एक ओर मुख्यमंत्री से लेकर अदना सा अफसर तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्क, पटवारियों के रिश्वत के पैसे से रेस्टहाऊस में मौज करते है, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खात्मे करने का झूठा राग अलापकर आमजनों को ठगते है। विद्रोही
भ्रष्टाचार के पैसों से मौज करने वाले मंत्री-संतरी तहसीलों में भ्रष्टाचार पर गंभीर व प्रभावी कार्रवाई करेंगे, यह केवल मृगतृष्णा है। विद्रोही

17 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मांग की कि मुख्यमंत्री खटटर जी रजिस्ट्री घोटाले पर लीपापोती करने की बजाय इस घोटाले की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाये ताकि इसमें लिप्त मंत्रीयों, सांसदों, विधायकों, नेताओं, अफसर व दलाल बेनकाब होकर कानून अनुसार दंडित हो। विद्रोही ने कहा कि भाजपा खट्टर सरकार प्रदेश मेें हुई रजिस्ट्रीयों की जांच चाहे वर्ष 2010 से करवाये या वर्ष 2005 से करवाये या वर्ष 1990 से, यह सरकार की मर्जी। पर तहसीलों में हो रही लूट बंद होनी चाहिए व रजिस्ट्रीयों के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल बंद ही नही अपितु इसमें लिप्त नेताओं, अफसरों व दलालों पर कानून का शिकंजा कसकर दंड दिलवाया जाये। भाजपा-जजपा सरकार विगत एक साल से रजिस्ट्री घोटाले पर जुमलेबाजी करके आमजनों को ठग तो रही है, पर भ्रष्टाचारियों पर न तो शिकंजा कस रही है और न ही उनको कानून अनुसार दंड दिलवाने में गंभीरता दिखा रही है।

विद्रोही ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री खट्टर के रवैये तो यही लगता है कि वे रजिस्ट्री घोटाले की स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को दंडित करवाने की बजाय अप्रत्यक्ष रूप से उन्हे बचाकर ब्लेम गेम की राजनीति करके मेरी सरकार में ही नही, विपक्ष की कांग्रेस सरकार में भी रजिस्ट्री घोटाला हुआ, इस रणनीति पर काम कर रहे है। रजिस्ट्री घोटाला चाहे कांग्रेस की सरकार में हुआ हो या भाजपा खट्टर सरकार में हुआ है, घोटाला तो घोटाला ही है और घोटालेबाजों, भ्रष्टाचारियों को कानून अनुसार दंड मिलना ही चाहिए फिर वे चाहे भाजपा-खट्टर राज के है या कांग्रेस राज के है। हरियाणा की तहसीले वर्षो से भ्रष्टाचार का अडडा बनी हुई है जिसे हर सरकार का मुखिया जानते हुए भी इस भ्रष्टाचार को रोकने का कोई गंभीर प्रयास नही करता है। 

विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि प्रदेशभर में मुख्यमंत्री, मंत्रीयों, अफसरों के सरकारी दौरे के समय भोजन, खान-पान का सारा खर्च सम्बन्धित क्षेत्र के तहसीलदार, नायब तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्को, पटवारियों से वसूला जाता है। रेस्ट हाऊस में ठहरने वाले सत्तारूढ़ दल के सांसदों, विधायकों, मंत्रीयों, नेताओं का सारा भोजन, खान-पान का खर्च तहसीलदारों से करवाया जाता है। एक ओर मुख्यमंत्री से लेकर अदना सा अफसर तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्क, पटवारियों के रिश्वत के पैसे से रेस्टहाऊस में मौज करते है, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खात्मे करने का झूठा राग अलापकर आमजनों को ठगते है।

भ्रष्टाचार के पैसों से मौज करने वाले मंत्री-संतरी तहसीलों में भ्रष्टाचार पर गंभीर व प्रभावी कार्रवाई करेंगे, यह केवल मृगतृष्णा है। विद्रोही ने कहा कि तहसीलों के भ्रष्टाचार का कडवा सच सरकार की जांच से नही अपितु विश्वसनीय व स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच से ही सामने आ सकता है। 

error: Content is protected !!