भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम नगर निगम लंबे समय से भ्रष्टाचार के लिए चर्चा में है। चुने हुए जनप्रतिनिधि कभी मुखर होते हैं तो कभी खामोश हो जाते हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों से बात हुई। ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। निगम की जब बैठक होती है, अव्वल तो वह होती बहुत समय के बाद है, जबकि नियम कहता है कि हर माह निगम की सामान्य बैठक होनी चाहिए लेकिन यहां क्या होता है बैठक की तारीख तय कर दी जाती है, पार्षदों की शिकायतें आती हैं लेकिन पोस्टपोंड कर दी जाती हैं और फिर कोशिश की जाती है कि नाराज पार्षदों को मनाने की। इस बार तो निगम की मेयर ने खुद कहा कि पार्षदों को शिकायत है कि उनके क्षेत्र में कार्य गुणवत्ताहीन होते हैं अत: उनकी जांच की जाएगी और जांच करने वह स्वयं जाएंगी।

निगम के कार्यों की शिकायत अभी थोड़ी न आनी शुरू हुई हैं, ये तो लगातार पिछले कई वर्षों से आ रही हैं। तब मेयर साहिबा को नहीं दिखाई दिया कि इनकी जांच होनी चाहिए। उनके अपने क्षेत्र के कार्यों की गुणवत्ता क्या ठीक है? और फिर बड़ा प्रश्न कि मेयर क्या इंजीनियरिंग के काम की गुणवत्ता जांच सकती हैं? यदि वास्तव में वह कार्यों की जांच कराना चाहती हैं तो किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच का जिम्मा दें। फिर तो माना जाए कि वह वास्तव में गुणवत्तापूर्ण कार्य चाहती हैं।

इसी प्रकार सफाई अभियान बार-बार चलते रहते हैं। सफाई का खर्चा शायद सारे हरियाणा के निगमों से बराबर गुरुग्राम के नगर निगम का हो सकता है। पर इतने अभियान चलाने के बाद भी स्थिति जस की तस है। गुरुग्राम में जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर दिखाई दे जाएंगे। चाहे एमएलए के घर के आसपास देख लें, चाहे भाजपा कार्यालय के आसपास देख लें, सदर बाजार का आलम तो किसी से छिपा है नहीं। सारांश यह कि गुरुग्राम की स्थिति से लगता नहीं कि निगम सफाई के प्रति गंभीर है।

अभी हाल की बात करें तो नए स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने कहा कि 13 फरवरी से 20 फरवरी तक संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में सफाई सप्ताह मनाया जाएगा। गुरुग्राम की मेयर साहिबा ने भी घोषणा की कि वह खुद इस अभियान में सम्मिलित रहेंगी लेकिन जिन-जिन क्षेत्रों में यह अभियान चला, उन क्षेत्रों के नागरिकों का कहना है कि निगम अपनी इवेंट बना गया लेकिन क्षेत्र की स्थिति वहीं की वहीं है, कोई अंतर इससे आया नहीं है।

क्या मेयर साहिबा जांच करवाएंगी कि जहां-जहां उन्होंने कार्यक्रम किए, क्या उनके कार्यक्रमों से उन क्षेत्रों में सफाई हुई है?

अब निगम का कार्यकाल समाप्त होने को है। जो पार्षद अब तक निजी लाभ देख या किसी दबाव के चलते खामोश थे, वे अब जनता के सामने जाने के लिए अपने आपको क्षेत्र के लिए समर्पित और ईमानदार प्रदर्शित करने के लिए आतुर हैं।

अब प्रश्न यह है कि जो जनता इतने समय से निगम की कार्यशैली से त्रस्त नजर आ रही है, क्या वह पार्षदों के इन दो-तीन महीने में अपने पुराने समय से कष्ट जो उठा रहे हैं उसे भूल जाएगी? और फिर कुछ पार्षदों ने कहा कि हमारी मेयर साहिबा को अगला चुनाव लडऩा नहीं है, क्योंकि पहले राव इंद्रजीत की कृपा से वह मेयर बनी थीं, अब न राव साहब इनके कार्य से संतुष्ट हैं, न पार्षद। और फिर अगला मेयर जनता द्वारा चुनाव जाना है तो मेयर के आगामी चुनाव लडऩे की संभावना कम नजर आ रही है।

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