रिपोर्ट भी प्राचार्य व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से आज तक दबी पड़ी है। अर्थात एक चोर दूसरा चोर की ही जांच कर रही थी, इसलिए उसको दबा दिया गया।
यह है कि अब एक बार फिर मेमो नंबर 22/80-2020 सी1(5), 08 फरवरी 2022 को उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राप्त 5 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को चिन्हित कर फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश प्राचार्य को दिए हैं।

जो बिल्कुल ही गलत है क्योंकि यही वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स इन्हीं प्राचार्यों व स्टाफ द्वारा नियुक्त किए गए हैं।
यह है कि वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अपने आप को बचाने के लिए रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को रोकने और अपनी रोजगार सुरक्षा के लिए एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और अब फिर विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं का सहारा ले रहे हैं और हरियाणा सरकार को बुरी तरह से बदनाम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व उच्चतर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं व बड़ी-बड़ी चेतावनी दे रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उपरोक्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटी से प्राप्त हुई डिग्रियां, गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/इलेजिबल लेक्चरर्स की जांच कॉलेज के प्राचार्यों से ना करवा कर सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से करवाई जाए, जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो जाए, क्योंकि यह भर्ती घोटाला विभिन्न कॉलेजों के प्रचार्यों व स्टाफ उच्चतर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया गया है। इसलिए वे इसे ठीक ढंग से नहीं होने देंगे।

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