-कमलेश भारतीय आप , अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को भरपूर समर्थन देकर पंजाब की जनता ने सत्ता सौंपी है बिना किसी बहाने के कि हमारे पास पूर्ण समर्थन नहीं था जैसा पहली बार दिल्ली में हुआ था । दिल खोल कर पंजाब के लोगों ने आप पार्टी को पंजाब की सत्ता सौंपी है । पूर्व मुख्यमंत्रियों और कुर्सी से फेविकोल चिपका कर बरसों से बैठे नेताओं को बुरी तरह राजनीति के अंगने से बाहर का रास्ता दिखाया । यहां तक कि कोई नारा यानी नवां पंजाब या सपनों का पंजाब कारगर न रहा । सबको सजा दी उनके कर्मों की । कैसे राजनितिक गुटबाजी से जनता तंग आ गयी और कैसे अवसरवादी गठबंधन को धत्ता दिखाया । यह पंजाब की जनता ही कर सकती थी और कैसे किसी बाबा के इशारों को अनसुना किया यह भी कमाल का फैसला था । अपनी सोच , अपना फैसला और फिर नहले पे दहले पे दहले । सारा देश इस फैसले पर हैरान और खुश भी कि काश , दूसरे राज्यों की जनता भी कुछ समझ सोच कर मतदान करती । अब भगवंत मान ने यह घोषणा की है कि शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे । कोई भी इस फैसले पर एतराज नहीं करेगा । सब इसे सराहेंगे लेकिन सन् 1977 की याद है किसी को ? जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया था इसी जनता ने और तब पहली बार ये लोग कहां गये थे ? महात्मा गांधी की समाधि पर राजघाट पर कसम खाने । और क्या रहा ? अढ़ाई साल में ही आपसी गुटबाजी इतनी हाॅबी हुई कि सब बिखर गया और चौ चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने संसद में विश्वासमत का सामना करने से पहले ही त्यागपत्र देना सही समझा । सिर्फ अढ़ाई साल लगे और तब धर्मयुग में कवर फोटो आई राजघाट पर कसम खाते नेताओं की और नीचे कैप्शन -क्या हुआ तेरा वादा , वो कसम , वो इरादा ,, इस तरह राजघाट भी झूठा पड़ गया और वो कसमें भी काम न आईं । बाद में तो पार्टी टूटते टूटते भाजपा ही बन गयी और बाकी सब फिर बिखर गये । देशहित भूल भुला दिये । अब एक और याद दिला दूं ? हरियाणा में जब ओमप्रकाश चौटाला को बहुमत मिला तो इन्होंने भी विधानसभा में शपथ ग्रहण करने की बजाय कुरूक्षेत्र को चुना । यह संदेश देने की न्याय होगा और महाभारत नहीं होगा । सबको न्याय मिलेगा लेकिन सब हश्र आपके सामने है । जेबीटी अध्यापकों की भर्ती के समय ऐसे नियमों की धज्जियां उड़ाईं कि कोर्ट ने जेल का रास्ता दिखाया । दस साल की कैद के आदेश हुए । अब कहीं जाकर यह कैद और काले दिन खत्म हुए हैं । ये कुछ शपथ हैं अभी तक जो याद हैं और उन शपथों के बाद का समय भी । अब तो इनेलो और जजपा दो दलों में बंट चुकी है । जैसे जनता पार्टी बिखर गयी थी , ऐसे ही यह इनेलो परिवार बिखरा हुआ है । खटकड़ कलां में मुझे ग्यारह साल आदर्श स्कूल में प्राध्यापक और प्रिंसिपल बनने व वहां हर साल नेताओं के जमावड़े के जुटने के दृश्य याद हैं । हर साल शहीद भगत सिंह के परिवारजनों को सम्मानित भी किया जाता देखा । पर किसी को भी राजनीति में नहीं लाये । सिर्फ उनकी लोकप्रियता को कैश करने की एक मीठी सी कोशिश देखी । भगत सिंह की विचारधारा से भी कोई सीधे संबंध नहीं । वहां जाकर शपथ ग्रहण करने से लोकप्रियता मिलेगी पर जो कसम खाओगे या भगत सिंह के दिखाये रास्ते को अपनाओगे तभी तो भगवंत हमारे पंजाब के मान कहलाओगे । अभी तो जो दिल्ली अरविंद केजरीवाल के घर जाकर जो पांव छुए हैं उसी की आलोचना होने लगी है । आगे हमारी शुभकामनाये हैं क्योंकि यह आलोचना का समय नहीं । अभी तो कार्यकर्त्ता और नेता दोनों गद्गद् हैं और जोश से भरे हुए हैं । पर शपथ लेने के बाद आपका आचरण और व्यवहार शहीद भगत सिंह को शर्मिंदा न करे , यही दुआ है । भगवंत मान को बहुत बहुत बधाई । एक कलाकार ने वह कर दिखाया जो नेता नहीं कर सके । अब भी उम्मीदों को पूरा करोगे ऐसी उम्मीद लगा ही सकते हैं ।–पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation यूक्रेन युद्ध संकट से उठे भारतीय चिकित्सा शिक्षा प्रणाली पर सवाल धधकती ज्वाला में शान्ति की तलाश……