संबंधित न्यायधीश की कोर्ट के बाहर एडवोकेटस के द्वारा धरना जारी.
आंदोलनकारी एडवोकेटस की एक ही मांग ट्रांसफर या फिर टर्मिनेशन

फतह सिंह उलाला

गुरुग्राम । शनिवार को जिला गुरुग्राम की विभिन्न अदालतों में लोक अदालत का आयोजन किया गया। लेकिन पटौदी ज्यूडिशल कोर्ट कंपलेक्स में अलग ही माहौल सहित नजारा देखने के लिए मिला। पटौदी ज्यूडिशल कोर्ट कंपलेक्स में अदालत में से दो में ही वकीलों के द्वारा संबंधित मामलों की पैरवी की गई तथा एक न्यायिक अधिकारी की अदालत का पूर्व घोषणा के मुताबिक बहिष्कार करते हुए शनिवार को आंदोलनकारी वकीलों का धरना विरोध प्रदर्शन अदालत की चौखट तक पहुंच गया।

पटौदी बार एसोसिएशन के प्रधान एडवोकेट संदीप यादव, पूर्व प्रधान एडवोकेट विशाल सिंह चौहान, एडवोकेट नदीम बैग, एडवोकेट शमशेर सिंह छिल्लर, एडवोकेट जय प्रकाश सोलंकी, एडवोकेट बसंत भार्गव, एडवोकेट मनोज कुमार, एडवोकेट कृष्ण यादव, एडवोकेट बी एस चौहान, एडवोकेट पंकज भारद्वाज, एडवोकेट दिनेश शर्मा, एडवोकेट राहुल सेहरावत, एडवोकेट मनीष चौहान, एडवोकेट प्रशांत, एडवोकेट पवन नांगडा सहित अन्य ने अपनी मांगो के समर्थन में और संबंधित न्यायिक अधिकारी की कथित असहनीय और मनमानी कार्रवाई सहित एडवोकेट के खिलाफ फैसले में लिखी गई टिप्पणी के विरोध में नारेबाजी भी की गई।

आंदोलनकारी वकीलों का दो टूक कहना है कि संबंधित न्याययिक अधिकारी के द्वारा जिस प्रकार का व्यवहार एडवोकेट, सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों इत्यादि के साथ किया जा रहा है, वह किसी भी दृष्टिकोण से मानवीय औैर उचित नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत में वादी और प्रतिवादी इंसाफ प्राप्त करने के लिए ही पहुंचते हैं , न्यायधीश को वैसे भी भगवान का दर्जा दिया गया है । भगवान के सामने दरबार में सभी एक बराबर ही होते हैं। भारतीय संस्कार भी ऐसे ही हैं कि भगवान के सामने सभी सम्मान  और श्रद्धा सहित ही पहुंचते हैं ।

गौरतलब है कि पटौदी बार एसोसिएशन के द्वारा संबंधित न्यायिक अधिकारी के खिलाफ खोले गए मोर्चे को पैरंटरल बार एसोसिएशन, गुरुग्राम बार एसोसिएशन और सोहना बार एसोसिएशन सहित पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के बार काउंसिल मेंबर के अलावा अन्य बार के पूर्व पदाधिकारियों का भी पूरी तरह से समर्थन प्राप्त हो चुका है । इन सभी का एकजुट होकर एक स्वर में कहना है कि जिस प्रकार की टिप्पणी और शब्द पटोदी बार के ही वरिष्ठ सदस्य एडवोकेट के खिलाफ फैसले में लिखे गए हैं, वह पूरी तरीके से अनैतिक और गैरकानूनी तो है ही बलिक मानसिक प्रताड़ना वाले भी साबित हो रहे हैं । संभवत देश में किसी भी न्यायिक अधिकारी के द्वारा किसी भी एडवोकेट के खिलाफ इस प्रकार की टिप्पणी फैसले में नहीं लिखी गई होगी अथवा शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया होगा, जो कि पटौदी कोर्ट के ही एक न्यायिक अधिकारी के द्वारा फैसले में लिखा गया है ।

शनिवार को आंदोलनकारी पटौदी कोर्ट के एडवोकेट संबंधित न्यायिक अधिकारी अदालत के दरवाजे पर ही विरोध प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे रहे । यहां विरोध प्रदर्शन करने वाले एडवोकेट ने अपनी मांगों को दोहराते हुए कहा कि संबंधित न्यायिक अधिकारी का ट्रांसफर या फिर टर्मिनेशन इससे कम पर अब एडवोकेट का यह आंदोलन और संबंधित न्यायिक अधिकारी की अदालत का बहिष्कार समाप्त नहीं होगा। शनिवार को पटोदी ज्यूडिशल कोर्ट कंपलेक्स में भी लोक अदालत के लिए तीन 3 बेंच पर सुनवाई करते हुए मामलों का निपटारा किया जाना था । लेकिन पटौदी कोर्ट में एडवोकेट्स में विवाद से संबंधित न्यायिक अधिकारी की अदालत का पूरी तरह से बहिष्कार करते हुए अन्य दो लोक अदालतों में ही संबंधित मामलों की पैरवी करते हुए दोनों पक्षों के बीच समझौते की प्रक्रिया को पूरा करवाने में अपना सक्रिय योगदान प्रदान किया ।

पटौदी बार एसोसिएशन का स्पष्ट कहना है कि पाटोदी बार एसोसिएशन के द्वारा जो मांग पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट , गुरुग्राम जिला एवं सत्र न्यायाधीश और पटौदी एसडीजेएम को सौंपी गई है। जब तक यह मांगे पूरी नहीं हो जाती, एडवोकेट का आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान संबंधित न्यायिक अधिकारी की अदालत का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाता रहेगा।

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