आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय से ही है श्रेष्ठ समाज की स्थापना संभव. आजादी अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ‘कल्चर ऑफ कमिटमेंट’ कार्यक्रम की लॉन्चिंग. राजयोग द्वारा सारे विश्व में बनाई एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान फतह सिंह उजाला गुरूग्राम । ब्रह्माकुमारीज़ संस्था आध्यात्मिक सशक्तिकरण के माध्यम से विश्व को शान्ति और प्रेम के सूत्र में बाँधने का एक महान कार्य कर रही है। उक्त विचार भारतीय लोकसभा अध्यक्ष, माननीय ओम बिड़ला ने ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शान्ति रिट्रीट सेन्टर में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अन्तर्गत लॉन्चिंग कार्यक्रम में ऑनलाइन व्यक्त किये। कल्चर ऑफ कमिटमेंट विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था ने राजयोग द्वारा सारे विश्व में एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था आध्यात्मिक ज्ञान से समाज के हर वर्ग को जोडऩे का सराहनीय कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के निर्माण में प्रशासक वर्ग का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय से ही श्रेष्ठ समाज की स्थापना की जा सकती है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था लोकहित में कार्यरतइस अवसर पर ऑनलाइन संबोधन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर लोकहित में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय हम सभी को कमिटमेंट की बहुत आवश्यकता है। कमिटमेंट के आधार से ही हम एक मूल्यनिष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं। कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभ कामना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के साथ मिलकर इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन एक नई दिशा और दशा प्रदान करने वाला है। डॉ.बी.डी.कल्ला, कैबिनेट मंत्री, शिक्षा, कला, साहित्य और संस्कृति, राजस्थान सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि बह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा जो संदेश आज सारे विश्व में फैल रहा है, वास्तव में परिवर्तन की नई कहानी लिख रहा है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक जाग्रति के आधार से ही जीवन में सच्ची सुख-शान्ति आ सकती है। संस्कार से ही संस्कृति का निर्माण होतामोटीवेशनल स्पीकर बी.के.शिवानी ने कहा कि हमें कमिटमेंट का संस्कार बनाना है। क्योंकि संस्कार से ही संस्कृति का निर्माण होता है और जैसी संस्कृति होती है वैसा ही संसार बनता है। उन्होंने कहा कि दूसरों की सेवा से पूर्व हमें स्वयं की सेवा करनी है। जितना हम स्वयं सशक्त होंगे, उतना ही दूसरों को सशक्त बनायेंगे। इस अवसर पर विशेष रूप से भारत के उप-राष्ट्रपति माननीय वैंकया नायडू जी ने भी लिखित रूप से कार्यक्रम की सफलता के प्रति अपना शुभ कामना संदेश भेजा। ब्रह्माकुमारीज़, आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय संयोजक बी.के.चार्ली ने अपने शुभ कामना संदेश में कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के कमिटमेंट के कारण ही आज विश्व के लाखों लोगों का जीवन परिवर्तन हुआ है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में समर्पित प्रत्येक सदस्य बिना वेतन के अपनी सच्ची निष्ठा से सेवा करता है। अपना स्वागत वक्तव्य देते हुए भोपाल से संस्था की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बी.के. अवधेश ने कहा कि जितना हम स्वयं को विशेष समझते हैं, उतना ही हमारे अन्दर विशेषतायें भर जाती है। उन्होंने कहा कि हर कार्य में सहज सफलता के लिए स्वयं को निमित समझकर चलें। हमारी संस्कृति ही कमिटमेंट की रहीब्रह्माकुमारीज़ संस्था के अतिरिक्त महासचिव बी.के.बृजमोहन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत सभी देशों से न्यारा है। हमारी संस्कृति ही कमिटमेंट की रही है। कहावत भी है कि रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाये पर वचन न जाए। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब भारत में मानव ही नहीं बल्कि प्रकृति भी अपनी मर्यादा में रहती थी। उन्होंने कहा कि मर्यादाओं के उलंघन के कारण ही समस्याओं का जन्म हुआ। भारत वास्तव में भगवान की अवतरण भूमि है। भगवान की भी हमारे साथ कमिटमेंट है कि जब मानवीय मूल्यों का हृास होगा, तब मैं पुनरू उनकी स्थापना करूँगा। ओ.आर.सी की निदेशिका बी.के.आशा दीदी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कोई भी कार्य जब हम पूर्ण समर्पणमयता से करते हैं, तब ही सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक चेतना ही स्वर्णिम विश्व का आधार है। स्वर्णिम विश्व के निर्माण में कमिटमेंट का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि जब हम जिम्मेवारी के साथ पूर्ण मनायोग से कोई कार्य करते हैं, तो अनेकों की दुआओं के पात्र बनते हैं। साथ ही स्वयं में सन्तुष्टता का भी अनुभव करते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय, माउन्ट आबू से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बी.के.हरीश ने ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा प्रशासक वर्ग से जुड़े लोगों की सेवा की जानकारी दी। Post navigation चंद्रशेखर आजाद केवल नाम नहीं आजादी का विचार था : जीएल शर्मा कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून देश की जरूरत: सूर्यकांत केलकर