भारी पुलिस बल की मौजूदगी को धता बताते हुए जलाया गया पुतला.
सीएम का पुतला बचाने और फूकने को लेकर दोनों पक्षों में हुई झड़प.
सीएम मनोहर लाल खट्टर शनिवार को पहुंचे थे पार्टी बैठक में गुरुग्राम.
सीएम का पुतला फूंकने के दौरान आंदोलनकारियों ने निकाली भड़ास

ऋषि प्रकाश कौशिक/ फतेह सिंह उजाला

गुुरूग्राम। अपनी मांगों को पूरा करवाने और मनवाने के लिए 53 दिन से घर, परिवार, रिश्ते नातेदारों सहित सड़कों पर आंदोलनरत आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन ने अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक शनिवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन को जारी रखा । गौरतलब है कि इससे पहले गांव-गांव में सीएम खट्टर का पुतला फूंका जाने के लिए घोषणा की गई थी। लेकिन जैसे ही आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन को इस बात का पता लगा कि सीएम मनोहर लाल खट्टर गुरुग्राम में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक में पहुंचेंगे, इसके बाद गांव को छोड़ सभी आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर ने गुरुग्राम में ही उस स्थान पर पहुंचना आरंभ कर दिया जहां पर सीएम मनोहर लाल खट्टर भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे थे ।

इसी बीच आंदोलनकारियों को रोकने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। जिससे कि आंदोलनकारी आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन की कार्यकर्ता और सदस्य उस स्थान तक नहीं पहुंच पाए , जहां पर सीएम खट्टर पार्टी कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे थे। इस बीच आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन की जिला सचिव सरस्वती ने तालमेल कमेटी के आह्वान पर सीएम मनोहर लाल खट्टर के पुतला फूंकने का एलान कर दिया । जैसे ही इस बात की भनक मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को लगी , इसके बाद में पुलिस प्रशासन सीएम खट्टर का पुतला बचाने के लिए और आंदोलनकारी आंगनवाड़ी वर्कर पुतला फूंकने के लिए एक दूसरे के सामने हो गए । बताया गया है कि इस दौरान पुलिस बल और आंदोलनकारियों के बीच में जमकर झड़प भी हुई । आंदोलनकारियों को रोकने के लिए कथित रूप से हाथापाई भी होने की जानकारी सामने आई है ।

आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन की पदाधिकारी सरस्वती शारदा देवी के मुताबिक पुलिस प्रशासन के द्वारा की गई जबरदस्ती और हाथापाई सहित महिलाओं के साथ की गई धक्का-मुक्की के कारण सोहना ब्लॉक के सचिव टर्मिनेटेड वर्कर सुशील को चोट लगने की वजह से सरकारी अस्पताल में भी एडमिट करवाना पड़ा । आरोप है कि पुलिस के दबाव में डॉक्टरों ने घायल का उपचार करने से भी इनकार कर दिया , इसके बाद में घायलों को प्राइवेट अस्पताल में उपचार के लिए एडमिट करवाना पड़ा है। आंदोलनकारियों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर अलग-अलग वाहनों में ले जाकर विभिन्न स्थानों पर छोड़ दिया गया । यूनियन पदाधिकारियों के मुताबिक आंदोलनकारियों में से कुछ को पुलिस अलग-अलग थानों में भी लेकर गई ।

शनिवार को आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन की सदस्यों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस के द्वारा की गई धक्का-मुक्की हाथापाई की सीटू हरियाणा राज्य कमेटी के द्वारा कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस प्रकार के व्यवहार को हरियाणा सरकार का तानाशाही पूर्ण और दमनकारी कदम ठहराया गया है । इसके साथ ही चेतावनी देते हुए कहा गया है कि हरियाणा सरकार के इस प्रकार के किसी भी दमन की कार्यवाही को स्वीकार नहीं किया जाएगा । आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर अपने हक हकूक की ही मांग कर रही हैं । जो घोषणाएं पीएम मोदी के द्वारा की गई थी , उनको ही लागू किया जाने के लिए हरियाणा की गठबंधन सरकार से मांग करते हुए बीते 53 दिनों से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है ।

आंदोलनकारियों का आरोप है कि पुलिस के द्वारा की गई धक्का-मुक्की और हाथापाई सहित मारपीट में सुशीला, वीरम , सरोज, सुनीता को हल्की चोटें आई हैं । वहीं एक बुजुर्ग हेल्पर को भी पुलिस वालों ने उसकी उम्र का लिहाज ना करते हुए उसके साथ भी मारपीट की और शिवाजी नगर थाने में हिरासत में बंद करवा दिया गया । पुलिस की इस प्रकार की कार्यवाही की जितनी भी निंदा की जाए, वह उतनी ही कम है । आंदोलनकारी आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन ने दो टूक शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि हरियाणा सरकार की दमनकारी नीति का विरोध जारी रहेगा । इसके साथ ही शनिवार को जो कुछ भी सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन के द्वारा शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रही आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर के साथ में धक्का-मुक्की , हाथापाई , मारपीट की गई उसके विरोध में एक फरवरी को पूरे हरियाणा राज्य में जबरदस्त आक्रोश प्रदर्शन भी किया जाएगा । इन सब हालात के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री स्वयं ही जिम्मेदार रहेंगे।

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