धरना-प्रदर्शन को लेकर रोडवेज कर्मी और पुलिस आमने-सामने

– सरकार द्वारा मांगे न मानने के विरोध में कर्मचारी फेडरेशन और ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशभर में की जा रही है दो दिवसीय हड़ताल- बसें न चलने से यात्रियों को हो रही परेशानी

गुड़गांव, 28 मार्च, (अशोक): कर्मचारी फेडरेशन और ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर सोमवार से शुरू हुई दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन रोडवेज कर्मी और पुलिस में टकराव की स्थिति बन गई। रोडवेज कर्मियों का आरोप है कि अधिकारियों के इशारे पर पुलिस उन्हें धरना प्रदर्शन नहीं करने दे रही है। रोडवेज कर्मियों व पुलिस के आमने-सामने होने के बाद कार्यालय में बैठे कर्मियों ने भी कामकाज को पूरी तरह से ठप कर दिया। रोडवेज की हड़ताल का सबसे अधिक असर उन यात्रियों को झेलना पडा जिन्होंने रोडवेज के जरिए दूसरे राज्यों व जिलों में जाना था। ऐसे में उन्हें मेट्रो व निजी कैब का सहारा लेना पड़ा। इसका फायदा कुछ कैब व ऑटो चालकों ने उठाया और मनमाने दाम भी वसूले। वहीं, रोडवेज की हड़ताल से मेट्रो में भी भीड़ बढ़ गई। 

हरियाणा रोडवेज सांझा मोर्चा कमेटी के वरिष्ठ सदस्य विनोद शर्मा ने बताया कि रोडवेज कर्मचारी हरियाणा रोडवेज की वर्कशॉप के गेट पर धरने पर बैठ गए। इसमें रोडवेज के ड्राइवर- कंडक्टर समेत वर्कशॉप कर्मचारी भी शामिल रहे। कमेटी के सदस्य सुधीर अहलावत, शिव कुमार ने कहा कि जब रोडवेज कर्मचारी यहां धरने पर बैठे थे और प्रदर्शन करने के लिए निकलने लगे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस से उनकी बहस भी हुई। सुबह करीब 10 बजे जब पुलिस के साथ बहस हुई तो डिपो में मौजूद सभी क्लर्क भी हड़ताल को समर्थन देने पहुंच गए।

सांझा मोर्चा कमेटी ने डिपो के कुछ अधिकारियों की निंदा करते हुए कहा कि यूनियन द्वारा शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन अधिकारियों ने अपनी सूझबूझ का परिचय न देते हुए द्वेष भावना से कर्मचारियों को प्रताड़ित किया। उन्हें धरना स्थल से पुलिस के जरिए खदेड़ने का प्रयास किया। हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को जानबूझकर परेशान किया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को न माना तो उनका आंदोलन तेज हो जाएगा।

सुधीर अहलावत ने बताया कि यूनियन की तरफ से रोडवेज के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह निजीकरण को बंद कर पदों पर कर्मचारियों की स्थाई भर्तियां करें। पुरानी पेंशन योजना को लागू करे। इसके अलावा जो भी मांगे लंबित पड़ी हैं उन पर तुरंत फैसला लिया जाए। 

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