राजकुमार अरोड़ा गाइड

कहावत है बड़ी मछली,छोटी मछली को खा जातीहै,रूस व यूक्रेन युद्ध में यही हो रहा है, पर एक अजीब विडम्बना भी है कि बड़े बड़े मगरमच्छ अमेरिका,ब्रिटेन,जापान,आस्ट्रेलिया आदि दूर खड़े गीदड़ भभकियों देते दहाड़ रहे हैं!रूस के साथ सीधे पँगा लेने से सब डर रहे हैं! युद्ध के सत्रहवें दिन भी बमबारी जारी है,कई दौर की बात हो गई,यूक्रेन जलकर राख आज भी हो रहा है!अब तो यूक्रेन का रुखभी नरम पड़ रहा है! रूस को अपना वर्चस्व साबित करना है,उसका सपना एक बार फिर सोवियत सँघबनाने का है! चीन मजबूती के साथ उसके साथ खड़ाहै! अंतरराष्ट्रीय दारोगा व सुपर महाशक्ति का दम्भ भरने वाला अमेरिका अब बिलबिला रहा है,उसकी छवि अब  दंत नख विहीन घायल शेर सी हो गई है,जो युद्ग में व उसके बाद उजड़े माहौल में अपने सामरिकहथियारों का व्यापार ढूंढता है।

आर्थिक प्रतिबंधों से रूस को कोई फर्क नही पड़ रहा,उसने अपनी हेकड़ी दिखाते हुए यूक्रेन पर लगातार ही हमला जारी रखा है!यूक्रेन तो तबाह हो गया,पच्चीस लाख लोग दूसरे देशों के शरणार्थी हो गये,इतने ही और हो जायेंगे! बीस साल पीछे चला गया यूक्रेन!चीन व रूस दोनों तानाशाही से राज करते हैं,आपस में खूब पट रही है! चीन ताइवान का यही हश्र करने की फिराक में है! इस युद्ध के नतीज़े बहुत घातक होने वाले हैं! पूरे विश्व मे जिसकी लाठी उसकी भैंसवाला प्रयोग चलेगा। चीन ने अपने रक्षा में भारी भरकमबढ़ोतरी की है तो अब भारत को भी करनी होगी!चीन का बजट हमसे तीन गुणा ज्यादा है। बाकी देशों को भी बढ़ाना होगा तो इससे उनका शिक्षा,स्वास्थ्य बजट प्रभावित होगा! गरीबी,महंगाई,बेरोजगारी खूबबढ़ेगी! पेट्रोल,डीज़ल महंगा होता चला जायेगा। 

पहले ही ढाई वर्ष से कोरोना संकट ने कई देशों की कमर ही  तोड़ दी है! इससे उबरने की कोशिश में थेकि अब ये दबाव आन पड़ा! यूक्रेन संकट में पल्ला झाड़ कर खड़ा होने वाला अमेरिका तब क्या करेगा जब चीन ऐसा ही ताइवान में करेगा!कोरोना से इसबार जबर्दस्त मार खाये नाटो व यूरोपियन यूनियन के देश अभी तो विश्व युद्ध टाल गये,बाहर खड़े हो कर यूक्रेन की बर्बादी का तमाशा देख रहे हैं!पर विस्तारवादी नीतियों से ग्रस्त देश फिर कब क्या कर दें,कुछ भी पता नहीं लगेगा! रूस की परमाणु युद्ध की धमकी से सहमे बड़े बड़े देश अभी रुक गये,पर हर बार ऐसा नहीं होगा!अपनी अपनी बर्बादी के जिम्मेदार हम सब खुद होंगे!

युद्ध तो और कुछ दिन में खत्म हो ही जायेगा,रूस एक विजेता बन कर खुद को विश्व का सिरमौर दिखाने की कोशिश करेगा और यूक्रेन को सिर्फ इसलिये याद किया जायेगा कि रूस की सैन्य शक्ति का दसवां हिस्सा होते हुए डट कर मुकाबला किया! बाकी दोबारा खड़ा होने में उसे बीस साल लग जाएंगे। इस युद्ध से  विश्व की सबसे बड़ी संस्था सयुंक्त राष्ट्र सँघ अपनी विश्वसनीयता व उपयोगिता साबित करने में नाकामयाब रहा! छोटे राष्ट्रइस की ओर आशा भरी निगाहों से देखते थे,उनको जरूरधक्का लगेगा! बड़े देश इन पर अपनी धौंस पट्टी दिखा करइनको अपने दबाव में रखेंगे। विश्व में शान्ति और सोहार्द बनाये रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र सँघ का मज़बूत और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता  लेने वाला होना बहुत जरूरी है,तभी तो जब भी कहीं ज्वाला धधकेगी,तोवो शान्ति  स्थापित कराने में प्रभावी भूमिका निभा पायेगा!

error: Content is protected !!