लक्ष्य के प्रति समर्पित भाव से प्राप्त होती  सफलता : रक्षा राज्यमंत्री

हिम्मत और उमंग-उत्साह के पंखों से असंभव कार्य भी बनते हैं संभव.
‘डायलॉग ऑन सेल्फ एम्पावरमेंट फॉर ओवरकमिंग’ विषय पर सेमिनार.
परीक्षायें तो जीवन में आती ही रहती पर कभी भी हिम्मत नहीं हारनी

फतह सिंह उताला
गुरूग्राम। 
जितना हम लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करते हैं, उतना ही सफलता के सोपान प्राप्त करते हैं। उक्त विचार केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शान्ति रिट्रीट सेन्टर में सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में व्यक्त किये। आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अन्तर्गत ‘डायलॉग ऑन सेल्फ एम्पावरमेंट फॉर ओवरकमिंग’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आत्मिक शक्ति के बल से ही हम रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हिम्मत और उमंग-उत्साह के पंखों से ही हम कठिन से कठिन कार्य भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें परमात्मा की व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परमात्मा के आदेश से ही उनका यहाँ आना हुआ। परीक्षायें तो जीवन में आती ही रहती हैं लेकिन हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी है। अनुभव ही व्यक्ति को परिपक्व बनाता है। उन्होंने कहा कि वो प्रयास करेंगे कि भारतीय सुरक्षा बलों के अधिक से अधिक अधिकारियों और जवानों को ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोडक़र तनावमुक्त और खुशनुमा बनाया जाये।

ज्य़ादा सोचने से कमजोर होती है विल पॉवर
तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए भारतीय नौ सेना के वाइस एडमिरल, एस. एन. घोरमडे ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था विश्व शान्ति की दिशा में महान कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि अनुशासन ही व्यक्ति को महान लक्ष्य की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि 2011 से मैं ब्रह्माकुमारी बहनों के द्वारा सिखाये जा रहे राजयोग का अभ्यास कर रहा हूँ। घोरमडे ने कहा कि योग से उनके अन्दर स्थिरता आई है और कैसी भी परिस्थिति में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ गई है।

सुप्रसिद्ध मोटीवेशनल स्पीकर बी.के.शिवानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोई भी समस्या उतनी बड़ी नहीं होती, जितना हम उसको सोचकर बना देते हैं। उन्होंने कहा कि ज्य़ादा सोचने से हमारी विल पॉवर कमजोर हो जाती है। बातों को बढ़ाने के बजाए जब हम स्व-स्थिति को बढ़ा देते हैं तो फिर कैसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में खुशी और सम्मान  कभी भी माँगने से प्राप्त नहीं होता। जितना हम दूसरों को देते हैं, उतना ही जीवन उन चीज़ों से भर जाता है।

आध्यात्मिक शक्तियों की जाग्रति से सफलता प्राप्त
इस अवसर पर विशेष रूप से ओ.आर.सी की निदेशिका शुक्ला दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि देह – अहंकार के कारण मानव सभ्यता आज अनेक विकृतियों के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब भारत की संस्कृति बहुत महान थी। वर्तमान समय भौतिकवादी विचारों के कारण मानव मन कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा कि पुनरू राजयोग द्वारा स्व-निरीक्षण कर हमें अपना आन्तरिक सशक्तिकरण करना है। संस्था के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे सुरक्षा सेवा प्रभाग के अध्यक्ष बी.के.अशोक गाबा ने अपनी शुभ कामनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण स्वयं के सशक्तिकरण द्वारा आगे बढऩे की प्रेरणा प्रदान करता है। भारतीय आपदा प्रतिक्रिया बल(एनडीआरएफ) के महानिरीक्षक एन.एस.बुन्देला ने कहा कि सुरक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना हम तभी कर सकते हैं जब हमारा मनोबल ऊँचा हो। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्तियों की जाग्रति से ही हम सफल होते हैं।

राजयोग के द्वारा गहन शान्ति का अनुभव
भारतीय सेना के सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल, वी.जी.खण्डारे ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ के साथ वो पिछले 17 वर्षों से जड़ा हुआ हैं। उन्होंने कहा कि योग के अभ्यास से में जीवन की बहुत कठिन परिस्थितियों से निकला हूँ। भारतीय थल सेना के सेवानिवृत लेलेफ्टिनेंट जनरल ओम प्रकाश, भारतीय नौ सेना के वाइस एडमिरल दीपक कपूर, सेवानिवृत वाइस एडमिरल ए.के.चावला, नौ सेना में कार्यरत रियर एडमिरल, गुरूचरण सिंह ने भी कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभ कामनाएं व्यक्त की। तीन दिवसीय कार्यक्रम में सभी को अनुभवी वक्ताओं द्वारा राजयोग और आध्यात्मिक ज्ञान के गूढ़ विषयों की जानकारी दी गई। बी.के. दीपा ने सभी को राजयोग के अभ्यास द्वारा गहन शान्ति का अनुभव कराया। भारतीय नौ सेना के कमाण्डर शिव सिंह ने सुरक्षा प्रभाग की सेवाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन भारतीय सेना में कार्यरत कर्नल सती ने किया। कार्यक्रम में काफी संख्या में भारतीय सेनाओं, अर्ध सैनिक बलों एंव पुलिस के अधिकारियों और जवानों ने शिरकत की।

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