बिजली निगम के एमडी को उपभोक्ता ने भेजा लीगल नोटिस
नोटिस का जबाव न आने पर लेनी पड़ी है अदालत की शरण
4 लाख 38 हजार 792 रुपए उपभोक्ता को पड़े हैं जमा कराने

गुडग़ांव, 7 अप्रैल (अशोक): बिजली निगम द्वारा उपभोक्ताओं को अनाप-शनाप बिजली के बिल भेजकर परेशान किया जा रहा है। कहीं मीटर की गलत रीडिंग बिलों में दी जा रही है तो कहीं अन्य उपभोक्ताओं की मीटर की रीडिंग दूसरे उपभोक्ताओं के बिलों में लगाकर भेजी जा रही हैं। जिससे उपभोक्ता बड़े ही परेशान हैं और वे बिलों को ठीक कराने के लिए बिजली निगम के चक्कर काटते-काटते परेशान भी हो गए हैं। उच्च अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। अंत में उपभोक्ताओं को अदालत का सहारा लेना पड़ रहा है।

ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। जिस पर उपभोक्ता ने गलत बिल को ठीक कराने के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिजली निगम के प्रबंध निदेशक को लीगल नोटिस भी भेजा है, लेकिन नोटिस का जबाव न आने के कारण अब उपभोक्ता को मजबूर होकर अदालत की शरण में जाना पड़ा है। उपभोक्ता के अधिवक्ता क्षितिज मेहता ने बताया कि सैक्टर 15 के प्रेम कुमार के 2 बिजली के कनेक्शन हैं। बिजली निगम द्वारा एक कनेक्शन में 3 फरवरी 2021 तक लास्ट रीडिंग 105504 दिखाई गई थी, जिसका पैमेंट उपभोक्ता ने कर दिया था। दूसरे कनेक्शन में 110630 यूनिट दिखाई गई और पहले की रीडिंग 46115 दिखाई गई थी। इस बिल में 438792 का एरियर दिखाया गया। उपभोक्ता ने जब निगम से इस बारे में बात की तो उसे बताया गया कि 110630 रीडिंग दूसरे कनेक्शन में गलती से दिखाई थी, जोकि वास्तव में पहले कनेक्शन की थी। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने क्षेत्र के एसडीओ से कहा कि वह तो पहले से ही 110630 यूनिट में 105504 यूनिट की धनराशि अपने ही दूसरे अकाउंट में जमा करा चुका है। अत: इस राशि को उसके बिल से कम किया जाए। एसडीओ ने यह धनराशि कम करने से मना कर दिया।

अधिवक्ता का कहना है कि उसे अधिकारियों ने धमकी भी दी कि यदि उसने 4 लाख 38 हजार 792 की धनराशि जमा नहीं की तो उसका एक बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। उन्होंने उपभोक्ता के कहने पर बिजली निगम के प्रबंध निदेशक को
लीगल नोटिस भी 24 फरवरी 2022 को भेज दिया था, लेकिन विभाग की ओर से कोई जबाव नहीं आया। अधिवक्ता का कहना है कि कुछ दिन पहले उपभोक्ता के घर पर बिजली का एक कनेक्शन काटने के लिए निगम के कर्मचारी पहुंच गए और उसे
धमकाया कि उसने उनकी शिकायत बिजली निगम के प्रबंध निदेशक से क्यों की है। आखिर में मजबूर होकर उपभोक्ता को गत माह 9 तारीख को सारा पैसा जमा कराना पड़ा। उपभोक्ता का कहना है कि जब दोनों बिजली कनेक्शन उसी के नाम पर हैं
तो निगम को धनराशि एडजस्ट करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, लेकिन निगम ऐसा नहीं कर रहा है। अंत में उपभोक्ता ने बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस डाल दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि इससे पहले भी इस तरह के
मामले अदालत में आ चुके हैं, लेकिन बिजली निगम पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।

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