-कमलेश भारतीय

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस हो या पंजाब प्रदेश कांग्रेस दोनों हाईकमान के आदेश पर बढ़ती महंगाई , पेट्रोल , डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ बोल तो रहे हैं ‘हल्ला बोल’ कार्यक्रम के तहत हल्ला लेकिन इनकी आपसी फूट और गुटबाजी दिन प्रतिदिन जगजाहिर होती जा रही है । इससे जनता पर कितना असर होता होगा ये नेता कतई इस बारे में नहीं सोचते । बस , यही कह सकते हैं –

तेरी दिल्ली, मेरा आगरा
आमो सामने ,, ,,
ये जनता मन ही मन कहती होगी या फिर हिंदी गाने के बोल से समझ लीजिए :
हमसे आया न गया ,
तुमसे बुलाया न गया
फासला प्यार का
मिटाया न गया

ये फासले कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं । ऐसे ही कभी फासले बढ़ते गये तो चौ भजन लाल , चौ बंसीलाल, राव इंद्रजीत , चौ बीरेन्द्र सिंह , धर्मवीर सिंह और न जाने कितने नेता कांग्रेस का हाथ छोड़कर आगे बढ़ गये । जैसे कल ही पूर्व मंत्री निर्मल सिंह भी कांग्रेस में लौटने की बजाय आप पार्टी में चले गये । ये फासले और लोग भी तय करेंगे । आखिर कब तक कांग्रेस नेता आपस में ही नूरा कुश्ती करते रहेंगे और विरोधी दलों पर कब हल्ला बोलेंगे ? आपस में लड़ाई से ही फुर्सत नहीं कांग्रेसजनों को , इनको किसी विरोधी की जरूरत ही क्या है ? हल्ला बोल का असर कैसे हो सकता है ? एक की बैठक दिल्ली में तो दूसरे की बैठक चंडीगढ़ में । बीच की दूरी कौन पार करेगा ? कौन पाटेगा ये दूरी ? एक दूसरे को शायद न्यौते भी नहीं देते । देते हैं तो कोई सुनता और मानता भी नहीं । ऐसे कैसे होगा बेड़ा पार ? कितनी और हार की जरूरत है एकता का पाठ पढ़ने के लिए ?

कितना और डुबोना है कांग्रेस को , खुद डूबने से पहले ? अभी लोग सोशल मीडिया पर नवजोत सिद्धू का दिखा रहे हैं न कार्टून , जिसमें वे प्रधानमंत्री मोदी के सामने नतमस्तक होकर पूछ रहे हैं कि पंजाब का काम तो कर दिया । अगला टार्गेट बताइए । क्या ऐसे ही हर राज्य में नहीं हो रहा ? हर राज्य में कोई न कोई नवजोत सिद्धू की भूमिका निभा रहा है कि नहीं ? फिर हल्ला किस पर बोल रहे हो भाई ? पहले आपस में निपट लो , फिर देखे जायेंगे हिमाचल और छत्तीसगढ़ और गुजरात के चुनाव ,, ,,;
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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