निजी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण पर पुनः विचार करें हरियाणा सरकार ,- गोपाल शरण गर्ग

गुरुग्राम। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार सुरक्षा मंच की एक बैठक जिलाध्यक्ष तथा प्रसिद्ध समाजसेवी ईश्वर मित्तल के गुरुग्राम सैक्टर 10 ए स्थित निवास पर गत सांय आयोजित की गई, बैठक में गुरुग्राम के प्रमुख व्यापारी एवं उद्योगपति उपस्थित रहें।

 बैठक में विशेष रूप से व्यापार सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग, श्रीचंद अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, युवा अग्रवाल सम्मेलन के जिला अध्यक्ष राजीव मित्तल, अजय जैन, सौरभ अग्रवाल, सचिन मित्तल, मुकेश सिंघल एवं महानगर के अनेक प्रमुख व्यापारी उपस्थित हुए। 

बैठक में सभी व्यापारी प्रतिनिधियो ने हरियाणा में स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण के मुद्दे पर सरकार के रुख पर चिंता व्यक्त की तथा कहा कि स्थानीय लोगों को प्रदेश में रोजगार मिलने की प्राथमिकता मिले यह विषय ठीक है लेकिन 75% की बाध्यता के नाम पर उद्योगों पर यह जो दबाव बनाया जा रहा है वह उचित नहीं इससे प्रदेश में उद्योगों को बहुत बड़ा झटका लगेगा, उद्योग-व्यापार के उत्पाद एवं गुणवत्ता में भारी अंतर आएगा, बाहर से आनी वाली राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां निवेश करने के विषय पर पीछे हटेंगी और वर्तमान समय में हरियाणा ने पूरे देश में जो उद्योग-व्यापार के क्षेत्र में जो साख बनाई है उसमें निश्चित ही गिरावट आएगी।

अतः इस कानून पर सरकार को पुनः गहन विचार करना चाहिए, स्थानीय लोगों को रोजगार योग्यता एवं कुशलता के आधार पर प्राथमिकता मिले इस बात पर विचार किया जा सकता है लेकिन बाध्यता और आरक्षण के विषय पर अखिल भारतीय उद्योग व्यापार सुरक्षा मंच की बैठक में उपस्थित तमाम लोगों ने चिंता व्यक्त की और सरकार से मांग की कि इस पर पुनर्विचार किया जाए, माननीय हाईकोर्ट द्वारा जो विधेयक पर स्थगन आदेश दिया गया है एवं फरीदाबाद की विभिन्न इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की भावनाओं का को भी ध्यान रखा जाए ताकि प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो सके।

व्यापार सुरक्षा मंच की बैठक में यह भी मांग उठाई गई कि व्यापारियों को टैक्स कलेक्टर का दर्जा मिले, व्यापारियों की दुकान-गोदाम-फैक्ट्री का सामूहिक बीमा सरकारी तौर पर हो, बुढ़ापे में व्यापारियों को पेंशन मिले और अधिक टैक्स कलेक्ट करके सरकार के राजस्व में जमा कराने वाले व्यापारी का सम्मान हो तथा प्रदेश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए इंस्पेक्टरी राज पर अंकुश लगाने के लिए नियमों में सरलीकरण हो ताकि उन कानून की आड़ में सम्मानित व्यापारी और उद्योगपतियों का अधिकारियों द्वारा उनका उत्पीड़न या शोषण ना हो सके। सरकार से निवेदन किया गया कि व्यापारियों की समस्याओं को भी ध्यान में रखना चाहिए क्योकि आर्थिक रूप से सरकार को चलाने मे व्यापार एवम उद्योग का विशेष योगदान है।

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