जीवन का मतलब तो.. आना और जाना है।

बोधराज सीकरी

अपने सदाबहार गीतों से हर वेदना, संवेदना, खुशी और गम के भावों को समेटकर लता जी ने अपनी गायकी के कौशल से भारत को एक अनुपम धरोहर दी है।

हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे पास लता जी नाम का वो अनमोल रत्न है जो युगों-युगों तक उनके संगीत के माध्यम से स्मरण किया जाएगा।

जब भी हम अपने जीवन के किसी अहम हिस्से और याद को कुरेदेंगे तो लता जी का कोई ना कोई गीत हमारे जहन में स्वतः ही आ जाएगा जो हमारे उस पल को भाव-विभोर कर देगा।

ना जाने कितने ऐसे लोग होंगे जिनको लता जी के गीतों से जीवन के संघर्षों को लड़ने का बल मिला होगा। उनका गाया “ए मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी” जब भी सुनते हैं मन देशप्रेम और शहीदों के बलिदान के प्रति कृतज्ञता के भावों से सराबोर हो जाता है। आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

संगीत की अमृत-विरासत लता जी हमें सौंप कर गई हैं। जब लता जी के पंच तत्व में विलीन होने का समाचार जन समक्ष आया तो देश-दुनिया की करोड़ों आंखें नम जरूर हुई होंगी।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का रविवार सुबह ब्रीच कैंडी अस्पताल में 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए रविवार शाम दक्षिण मुंबई में उनके आवास से दादर के शिवाजी पार्क में ले जाया गया। जहां सुर साम्राज्ञी जब अपनी अंतिम यात्रा पर निकलीं तो बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े। पूरे राजकीय सम्मान के साथ हुई उनकी अंत्येष्टि प्रार्थना में देश के प्रधानमंत्री सहित बड़ी-बड़ी हस्तियों का शामिल होना लता जी के विराट व्यक्तित्व व कृतित्व की विशालता और लोगों का उनसे जुड़ाव दर्शाता है। ऐसी अमर हस्ती अब शायद ही कभी इस धरा पर पैदा होगी।

इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि संगीत की दुनिया में लता जी को सरस्वती का अवतार माना जाता है। सचमुच उनका कौशल एक अद्भुत, अकल्पित और आश्चर्यकारी स्वरूप का प्रतिबिंब रहा है। लता जी की शालीनता, उनकी विनम्रता अपने आप में मिसाल है। गीतों में शाब्दिक-शुचिता से भी उनका सरोकार रहा। लता जी ने अपने जीवन में लगभग छत्तीस भारतीय भाषाओं में गाया और एक हजार से अधिक हिंदी फिल्मों के लिए गाने रिकॉर्ड किए। संगीत जगत में उनके अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा सम्मान ‘दादा साहब फ़ाल्के अवार्ड’ और देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी लता मंगेशकर जी को सम्मानित किया गया है। लता जी का सबसे बड़ा अवार्ड तो यही है कि अपने करोड़ों प्रशंसकों के बीच उनका दर्जा एक पूजनीय हस्ती का है और ये हमेशा ऐसे ही बना रहेगा। लता जी का जीवन, उनका अमर संगीत सदैव एक प्रेरणापुंज के रूप में हम सभी का मार्गदर्शन करता रहेगा।

शरीर नश्वर है। परन्तु आत्मा अमर है। आज भले ही सुर साम्राज्ञी स्व. लता मंगेशकर जी हमारे बीच नहीं रही हों, पर वो यहीं हैं हम सबके दिलों में…

उनकी मधुर आवाज और कभी ना भुलाए जाने वाले उनके हृदयस्पर्शी गीत एक दीपक के रूप में हर भारतीय के हृदय को सदैव आलोकित करते रहेंगे।

आपको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि लता दीदी।

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