भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। कल जब भौंडसी के भाजपा युवा नेता यशवीर राघव के जजपा में शामिल होने का समाचार आया तो गुरुग्राम के भाजपाइयों में यह चर्चा चलने लगी कि अभी और कितने भाजपाई पार्टी छोड़कर जाएंगे? 

गत दिनों ही पूर्वांचल के भाजपा नेता धर्मेंद्र मिश्रा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। मिश्रा जी का कहना है कि मैं बहुत मेहनत और जी-जान से पार्टी के लिए काम कर रहा था लेकिन जब भी जिला अध्यक्ष से मिलता तो उनका कहना यह होता था कि आप काम नहीं करते, पार्टी में काम करने वालों की जगह है। मैं अपने स्वाभिमान पर चोट बर्दाश्त नहीं कर पाया और पार्टी छोड़ दी।

गुरुग्राम में भाजपा वैसे भी टुकड़ों में बंटी हुई नजर आती है। कहने को तो सबका साथ-सबका विकास का नारा देने वाली पार्टी भाजपा है परंतु गुरुग्राम में भाजपा ही साथ नजर नहीं आती। एक ओर तो राव इंद्रजीत का ग्रुप है, दूसरी ओर कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों का गु्रप है। इसी प्रकार विधायक का अलग गु्रप नजर आता है। जिला कार्यकारिणी की बात करें तो यहां युवा मोर्चा अलग दिखाई देता है। किसान मोर्चा अलग दिखाई देता है। कुल-मिलाकर कह सकते हैं कि सबका साथ-सबका विकास का नारा देने वाली पार्टी गुरुग्राम में अपना साथ और अपना विकास करने में असमर्थ नजर आ रही है।

अब इन बातों की जिम्मेदारी किसे दें, यह भाजपा को सोचना है। प्रदेश अध्यक्ष इसके जिम्मेदार हैं या जिला अध्यक्ष। सुना तो यह भी जाता है कि प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष में भी समन्वय की कमी है। इसके कुछ और परिणामों के बारे में कल जानकारी प्राप्त होने की संभावना है।

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